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Monday, December 12, 2016

एटीएम भगवान पूजन कथा

किसी समय की बात है। नारद मुनि देवलोक से भ्रमण करते हुए पृथ्वी लोक में विचरण कर रहे थे। नारद मुनि कई सौ वर्षों बाद पृथ्वी लोक में आये थे। इस बीच पृथ्वी लोक में असंख्य परिवर्तन हुए थे। नारद मुनि ने देखा कि वर्षों पहले जो नगर इंद्रपस्थ के नाम से विख्यात था उसे अब लोग नई दिल्ली या दिल्ली के नाम से जानते थे। नारद मुनि दिल्ली नगर के बीचोबीच स्थित एक मशहूर बाजार में पहुँचे जिसका नाम कनाट प्लेस था। वहाँ पर वृत्ताकार सड़कों के चारों ओर एक मनोहारी बाजार था जहाँ श्वेत रंग के सुंदर सुंदर भवन बने हुए थे। उस बाजार के बीचोबीच एक बड़ा ही रमनीक उपवन था जिसमें नाना प्रकार के पुष्प शोभायमान हो रहे थे। बाजार के बाहर की सड़कों के किनारे लाल पत्थरों से बनी हुई कुछ भव्य अट्टालिकाएँ भी थीं। उस उपवन में आधुनिक नर नारी रति क्रीड़ा में मग्न थे। लेकिन वैसे नर नारियों की संख्या काफी कम होने के कारण नारद मुनि कुछ चिंता में पड़ गये। बाजार में थोड़ा और भ्रमण करने के बाद नारद मुनि ने देखा कि असंख्य नर नारी कतार बद्ध होकर एक विचित्र सी दिखने वाली मशीने के आगे खड़े थे। वह मशीन एक काँच की कोठरी में बंद थी। उसमें एक एक करके नर या नारी जाते थे और कुछ अजीबोगरीब क्रियाकलाप करके वापस लौटते थे। लौटते समय उनके चेहरे पर जो विजयी मुसकान होती थी उससे प्रतीत होता था कि वहाँ पर अवश्य ही कोई महत्वपूर्ण कार्य को मूर्तरूप दिया जा रहा था। अपनी जिज्ञासा शांत करने के उद्देश्य से नारद मुनि भी वहाँ पहुँचे और एक षोडशी स्त्री से पूछा, “हे बालिके, क्या मैं जान सकता हूँ कि तुम और बाकी लोग यहाँ किस प्रयोजन से एकत्र हुए हो और इस प्रयोजन का क्या लाभ है?”

उस बाला ने बिना शर्माए सकुचाए हुए नारद मुनि से कहा, “हे मुनि जैसे दिखने वाले व्यक्ति, लगता है आप किसी नाटक मंडली से आये हैं। हमलोग यहाँ पर एक आधुनिक देवता एटीएम की पूजा अर्चना करने आये हैं। इस देवता की पूजा करने से हाथ में धन आने का प्रबल योग बनता है।“

नारद मुनि की जिज्ञासा और बढ़ गई। उन्होंने फिर पूछा, “हे बालिके, इस नये देवता का नाम मैने कभी नहीं सुना। फिर भी क्या तुम इस देवता की पूजन विधि, उसके पीछे की कथा और उसका व्रत रखने के लाभ के बारे में बताने का कष्ट करोगी?”

उस बाला ने नारद मुनि से कहा, “हाँ, मैं अवश्य बताउँगी। उसके लिये आपको मेरे साथ इस कतार में खड़ा होना पड़ेगा।“

बस नारद मुनि उस बालिका के पीछे कतार में खड़े हो गये और एटीएम भगवान की कथा श्रवण का आनंद लेने लगे। उस बालिका ने कथा कुछ इस प्रकार सुनाई।

किसी युग में सौदास नामक एक राजा पृथ्वी पर राज करता था। राजा का राजकाज समुचित ढंग से चल रहा था। राजा का परिवार भी पुत्रो और पुत्रियों से भरा पूरा था। लेकिन राजा को एक चिंता सदैव सताती थी। राजा की अनगिनत रानियों और पटरानियों के कारण राजा के पास हमेशा धन की कमी हो जाती थी। राजा चाहे जितना प्रयास कर ले, हर महीने की बीस तारीख आते आते उसका खजाना खाली होने लगता था। राजा ने अपने मंत्रियों से राजस्व बढ़ाने के बारे में सलाह ली और प्रजा पर कर का बोझ बढ़ाने की अनुशंसा की। लेकिन मंत्रियों ने प्रजा के विद्रोह के डर से उसकी सलाह मानने से मना कर दिया।

राजा की चिंता इतनी बढ़ गई थी कि उसे रातों को नींद नहीं आती थी। एक रात उसकी आँख किसी तरह लगी ही थी कि उसके सपने में उसके कुल देवता ने साक्षात दर्शन दिये। राजा के कुल देवता ने राजा से कहा कि वह एटीएम देवता की पूजा विधि विधान से करे तो उसके कष्ट दूर हो जाएँगे।

