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Thursday, September 22, 2016

नापाक हमला

पहला दिन
राजा का दरबार लगा हुआ है। पूरे दरबार में गहमागहमी है जो कि इतने बड़े राज्य के दरबार के लिए लाजिमी भी है। दरबार को शुरु हुए लगभग एक घंटा बीत चुका है। अभी तक कुछ छोटे मोटे मामलों को छोड़कर कोई भी गंभीर मुद्दा राजा के विचार के लिये नहीं आया है। इसलिए राजा पर कुछ कुछ बोरियत के भाव देखे जा सकते हैं।

तभी एक गुप्तचर तेजी से दरबार में दाखिल होता है। उसके चेहरे पर पसीने की बूँदें बता रही हैं कि वह कोई गंभीर बात बताने आया है। गुप्तचर को देखकर राजा कहते हैं, “आओ मेरे भरोसेमंद गुप्तचर। क्या खबर लाये हो?”

गुप्तचर के सुर में घबराहट और अधीरता के भाव हैं। वह कहता है, “हे राजन, गजब हो गया। अभी अभी सूचना मिली है कि पड़ोस के दुश्मन राजा की सेना ने हमारी सीमा पर आक्रमण कर दिया है। आक्रमणकारियों ने सीमा पर तैनात हमारी सेना के कैंप पर धावा बोल दिया है। अब तक हमारे बीस सैनिक शहीद हो चुके हैं।“

राजा थोड़ा आशंकित से दिख रहे हैं और पूछते हैं, “आगे बताओ गुप्तचर। ताजा स्थिति नियंत्रण में है या हमें कुछ कड़े कदम उठाने होंगे।“

गुप्तचर कहता है, “महाराज, अच्छी खबर ये है कि हमारे एक जांबाज सैनिक ने आक्रमणकारियों का डटकर मुकाबला किया और उन्हें मार गिराया। आक्रमणकारियों की संख्या केवल पाँच थी।“

राजा थोड़े और गंभीर हो गये और बोले, “चलो ये तो अच्छी खबर है। लेकिन मुझे प्रजा की चिंता सता रही है। उम्मीद है ये खबर अभी प्रजा में नहीं फैली होगी।“

गुप्तचर ने थोड़ी सांस ली और बोला, “जी नहीं महाराज। अभी तक खबरनवीसियों को कोई भी अहम सूचना लीक नहीं हुई है।“

राजा ने ठंडी सांस ली और बोले, “खबरनवीसियों को बता दिया जाये कि इस खबर को इस तरह से पेश किया जाए ताकि प्रजा में हमारी सेना की बहादुरी के किस्से फैल जाएँ।“

उसके बाद राजा ने एक प्रेस कॉंन्फ्रेंस बुलाई और उसे संबोधित करते हुए बोले, “आपको पता ही होगा कि हमारे पड़ोसी राज्य की नापाक नजरें किस तरह हमारी ओर गड़ी होती हैं। आज सुबह सुबह ही उनके चार सैनिकों ने हमारी सीमा पर आक्रमण कर दिया। लेकिन हमारे सिपाही बहादुरी से लड़े और उन्हें मार गिराया। हम अपना सीना चौड़ा करके कह सकते हैं कि इस हमले में हमारे बीस सैनिक शहीद हो गये। यह पूरा राज्य उन शहीद सैनिकों के बलिदान को हमेशा याद रखेगा और उनकी माँओं का सदैव आभारी रहेगा। हम ये वादा करते हैं कि उनकी शहादत को व्यर्थ न जाने देंगे। हम ईंट का जवाब पत्थर से देंगे। हम एक दाँत के बदले दुश्मन का पूरा जबड़ा उखाड़ देंगे। मैं प्रजा को ये भरोसा दिलाना चाहता हूँ कि हमारी सेना हर तरह से दुश्मन से लोहा लेने में सक्षम है। अगर जरूरत पड़ी तो हम अपने पड़ोसी राज्य को अपने ब्रह्मास्त्र से नेस्तनाबूद कर देंगे। इस बार हम आर पार की लड़ाई लड़ेंगे।“

दूसरा दिन

दूसरे दिन सुबह से ही राज्य के विभिन्न शहरों, गाँवों और गली मुहल्लों में खास तौर पर प्रशिक्षित चारणों को काम पर लगा दिया गया। वे सब उस युद्ध का बढ़ा चढ़ाकर व्याख्यान कर रहे थे। हर व्याख्यान में शहीद सैनिकों की बहादुरी के किस्से कहे जा रहे थे। साथ में शेर दिल राजा की चौड़ी छाती के बारे में भी कशीदे काढ़े जा रहे थे। ऐसे ही किसी नुक्कड़ पर चारणों द्वारा एक जनसभा को संबोधित किया जा रहा था तभी एक गुप्तचर राजा का संदेश लेकर आया। उसका संदेश सुनने के बाद तो चारणों के तेवर और भी आक्रामक हो गये। उसके बाद चारण ने कहना शुरु किया, “देवियों और सज्जनों। आपके लिए एक और खुशखबरी है। अभी अभी खबर आई है कि हमारे खास रूप से प्रशिक्षित कमांडो की एक टुकड़ी ने बीती रात चुपके से दुश्मन के इलाके में प्रवेश किया। उनकी संख्या केवल पाँच थी। वे बड़ी बहादुरी से दुश्मन के इलाके में गये और उनकी छावनी पर तब आक्रमण किया जब वे इस सबसे बेखबर सो रहे थे। इस आक्रमण में हमारे कमांडो ने एक पूरी की पूरी छावनी को तबाह कर दिया। दुश्मन के कितने सैनिक हताहत हुए हैं इसकी तो फिलहाल कोई पुष्टि नहीं हो पाई है लेकिन इतना पक्का पता है कि इससे दुश्मन सहम गया है। उस सफल हमले के बाद हमारे कमांडो सुरक्षित अपने राज्य में वापस आ गये हैं। महाराज ने उन्हें वीरता पुरष्कार से सम्मानित करने की घोषणा कर दी है। अब इसी खुशी में हम वीर रस की कुछ चुनिंदा भजन गाते हुए अपनी सभा जारी रखेंगे।“


उसके बाद एक से एक हिट भजनों को प्रस्तुत किया गया। उसके लिए मायानगरी से एक से एक चुनिंदा कलाकारों को ड्यूटी पर लगाया गया था। उनमें से सबसे हिट भजन इस प्रकार है, “सुनो गौर से दुनिया वालों, चाहे जितना जोर लगा लो, सबसे आगे हैं हमरे सिपाही।“ 

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