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Wednesday, November 9, 2016

काले से सफेद

सेठजी बड़े चिंतित लग रहे थे। जैसे ही 500 और 1000 रुपए के नोट को बंद करने की खबर आई सेठ जी ने तुरंत दुकान का शटर गिरवा दिया था। उसके बाद उन्होंने अपने सभी स्टाफ को नोटों की गिनती के काम में लगा दिया था। साथ में सेठ जी भी अपने टेबल पर नोटों के बंडल गिन रहे थे। जब उन्होंने अपने बैंक के मैनेजर को फोन करके पूछा था तो उसने बताया था कि चिंता की कोई जरूरत नहीं क्योंकि करेंट एकाउंट में कोई भी राशि जमा की जा सकती है। लेकिन सेठ जी को इस बात की चिंता खाये जा रही थी कि नॉर्मल सेल से यदि बहुत ज्यादा रकम जमा की जाए तो समस्या खड़ी हो सकती थी। साथ में बैंक वालों को नोट की गिनती के लिए दी जाने वाली कमीशन की राशि को लेकर भी वे उधेड़बुन में लगे हुए थे। बैंक के मैनेजर ने बताया था कि जैसे ही बैंक खुलेगा तो बैंक में भारी भीड़ होगी। लोग नोट बदलवाने आयेंगे। इसलिए उसने नोट गिनती करने का कमीशन का रेट दोगुना कर दिया था।

अभी सेठ जी इस अचानक से आई समस्या से निपटने की तैयारी कर ही रहे थे कि उनके मोबाइल फोन की घंटी बजी। जब उन्होंने देखा कि वह फोन बाबू भैया का था तो सेठ जी के माथे पर पसीने की बूँदे छा गईं। बाबू भैया उसी शहर के एक खुर्राट नेता हैं। वे एक दबंग किस्म के नेता हैं जिनके खिलाफ हत्या, लूटपाट, चार सौ बीसी और बलात्कार के कितने मुकदमे चल रहे हैं। लेकिन बाबू भैया इतने स्मार्ट नेता हैं कि हमेशा सत्ताधारी पार्टी में ही रहते हैं। भविष्य सूंघने के मामले में वे रामविलास से कम नहीं हैं इसलिए हमेशा ही किसी न किसी मंत्रीपद पर आसीन रहते हैं।

सेठ जी ने जेब से मुड़ा तुड़ा और बदबूदार रूमाल निकाला और उससे अपने माथे का पसीना पोंछते हुए फोन कॉल रिसीव किया, “नमस्कार बाबू भैया। कहिए कैसे याद किया? ………जी जी मैं अच्छा हूँ। .......जी जी बस आपकी दया दृष्टि बनी रहे।“

उधर से बाबू भैया ने खून जमाने वाली आवाज में फरमान सुनाया, “आठ बजे जो न्यूज आया है उसे देखा ही होगा। मैं आज रात तुम्हारे पास पाँच करोड़ भिजवाउँगा। सारे 500 या 1000 के नोट हैं। चार दिन के अंदर मुझे उसके बदले में नये नोट चाहिए।“

सेठ जी ने हकलाते हुए कहा, “लेकिन बाबू भैया, इतनी जल्दी कैसे हो पाएगा? शुरु में तो बैंकों के बाहर लंबी लाइन लगी रहेगी। मामला लाइन पर आने में कम से कम एक हफ्ता तो लगेगा। फिर मैं उन 500 और 1000 के नोटों का क्या करूंगा?”

बाबू भैया ने कहा, “तुम क्या करोगे ये मेरी प्रॉब्लेम नहीं है। अगले दो महीने में चुनाव होने हैं। पार्टी फंड के लिए पैसा चाहिए।“

सेठ जी ने कहा, “बाबू भैया, कुछ मोहलत दे देते तो ठीक होता। इतनी जल्दी तो मैं बरबाद हो जाउंगा।“

बाबू भैया ने कहा, “यदि मेरा काम नहीं हुआ तो तुम वैसे भी बरबाद हो जाओगे। एक बार फिर से सरकार बन जाने दो फिर तुम्हारे नुकसान की भरपाई हो जाएगी। तुम्हें शहर का मेयर बनवा दूँगा। फिर कमा लेना जितना चाहो।“


सेठ जी ने थूक निगलते हुए कहा, “जैसा आप ठीक समझें बाबू भैया।“