अर्जुन अपने अज्ञातवास
के अंतिम वर्ष में अपने भाइयों और द्रौपदी के साथ राजा विराट के महल में रहते थे। उस
अवधि में अर्जुन ने एक किन्नर का रूप धरा था जिसका नाम वृहन्नला था। अब तक अज्ञातवास
ठीक से बीत रहा था। बीती रात अर्जुन की मदद से भीम ने कीचक वध को सफलतापूर्वक सम्पन्न
किया था। अर्जुन उस उपलब्धि से बहुत खुश था। इसलिए अपनी प्रसन्नता प्रकट करने के लिये
अर्जुन यानि वृहन्नला ने नख से शिख तक श्रृंगार किया था। आप उसे सोलह सिंगार भी कह
सकते हैं। अब वृहन्नला अपना मेकअप किसे दिखाये। जब द्रौपदी ने उसे देखा तो मजाक ही
किया और ताने भी मारे। वृहन्नला ने जब विराट के पुत्र उत्तर से पूछा तो वह भी हँस पड़ा।
बोला कि एक किन्नर चाहे जितना भी श्रृंगार कर ले, रहेगा तो किन्नर ही। उसमें भला किसी नारी की कमनीयता कहाँ से आ सकती है। वृहन्नला
यह सिद्ध करना चाहती थी कि वास्तव में सुंदर लग रही थी। उसने सोच लिया कि अब बहुत हो
चुका। उसने अपनी नई फोटो को मुखपुस्तिका नामक वेबसाइट पर पोस्ट करने का फैसला ले लिया।
जिनको नहीं पता है उनका ज्ञान दुरुस्त करने के लिये यह बताना जरूरी है कि महाभारत के
जमाने की मुखपुस्तिका को आधुनिक काल में फेसबुक के नाम से जाना जाता है। यह बात हमारे
आधुनिक राजाओं और महाराज ने सिद्ध कर दी है। वृहन्नला और उत्तर में इस बात की शर्त
लग गई कि वृहन्नला को कितने लाइक मिलते हैं। यह तय हुआ कि यदि एक सहस्र लाइक से कम
मिले तो वृहन्नला आजीवन मत्स्य राज में गुलामी करेगी। यदि एक सहस्र लाइक से अधिक मिले
तो उत्तर को अपनी बहन का हाथ अभिमन्यु के हाथ में देना होगा; मतलब उत्तरा
की शादी अभिमन्यु से करवानी पड़ेगी। वृहन्नला ने अपनी फोटो को मुखपुस्तिका पर अपलोड
कर दिया था। अभी वह पोस्ट पर क्लिक करने ही वाली थी कि वहाँ पर भीम आ गये। भीम ने कहा
कि अज्ञातवास में ऐसा करना उचित नहीं होगा। उसे डर था कि कौरव को उनके सही ठिकाने का
पता चल जायेगा तो फिर अनर्थ हो जायेगा। लेकिन वृहन्नला ने भीम की एक न सुनी। उसने बस
एक झटके में अपना सोलह सिंगार वाला फोटो पोस्ट कर दिया।
उधर धृतराष्ट्र के महल में दुर्योधन अपने भाइयों
और प्रिय मामा शकुनि के साथ जुए के नये दांव सीख रहा था। दु:शासन अपने 4 जी फोन पर
मुखपुस्तिका देखने में मगन था। तभी उसकी आँखें चमक उठीं। किसी षोडषी दिखने वाली कन्या
ने अपनी बला की खूबसूरती दिखाते हुए अपना फोटो पोस्ट किया था। दु:शासन ने एक पल की
देर किये बिना जवाब में लिखा, “1000 लाइक”। शकुनि की पैनी नजर ने तुरंत इस
बात को ताड़ लिया कि दु:शासन का दिमाग कहीं और विचरण कर रहा था। शकुनि ने उसके हाथ
से मोबाइल फोन छीन लिया और वृहन्नला की तस्वीर को गौर से देखने लगा। शकुनि के शातिर
दिमाग से यह बात छिप नहीं पाई कि वह और कोई नहीं बल्कि अर्जुन था। शकुनि उछल उछल कर
बच्चों की तरह किलकारियां मारने लगा। उसने लगभग घोषणा करते हुए कहा, “मेरे प्यारे भांजे, अब तुम्हें हस्तिनापुर का राजा बनने
से कोई नहीं रोक सकता। पांडवों का अज्ञातवास टूट चुका है। चलो पता करते हैं कि आई पी
ऐडरेस के हिसाब से वह किस स्थान पर छुपे हुए हैं।“
लगभग तीन पहर बीतते बीतते अपने द्रुतगामी रथों
और घोड़ों की सहायता से कौरव अपने दल बल के साथ मत्स्य राज की सीमा के बाहर खड़े थे।
सबसे आगे दुर्योधन था। उसने अपने दूत से राजा विराट को संदेश भेज दिया कि पांडवों को
उसके हवाले कर दे अन्यथा वह पूरे मत्स्य राज को तबाह कर देगा।
उधर अर्जुन के अन्य भाई अर्जुन पर भड़क रहे
थे। अर्जुन के कानों पर लग रहा था की जूँ भी नहीं रेंग रही थी। उसने कहा, “जरा गौर
से देखो कि मैने फोटो कितने बजे पोस्ट किया था। उस समय मध्यरात्रि बीत चुकी थी। इसका
मतलब हुआ कि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हमारे अज्ञातवास का काल पूरा हो चुका था। इसलिये
हमने कोई भी शर्त नहीं तोड़ी।“
उसके ऐसा कहने पर नकुल सहदेव ने गणना की तो
पाया कि अर्जुन बिलकुल सही बोल रहा था। फिर क्या था, पाँचो भाई एक सुर में चिल्ला
पड़े, “चलो, वन में चलते हैं। जहाँ हमने
अपने अस्त्र छुपाये थे। अब समय आ गया है कौरवों को मुँहतोड़ जवाब देने का”।
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