अगले दिन राजा ने यमुना के तट पर एटीएम देवता की मूर्ति स्थापित की। इसके लिये उसने सीधे विश्वकर्मा से मदद ली। राजा ने विधि पूर्वक स्नानादि करके पहले अपने ईष्ट देवों का स्मरण किया। फिर उसके बाद उसने 108 बाद मंत्र जाप करके एटीएम देवता का स्मरण किया। उसके बाद राजा ने देवता के आगे नाना प्रकार के नैवेद्य का प्रसाद चढ़ाया। फिर राजा सौदास ने ब्राह्मणों को भरपेट भोजन करवाया। ब्राह्मणों को विदा करते समय राजा ने रेशमी वस्त्र, स्वर्ण मुद्राएँ और दुधारु गायेँ भी दान में दी। राजा की इतनी कठोर साधना से एटिएम देवता प्रसन्न हो गये और प्रकट हुए।

एटीएम देवता के आदेश पर राजा ने विनती की, “हे प्रभु, मुझे अधिक की लालसा नहीं है। बस इतनी इच्छा है कि मेरे खजाने में इतना धन रहे कि मेरी रानियों और पटरानियों के भोग विलास में कोई कमी न हो।“

एटीएम देवता ने वर दिया, “हे राजन, मैं तुम्हारी आराधना से प्रसन्न हुआ। तुम पूरे नगर में मेरी मूर्तियाँ स्थापित करवा दो। नगर के हर व्यक्ति को मेरी पूजा करने की अनुमति दो। फिर तुम या तुम्हारे राज्य का कोई भी व्यक्ति एक शॉर्ट कट पूजा के बाद मेरे मंदिर से दो हजार रुपये प्राप्त कर सकता है। याद रहे कि एक दिन में कोई भी व्यक्ति दो हजार रुपये से अधिक प्राप्त नहीं कर सकता है। यदि किसी ने भी इस नियम को तोड़ने की कोशिश की तो राज्य में भीषण अकाल पड़ जायेगा और पूरा राज्य तबाह हो जायेगा।

इतना कहने के बाद उस बाला ने नारद मुनि से कहा, “हे मुनि, तब से लेकर आज तक इस नगर का हर व्यक्ति सप्ताह में एक या दो दिन आकर एटीएम भगवान की पूजा करता है और दो हजार रुपये की धनराशि प्राप्त करके सुखपूर्वक अपने दिन बिताता है।“

नारद मुनि ने कहा, “ये तो बहुत अच्छी बात है। कृपा करके उस पूजा की पूजन विधि बताओ।“

उस बाला ने नारद मुनि से कहा, “हे मुनिवर, इस देवता की पूजन विधि बहुत ही सरल है। आपको एक एटीएम कार्ड बनवाना पड़ेगा। उसके बाद धूप दीप आदि दिखाकर भगवान द्वारा स्थापित इस मशीन के गर्भ गृह में उस कार्ड को डालना पड़ेगा। फिर एक गुप्त मंत्र का एक बार जाप करने से दो हजार की धनराशि अपने आप आपके हाथों में आ जायेगी। याद रहे कि प्रत्येक व्यक्ति को दिया हुआ वह गुप्त मंत्र अपने आप में अनूठा होता है। आपको दिये हुए गुप्त मंत्र से इस संसार का कोई अन्य व्यक्ति धनराशि नहीं पा सकता है। मतलब आपको आपके हिस्से की धनराशि मिलने की पूरी गारंटी है।“


उसके बाद नारद मुनि उस बालिका द्वारा बताये निर्देश के अनुसार एक भव्य मंदिर में पहुँचे जहाँ कि उनको अपना एटीएम कार्ड मिल सकता था। 

पढ़िए नई मधुशाला ....

This poem is written by one of my friends Mr. Pradeep Gulati who is a senior editor with a publishing firm:

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सब्जी ले आने को घर से
चलता है जब घरवाला
' किस दुकान जाऊँ ' असमंजस में
है वह भोला भाला
दो हजार का नोट देख कर
उसको सब गाली देंगे
और इसी असमंजस में वह
पहुँच गया फ़िर मधुशाला
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लाल गुलाबी नोट देख कर
डरता है लेने वाला
सोच रहा है दिल ही दिल में
नहीं चलेगा यह साला
बिना दूध की चाय हमेशा
से उसको कड़वी लगती
यही सोच कर पहुँच गया वह
सुबह सबेरे मधुशाला.
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थके हुए क़दमों से देखो
आया सोहन का साला
पीछे पीछे चलीं आ रहीं
जाकिर की बूढ़ी खाला
रोज बैंक से डंडे खाकर
लिए व्यथित मन लौट रहे
कार्ड स्वाईप करने वाले तो
घर ले आते मधुशाला.

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पैसा लेकर रामभरोसे
घूम रहे बन मतवाला
रुपए उसके पास देख कर
बता रहे सब धन काला
खाद डालनी थी खेतों में
रामभरोसे चिंतित हैं
भक्त कह रहे छोड़ो ये सब
हो आओ तुम मधुशाला

खुली हुई है मधुशाला ....
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इन थोड़े नोटों से कितना
प्यार करूं, पी लूं हाला
आने के ही साथ आ गया
है इनको लेने वाला
पांच हजार मकान किराया
लेने को आईं आंटी
है उधार अब पंद्रह दिन से
मेरी जीवन मधुशाला

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यम बनकर बाज़ार आएगा
हफ्ता जो आने वाला
फिर न होश में आ पाएगा
अर्थतंत्र पी कर हाला
यह अंतिम बेहोशी, अंतिम साकी, अंतिम प्याला है
ज़रा संभल कर पीना इसको
यह है देशी मधुशाला