रात के बारह से ऊपर
ही बज रहे होंगे। पूरे घर में सन्नाटा पसरा था। बीच बीच में बाहर से किसी बिगड़ैल
युवक के बिगड़ैल बुलेट के बिगड़ैल साइलेंसर से फट-फट की तेज आवाज से सन्नाटा भंग भी
हो रहा था। ऐसे में दो भाई अपनी रजाई में दुबक कर अपने अपने फोन के सहारे बाहर की
दुनिया की सैर कर रहे थे।
“अरे भाई, वो नया वाला प्रोफाइल देखा? गजब की लगती है।“ सनी ने
फुसफुसाते हुए कहा।
जवाब में बॉबी ने कहा, “हाँ,
उसने तो मेरा फ्रेंड रिक्वेस्ट भी एक्सेप्ट कर लिया है। लेकिन एक
बात बताओ, इतना फुसफुसा काहे रहे हो।“
सनी ने फिर से धीमी आवाज में कहा, “अरे
अपने कठोर दिल बाप हिटलरेंद्र सिन्हा जाग गये तो फिर ‘अरली
टू बेड, अरली टू राइज” पर एक घंटे का प्रवचन देंगे।“
उसके बाद लगभग डेढ़ दो घंटे तक ऑनलाइन और
ऑफलाइन बातचीत करने के बाद दोनों भाई सो गये। अगली सुबह जब दोनों नाश्ते पर बैठे
थे तो उनके पिता हितेंद्र सिन्हा की कड़क आवाज उनके कानों तक पहुँची, “बहुत
बढ़ गया है तुम लोगों का। रात में जाग कर पढ़ने बोलो तो नींद आती है। लेकिन इंटरनेट
पर जाने क्या क्या देखते रहने में तो पूरी रात ऐसे नींद गायब हो जाती है जैसे इसका
रिसर्च कर रहे हो कि महाभारत काल मे ही सॉफ्टवेयर डेवलपर हुआ करते थे। अब ज्यादा
हुआ तो स्मार्टफोन छीनकर हाथ में सैमसंग गुरु थमा देंगे।“
बॉबी ने थोड़ी हिमाकर दिखाई और बोला, “अरे
पापा, आपके जमाने में मोबाइल फोन कहाँ होते थे। आप क्या जाने,
इसमें कितनी ताकत होती है। पूरी दुनिया की खोज खबर आपकी मुट्ठी में
रहती है। आपके जमाने की तरह अब किसी खबर की पुष्टि के लिये बी बी सी के बुलेटिन का
इंतजार नहीं करना पड़ता है।“
हितेंद्र सिंहा लगभग गरजते हुए बोले, “हाँ
हाँ, लेकिन मुझे इतना पता है कि जिस उम्र में तुम कैंडी क्रश
करने में अपना समय बरबाद कर रहे हो उस उम्र में उस मार्क जकरबर्ग ने फेसबुक बना
लिया था। यहाँ तो बैंक क्लर्क का इम्तिहान नहीं निकाल पा रहे हो।“
बाकी के बचे नाश्ते को दोनों भाइयों ने
जबरदस्ती गले के नीचे धकेला और अपने अपने बैकपैक टांगे हुए घर के बाहर लपक लिये।
कॉलेज में आजकल क्लास तो होते नहीं सो सीधा पहुँचे वर्मा सर की कोचिंग क्लास के
लिये। किसी सरकारी स्कूल की पुरानी बिल्डिंग में कोचिंग क्लास चलता था।
सरकारी
स्कूल की खंडहरनुमा बिल्डिंग इस बात की गवाही दे रही थी कि कभी उस स्कूल की अपनी
आन बान शान रही होगी। लेकिन अब तो उस स्कूल में बच्चे केवल इसलिए एडमिशन लेते हैं
ताकि उन्हें मुफ्त की साइकिल, कपड़े और मिड डे मील की सप्लाई चालू रहे। अब
तो नुक्कड़ के पान वाले का बेटा भी ‘इंगलिश मीडियम स्कूल’
में ही पढ़ता है। ये अलग बात है कि उस शहर के किसी भी इंगलिश मीडियम
स्कूल के टीचर तक को अंग्रेजी बोलनी नहीं आती है। स्कूल की उस बिल्डिंग का सदुपयोग
करने के लिये हेडमास्टर ने किराये पर उसे कोचिंग वाले को दे दिया था। जो किराया
