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Saturday, July 2, 2016

मोहिनी की तलाश

आपमें से अधिकतर लोगों को भष्मासुर की कहानी जरूर याद होगी। भष्मासुर नाम का राक्षस अमर होने की इच्छा रखता था। इसलिए उसने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए वर्षों तक घनघोर तपस्या की जिससे भगवान शिव खुश हो गए और प्रकट होकर भष्मासुर से कोई वरदान माँगने को कहा। जब भष्मासुर ने अमर होने का वरदान माँगा तो भगवान ने बताया कि अमरत्व पर केवल भगवानों की मोनोपॉली होने के कारण असुर या मानव को इसका वरदान नहीं दिया जा सकता था। फिर काफी मोलभाव होने के बाद भष्मासुर ने वरदान माँगा कि जिस किसी के सिर पर उसका हाथ पड़ जाएगा वह वहीं पर जल कर भष्म हो जाएगा। भगवान शिव ने तथास्तु कहा और भष्मासुर को लगा जैसे उसके हाथ कोई परमाणु बम लग गया हो। अपनी नई शक्ति की जाँच करने के लिए वह भगवान शिव के पीछे दौड़ा। आखिर में इस कहानी में भगवान विष्णु मोहिनी का अवतार लेते हैं और भष्मासुर को डांस सिखाने के बहाने उसे अपने ही सिर पर हाथ रखने को विवश कर देते हैं। भष्मासुर जल कर राख हो जाता है और कहानी खत्म हो जाती है।

हिंदुस्तान के एक बहुत ही पढ़े लिखे राजनेता भी भष्मासुर की तरह बर्ताव कर रहे हैं। ऐसा वे वर्षों से कर रहे हैं। उन्होंने भारत की राजनीति के कई महत्वपूर्ण देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिए वर्षों से तपस्या की। जब भी किसी देवी या देवता ने उनसे प्रसन्न होकर उन्हें अपना शरणागत बनाया तो फिर इस कलियुगी भष्मासुर ने उस देवी या देवता को ही भष्म करने की कोशिश की। कुछ महान आत्माओं की राजनैतिक मृत्यु (हार) इस भष्मासुर के कारण पहले भी हो चुकी है। आप जब भारत के आधुनिक इतिहास का अध्ययन करेंगे तो आपको इसके कई उदाहरण मिल जाएँगे। इस कलियुगी भष्मासुर से घबड़ाकर काफी वर्षों तक कोई भी राजनेता या राजनैतिक पार्टी उससे दूर रहना ही बेहतर समझती थी। इसलिए वे एक सांसद वाली पार्टी चलाते हुए अपना जीविकोपार्जन कर रहे थे।

लगभग दो वर्ष पहले भारत (या विश्व) की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी ने उन्हें अपने आप में समाहित कर लिया। बस फिर क्या था, इस भष्मासुर को लगा कि उसे दूसरे को भष्म करने की शक्ति (जो वर्षों पहले खो गई थी) दोबारा मिल गई। अपनी शक्ति का सदुपयोग करते हुए इस कलियुगी भष्मासुर ने भारत के तैंतीस करोड़ नेताओं में से चुन चुनकर बदला लेना शुरु किया। कई नेता इस भष्मासुर के प्रहार से मर्माहत होते दिखे। उन्हें पीड़ा से तड़पते देखकर अनगिणत टीवी चैनलों के अनगिणत रिपोर्टर को अभूतपूर्व आनंद की अनुभूति होने लगी। इस तरह से सबका समय सुखपूर्वक बीत रहा था कि बीच में एक आयातित गंधर्व आए जिन्हें भारतवर्ष की अर्थव्यवस्था को ठीक करने की जिम्मेदारी दी गई। इन नए गंधर्व के रूप और गुणों की चर्चा न सिर्फ पूरा आर्यावर्त करता था बल्कि पूरा विश्व भी उस रूप और गुणों की खान से प्रभावित था। इसलिए जब इस कलियुगी भष्मासुर के प्रहारों से वह बेचारा गंधर्व मर्माहत हुअ जा रहा था तो लगता था की पूरी प्रजा और पूरी मीडिया भी मर्माहत हो रही थी। उस बेचारे गंधर्व ने अंत में हार मान ली और अपनी जान बचाने के लिए अपने लोक को प्रस्थान करने का फैसला लिया। गंधर्व होने के नाते उसे भारत के किसी भी देवी या देवता का माकूल समर्थन नहीं मिला।

इस जीत से उत्साहित होकर कलियुगी भष्मासुर ने फैसला किया कि उच्च पदों पर आसीन देवी देवताओं पर प्रहार किया जाए। लेकिन इस कोशिश में उसे कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। अपनी झल्लाहट में उसने अब सीधा भगवान शिव पर ही प्रहार करना शुरु कर दिया है। भगवान शिव ने पहले तो अन्य किन्नरों और गंधर्वों द्वारा भष्मासुर को समझाने की कोशिश की लेकिन उनके सारे प्रयास विफल हो गए। थक हारकर भगवान शिव अब सीधा भगवान विष्णु के पास अपनी गुहार लेकर गए। उनसे विनती की कि वे मोहिनी का रुप लेकर उसे अपनी डांस क्लास के बहाने फँसा लें। भगवान विष्णु का मानना है कि पारंपरिक शास्त्रीय नृत्य आजकल फैशन में नहीं है। अब तो लोग रेमो फर्नांडिस और प्रभु देवा के फ्यूजन डांस को ज्यादा तरजीह देते हैं। फिर मोहिनी बनने के चक्कर में ये खतरा भी है कि भष्मासुर को फँसाने के चक्कर में कहीं वे स्वयं ही जलकर भष्म न हो जाएँ। भगवान विष्णु ने किसी और मोहिनी को तलाश करने की सलाह दी। 1980 के दशक की मोहिनी यानि माधुरी दीक्षित से बात की गई। उन्होंने जवाब भेजा कि अब उन्हें अपने बच्चों और परिवार को पालने की जिम्मेदारी निभानी होती है। फिर अपने डॉक्टर पति की सलाह पर उन्होंने केवल डांस कंपिटीशन में जज बनने का फैसला किया है। कई आधुनिक मोहिनियों से इस बारे में बातचीत करने पर जवाब मिला कि अभी तो उनकी खाने खेलने की उम्र है। इतनी कच्ची उम्र में कोई भी किसी भष्मासुर जैसे कुरूप राक्षस के लिए अपनी जान भला क्यों देगा।


फिलहाल मोहिनी की तलाश जारी है ताकि भष्मासुर से हमेशा के लिए छुट्टी मिल जाए। इस बीच भष्मासुर अनेक सुरों, असुरों, गंधर्वों, किन्नरों और तुच्छ मानवों को परेशान कर रहे हैं।