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Wednesday, May 25, 2016

चिड़िया की जान जाए बच्चे का खिलौना

“अरे भैया, कहाँ भागे जा रहे हो?” धर्मेंद्र ने साजिद से पूछा।
“जिधर सब ओर जा रहे हैं, उधर ही भाग रहा हूँ।“ साजिद ने बताया।
“क्यों, क्या बात है?”
“पता नहीं, वह तो आगे जाने पर ही मालूम होगा।“
इतना कहकर दोनों उस भीड़ के पीछे भाग लिए, जो किसी खास दिशा में भाग रही थी। उस भीड़ में हर उम्र और लगभग हर वर्ग के लोग थे। छोटे बच्चे जो चल सकते थे तेजी से दौड़ रहे थे और जो अभी चल नहीं पाते थे वे अपनी माँ या पिता की गोद में थे। उनके माता पिता भी तो उसी ओर भाग रहे थे। साजिद ने देखा कि उस भीड़ में कुछ गुब्बारे बेचने वाले, खोमचे वाले और आइसक्रीम बेचने वाले भी थे। कुछ युवक तो अपनी-अपनी मोटरसाइकिलों पर ही भाग रहे थे। आखिर इसी बहाने उन्हें अपनी नई मोटरसाइकिल दौड़ाने का मौका जो मिला था।
थोड़ी दूर आगे जाने के बाद सब लोग सड़क को छोड़कर एक खेत से होकर भागने लगे। गनीमत थी कि उस खेत में कुछ दिन पहले ही फसल की कटाई हुई थी। धर्मेंद्र को कुछ लोगों की बातचीत सुनकर यह अनुमान हुआ कि कोई बड़ा धमाका हुआ था जिसे सुनकर सब लोग उस आवाज की दिशा में भागे चले जा रहे थे। हर आदमी उस धमाके के असली कारण का पता करके अपनी जिज्ञासा शांत करने को व्याकुल था। लगभग एक किलोमीटर भागने के बाद वे सभी घटनास्थल पर पहुँच गए।
वहाँ पहुँचकर पता चला कि कोई छोटा हवाईजहाज हवाईपट्टी पर उतरने की बजाय उससे कुछ दूर पहले ही खेत में उतर गया था। उसके पहिए टूटे हुए थे और वह हवाईजहाज पेट के बल गिरा था। लोग आपस में खुसर पुसर कर रहे थे। कोई अनुमान लगा रहा था कि जरूर कोई टाटा बिरला सरीखा बड़ा व्यवसायी उस हवाईजहाज से जा रहा होगा और गिर गया होगा। किसी का सोचना था कि कोई बड़ा नेता उस हवाईजहाज से जा रहा होगा और गिर गया होगा। इस तरह के छोटे जहाजों में या तो नेता सफर करते हैं या कोई बड़ा पूँजीपति।
भीड़ अच्छी खासी इकट्ठी हो गई थी। लगभग एक हजार के आसपास लोग जमा हो गए होंगे। गुब्बारे वालों ने तो जैसे अपने साथियों को फोन करके बुला लिया था और सभी धड़ाधड़ बिक्री कर रहे थे। आइसक्रीम, भुट्टे, हवा मिठाई, झाल मुढ़ी और न जाने क्या-क्या तेजी से बिक रहे थे वहाँ पर। जवान लड़के उस गिरे हुए जहाज के पास जाकर अपनी सेल्फी ले रहे थे ताकि उन्हें फेसबुक पर डालकर अपने यारों दोस्तों में वाहवाही लूट सकें। बुड्ढ़े लोग उन्हें सेल्फी लेते देखकर मन ही मन कुढ़ रहे थे और उन्हें कोस भी रहे थे। कुछ जवान लड़कियाँ उन लड़कों से जल भुन रही थीं, क्योंकि उनके गाँव के पंचायत ने लड़कियों को मोबाइल फोन रखने पर पाबंदी लगाई हुई थी। इस बीच किसी को भी इतनी फुरसत नहीं थी कि धीरूभाई अंबानी का शुक्रिया अदा करें जिनके कारण आज हर किसी के हाथ में मोबाइल फोन है या फिर मोदी जी को याद कर लें जिनके कारण लोगों में सेल्फी का क्रेज बढ़ गया है।
उससे भी अजीब बात ये थी कि किसी को ये जानने समझने की फुरसत नहीं थी कि उस हवाईजहाज में बैठे हुए मुसाफिरों का हाल जान लें। लोगों को तो बस एक मौका मिला था इतनी बड़ी दुर्घटना; वो भी हवाईजहाज की दुर्घटना को पास से देखने का। वे बस उसी का मजा उठाना चाहते थे।
तभी वहाँ पर एक स्थानीय नेताजी भी आ गए जिन्होंने आज तक हर प्रकार के चुनाव हारने का रिकार्ड बनाया हुआ था। वे आनन फानन में इंटों की एक ढ़ेर पर चढ़ गए और अपना भाषण शुरु कर दिया।
भाइयों और बहनों, ये क्या हो रहा है हम गरीबों के साथ? क्या हम इतने निरीह हो गए हैं कि कोई भी अमीर जब चाहे हमारे गाँव में अपना हवाईजहाज क्रैश लैंड करा दे? अंग्रेजों के जमाने से लेकर आजतक इन पूंजीपतियों ने हमारा शोषण ही किया है। अब तो इन्होंने सारी हदें पार कर दी। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब ये हमारे खलिहानों और दालानों तक घुस जाएँ। ............”
अभी नेताजी अपने पूरे रंग में आ भी नहीं पाए थे कि पुलिस, फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस के सायरन की आवाजें तेजी से पास आने लगीं। जैसे ही पुलिस वाले वहाँ पहुँचे, उन्होंने लोगों को हवाईजहाज से दूर हटाना शुरु कर दिया। कुछ लोग मान ही नहीं रहे थे तो पुलिस को हल्की लाठी चार्ज भी करनी पड़ी।
अब लोगों से वह हवाईजहाज इतना दूर हो चुका था कि कुछ भी साफ दिखाई नहीं दे रहा था। कुछ देर बाद लगा कि हवाईजहाज का दरवाजा खुला और उसमे से कुछ लोगों को उतारकर एंबुलेंस में डाला गया। फिर एंबुलेंस सायरन बजाती हुई वहाँ से ओझल हो गई।

काफी मशक्कत करने के बाद धर्मेंद्र कुछ अहम जानकारी जुटा पाया। दरअसल वह हवाईजहाज एक एअर एंबुलेंस था जो पटना से किसी मरीज को लेकर आ रहा था। विमान का इंजन फेल हो जाने की वजह से पायलट ने उसे खेत में क्रैश लैंड कराया था। कुदरत का करिश्मा ही था कि कोई भी गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ था। जिस मरीज को लाया जा रहा था वह भी जिंदा बच गया था और उसे किसी बड़े अस्पताल में ले जाया गया था। धर्मेंद्र को अपने गाँव वालों के जोश और जिज्ञासा से एक पुरानी कहावत याद आ गई, “चिड़िया की जान जाए बच्चे का खिलौना।“ 

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