आता था उसे ओहदे के हिसाब से सरकारी स्कूल के सभी शिक्षकों में बाँट लिया जाता था।
वहाँ पर क्लास शुरु होने में अभी समय था
इसलिये सभी अपने यार दोस्तों के साथ लगे हुए थे।
पूरे कॉरिडोर में बीस से लेकर तीस साल के
लड़के लड़की भरे पड़े थे। लेकिन उतनी भीड़ होने के बावजूद वहाँ पर लगभग खामोशी छाई हुई
थी। बीच बीच में ‘हाय, व्हाट्स अप’ के
एकाध सुर सुनाई दे जाते थे। वहाँ पर इकट्ठे लड़के लड़की आपस में बातचीत ना के बराबर
कर रहे थे। लगभग सभी के कानों में ईयर-फोन ठुंसा हुआ था और सबकी नजरें अपने या किसी
और के मोबाइल की स्क्रीन पर थीं। काश हमारे जमाने में ऐसी कोई टेक्नॉलोजी रहती तो
हमारे मास्टरजी को बिलावजह बेंत का इस्तेमाल न करना पड़ता। क्लास में ऐसे ही खामोशी
छाई रहती।
बॉबी अपने मोबाइल की स्क्रीन में लगभग डूब
ही चुका था कि उसे सनी की आवाज सुनाई दी, “पता है, वो नई
प्रोफाइल वाली लड़की अपने ही शहर महनार की है।“
सनी चहक उठा, “वाह,
तब तो मजा आ जायेगा। बड़ा भाई होने के नाते उस पर मेरा अधिकार पहले
बनता है। तुम्हें भी इसी बहाने भाभी तो मिल जायेगी।“
बॉबी की भंवे टेढ़ी हो गईं और उसने कहा, “अरे
वाह, अभी सही से चेहरा भी नहीं देखा और पंचवर्षीय योजना भी
बन गई। क्या पता प्रोफाइल में किसी सुंदर लड़की का फोटो लगाया हो और खुद किसी भैंस
की तरह दिखती हो।“
सनी ने कहा, “अरे नहीं, मैने तो उसके पेज पर पोस्ट भी कर दिया है कि उसकी आँखों में एक अलग तरह की
इमानदारी झलकती है। उसने उसके जवाब में चार-चार इमोजी डाले हैं, वो भी दिल वाले।“
बॉबी ने कहा, “अरे
भैया, वो हम दोनों से खेल रही है। मैने तो उसके पेज पर कुछ
गंदी-गंदी बातें भी लिखी थी। उसके जवाब में भी मुझे चार-चार दिल मिले हैं।“
इतना सुनते ही सनी को गुस्सा आ गया। वह
बोला, “तुम्हें तो बड़े छोटे का लिहाज भी नहीं मालूम। एक बार कह दिया कि वो
तुम्हारी भाभी है तो बस। अपने पाजामे में रहो तो ठीक लगोगे। वरना धर दूंगा एकाध कि
होश ठिकाने आ जायेगा।“
बॉबी ने हंसते हुए कहा, “अरे
जाओ, अपना नाड़ा संभलता नहीं और आये हमारी लंगोट टाइट करने।
अरे, एक ही साल बड़े हो, कोई पाँच साल
नहीं। और फिर पढ़ते हो मेरी ही क्लास में तो क्लासमेट भी हो गये। इसलिये ज्यादा
गार्जियन न बनो। पहले से ही एक काफी हैं, वो अपने हिटलरेंद्र
सिन्हा।“
उसके जवाब में सनी ने थप्पड़ मारने के लिये
अपने हाथ उठा लिये। बॉबी फुर्ती से उठा और वहाँ से भाग लिया। पीछे-पीछे सनी भी
भागने लगा। बाकी लड़कों ने बीच-बचाव करके झगड़े को शांत किया। उनसे पता चला कि पिछले
चार पाँच दिनों में कई लड़के उस नई लड़की के दीवाने हो गये थे जिसने हाल ही में सोशल
मीडिया पर अपना प्रोफाइल डाला था। सारे लड़के बड़ी उम्मीद में लग रहे थे, जिसके
दो कारण थे। एक तो वह लड़की उसी शहर की लग रही थी और दूसरा कि वह सबके कॉमेंट को
मुकम्मल तरजीह दे रही थी।
उधर घर पर हितेंद्र सिन्हा पाँच बजे के आस
पास अपने ऑफिस से लौटकर शाम की चाय का मजा ले रहे थे। सोफे के आगे रखे सेंटर-टेबल
पर मल्टीग्रेन बिस्किट रखा था। एक प्लेट में पकौड़ियाँ भी रखी थीं। हितेंद्र सिन्हा
प्रति बिस्किट के साथ चार पाँच पकौड़ियाँ तो देख ही ले रहे थे। बगल में बैठी उनकी
पत्नी साधना सिन्हा ने कहा, “हो गया तुम्हारा ‘सेव
हेल्थी हार्ट’ का प्लान। बस जमकर पकौड़े खाओ।“
हितेंद्र सिन्हा ने जैसे अपनी पत्नी की
बात को सुना ही नहीं। उन्होंने कहा, “कहाँ हैं, तुम्हारे
दोनों राजकुमार? आजकल पर निकल आये हैं इनके। गधे जैसे हो गये
हैं लेकिन अब तक बाप के होटल में ही रुकने का प्लान लगता है इनका।“
साधना ने कहा, “तुम
भी कमाल करते हो। अभी उम्र ही क्या हुई है इनकी। सनी ने पच्चीस पूरे किये हैं और
बॉबी ने पच्चीसवें साल में कदम ही रखा है। बेचारे, एक बार घर
आ जाते हैं तो फिर कभी बाहर घूमने तक नहीं जाते।“
हितेंद्र सिन्हा ने कहा, “हाँ
हाँ, घर आते भी तो दस बजे रात में हैं। उसके बाद तुम फिर से
सजा धजा कर घूमने भेज दिया करो। किसी चौराहे पर मटरगश्ती करने के लिये।“
साधना ने कहा, “कमाल
है, घर में रहें तो अपने ही बच्चों से तुम्हें बदबू आने लगती
है। जबकि ये दोनों तो अपने कमरे में बिलकुल शांत पड़े रहते हैं। थोड़ा बहुत हेडफोन
पर गाना सुनते रहते हैं। हम भी तो अपने जमाने में बिनाका गीत माला सुना करते थे।“
हितेंद्र सिन्हा ने प्लेट में रखी आखिरी
पकौड़ी को साफ कर दिया और बोले, “बिनाका गीत माला केवल बुधवार को आता था,
वो भी रात में आधे घंटे के लिये। अब तो सावन डॉट कॉम से तो आप
चौबीसों घंटे गाने सुन सकते हैं। आजकल तो और भी साधन हैं इनका फोकस खराब करने के
लिये; फेसबुक, ट्विटर, व्हाटसैप, इंसटाग्राम, और ना
जाने क्या क्या। उसपर से हर महीने का मोबाइल बिल।“
साधना ने कहा, “अच्छा
और तुम जो वो फेसबुक पर खुशवंत सिंह के चुटकुले पोस्ट करते रहते हो उसका क्या?
अभी जो हम किट्टी की शादी में गये थे तब तो तुम मेरे छोटे भाई की
बीबी के साथ खूब फोटो खिंचवा रहे थे, सेल्फी भी ले रहे थे।
कल तो तुमने एक फोटो पोस्ट भी किया था। मैंने अभी तक लाइक भी नहीं किया तब तक
तुम्हारे ससुराल वालों की ओर से एक सौ से ज्यादा लाइक भी मिल गये।”
हितेंद्र सिन्हा ने
ठहाका लगाते हुए कहा, “कमाल है, मेरे ससुराल
वाले तुम्हारे गैर थोड़े ही हैं। उनसे इतनी जलन। आखिर मैं इकलौता दामाद हूँ। इतना
तो बनता है।“
हितेंद्र सिन्हा ने फिर कहा, “खैर
छोड़ो इन बातों को। अभी इनके करियर बनाने के दिन हैं। एक बार अच्छी नौकरी लग जाये
फिर जो जी में आये करें। अभी कुछ न कुछ करना पड़ेगा। मैने भी वो दिमाग लगाया है कि
मान जायेगे कि मैं उनका बाप हूँ।“
साधना ने कहा, “जब
मैंने तुम्हें काफी पहले सर्टिफिकेट दे दिया है तो फिर इसमें साबित करने के लिये
रखा क्या है। अब बच्चे हैं। एक दिन अपने आप समझ आ जायेगी। ऐसे भी आजकल जमाना बदल
चुका है। अब पहले की तरह जवान बच्चों को डाँटने फटकारने का समय नहीं रहा।“
इसी बीच सनी और बॉबी घर में दाखिल हुए।
दोनों ने अपने कमरे में अपने बैकपैक को फेंका और अपनी माँ के अगल बगल धम्म से बैठ
गये। बॉबी ने कहा, “मम्मी, एक गरमागरम कॉफी हो जाये तो मजा
आ जाये।“
साधना सिन्हा उठी और किचन में चली गईं।
किचन के अंदर से पतीले और चम्मच के मेल से उत्पन्न होने वाली मधुर ध्वनि आने लगी।
इधर हितेंद्र सिन्हा ने अपने बेटों को संबोधित करते हुए कहा, “आजकल
दोनों भाई ज्वाइंट वेंचर में फ्लर्ट करने लगे हो। अच्छा जा रहे हो।“
सनी और बॉबी के मुँह खुले रह गये। काफी
मशक्कत के बाद बॉबी के मुँह से आवाज निकल पाई, “आप क्या कह रहे हैं,
पापा। हमने तो आज तक किसी लड़की को ऐसी वैसी नजर से नहीं देखा। हमारी
फ्रेंड लिस्ट में सभी लड़कियाँ कॉमन हैं। हम दोनों भाई एक ही कोचिंग इंस्टिच्यूट जो
जाते हैं।“
हितेंद्र सिन्हा ने कहा, “एक
नई लड़की जो शामिल हुई है तुम्हारी फ्रेंड लिस्ट में, वो कहाँ
जाती है कोचिंग क्लास करने? जहाँ तक मुझे पता चला है कि उसे
तो तुम दोनों कुछ अलग ही नजर से देख रहे हो। काफी आगे तक जाने का प्लान बन रहा है।”
सनी ने कहा, “क्क क्क कौन लड़की। क्या
बात करते हैं? आपको कैसे मालूम?”
बॉबी उछल पड़ा, “मम्मी,
इनकी तानाशाही तो बढ़ती ही जा रही है। लगता है इन्होंने हमारे फोन का
पासवर्ड हैक कर लिया है। अरे बेटे जवान हैं, कुछ तो प्राइवेसी
दो। मम्मी, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होगा। अरे 18 की उम्र में
तो सरकार चुनने का अधिकार मिल जाता है। यहाँ 25 की उम्र में इसका भी अधिकार नहीं कि
किससे दोस्ती करें।“
हितेंद्र सिन्हा ने कहा, “अमेरिका
और इंगलैंड में 18 के बाद लड़के और लड़कियाँ अपने बाप की छाती पर मूँग नहीं दलती हैं।
अपने पैरों पर सब खड़े हो जाते हैं। तुम भी आत्मनिर्भर हो जाओ, फिर जो जी में आये करो। किसने रोका है?”
हितेंद्र सिन्हा ने आगे कहा, “और हाँ,
मैने कभी किसी से दोस्ती करने से नहीं रोका है। लेकिन किसी लड़की की प्रोफाइल
पर ऊल जलूल कॉमेंट लिखोगे तो बुरा तो लगेगा ही।“
सनी और बॉबी ने एक साथ कहा, “हमसे
गलती हो गई। आगे से ऐसा नहीं होगा। लेकिन आप तो कभी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते ही
नहीं हैं। आपको कैसे पता चला?”
हितेंद्र सिन्हा ने कहा, “याद है
पिछले महीने तुम्हारे मामा आये थे। वो तो मुझसे अधिक जवान हैं। उन्होंने ही थोड़ा बहुत
सिखा दिया। फिर एक लड़की के नाम से मैने प्रोफाइल बनाई। कुछ ही दिनों में तुम दोनों
की हरकत पकड़ में आ गई। मैं तो बस ये चाहता हूँ कि तुम दोनों आगे बढ़ो और मेरा नाम रोशन
करो। मुझे तुम्हारी जासूसी करने का कोई शौक नहीं है।“
इतना सुनने के बाद साधना सिन्हा ने कहा, “तभी तो
कहते हैं कि बाप बाप होता है, बेटा तो बेटा ही रहेगा।“