Pages

Friday, September 9, 2016

खूँटे से बँधी गाय

नेताजी सुबह सुबह नहा धोकर तैयार हो गये। ऊपर से नीचे तक झक सफेद कुर्ता पायजामा और उसपर से सफेद चप्पल। लगता था जंपिंग जैक (जीतेंद्र) के ठेठ देसी अवतार। हाँ उस चमकदार सफेदी पर रंगों की हल्की सी छटा बिखेरने के लिए उन्होंने एक गमझा कंधे पर डाल लिया था जिसमें केसरिया और हरे रंग दिख रहे थे। लेकिन अभी तक सेक्रेटरी का कहीं अता पता न था। नेता जी ने समय का सदुपयोग करने के लिए अपने बंगले के लॉन में मॉर्निंग वाक करना ही बेहतर समझा। जैसे ही उन्होंने मॉर्निंग वाक शुरु किया उनके नथुनों में ताजी हवा की खुशबू की जगह एक अजीब सी दुर्गंध फैलने लगी। नेताजी ने तुरंत अपने माली को आवाज लगाकर पूछा, “अबे ये बदबू किस चीज की आ रही है? तुम तो देहाती आदमी हो इसलिए इस बदबू को पहचानते होगे।“

माली ने जवाब दिया, “क्या नेताजी, आप भी तो कहते हैं कि आपका बचपन किसी गाँव में बीता था। फिर आप ये भी दंभ भरते हैं कि आप तो किसानों के हमदर्द हैं। गोबर जैसी चिरपरिचित चीज की बदबू नहीं पहचान पा रहे हैं।“

नेताजी थोड़ा झल्लाए और कहा, “अरे नहीं, जब से सांसद बना हूँ तब से साफ सुथरे बंगले में रहता आया हूँ। ज्यादातर जगह की यात्रा हवाई जहाज से करता हूँ। जहाँ हवाई जहाज नहीं पहुँच सकता वहाँ तो मैं एअरकंडीशन गाड़ी में जाता हूँ। इसलिए बाहर की आबो हवा के बारे में कुछ पता ही नहीं चलता। खैर छोड़ो, ये गोबर की बदबू कहाँ से आ रही है?”

माली ने कहा, “सरकार, अब गोबर की बदबू किसी फूल से थोड़े न आएगी। जरूर गोबर से ही आ रही होगी।“

नेताजी ने अब थोड़ी तल्खी से पूछा, “वो तो मैं समझ गया। लेकिन हमारे बंगले के आस पास गोबर कहाँ से आ गया। जाओ जाकर पता लगाओ।“

माली दौड़कर बंगले के गेट तक गया और वहीं से नेताजी को पास आने का इशारा करने लगा। नेताजी लगभग दौड़ते हुए गेट तक पहुँचे। वहाँ पर बुरा हाल था।

ठीक गेट से ही मोटी मोटी रस्सियों से कई गाएँ और साँड बँधे हुए थे। मेन रोड से गेट तक आने वाली छोटी सी सड़क पर इतनी गाएँ बँधी थी कि तिल रखने की जगह नहीं थी।

नेताजी ने नाक को अपने गमछे से ढ़क लिया और बोले, “अरे बाप रे, ये गाएँ तो बहुत बुरी हालत में लग रहीं हैं। इनमें से तो कुछ के पेट भी खराब लग रहे हैं। उनका गोबर तो दस्त की तरह दिख रहा है। गोबर की बदबू भी कुछ अजीब सी है।“

माली ने जवाब दिया, “सरकार, ये सब आवारा पशु लगते हैं। दिन भर कूड़ा कचरा खाने की वजह से इनका हाजमा भी खराब हो गया है। गोबर की अजीब सी बदबू भी ऊलजलूल खाने के कारण है।“

नेताजी ने नाक भौं सिकोड़ते हुए कहा, “लगता है ये सब विपक्ष की चाल है।“

माली ने कहा, “हाँ हाँ, आपको जुकाम भी हो जाए तो विपक्ष पर ही आरोप लगता है।“

तभी नेताजी का सेक्रेटरी गेट के बाहर से आता दिखाई दिया। गेट खोलकर आने का सवाल ही नहीं पैदा होता था। लिहाजा सेक्रेटरी दीवार फाँद कर अंदर घुसा। उसे देखते ही नेताजी आग उगलने लगे, “कहाँ थे सुबह से? जरूरी मीटिंग में जाना है। उसके बाद गौरक्षा के सिलसिले में भाषण भी देने जाना है। तुम्हारे रहते हुए ये सब किसने कर दिया?

सेक्रेटरी ने थोड़ा दम लेने के बाद कहा, “अरे सर, लगता है कल का न्यूज नहीं सुना आपने। आजकल जो नया जोकर आ गया है उसने कल किसी खूँटा गाड़ो अभियान के बारे में बताया था। कह रहा था कि हमारी पार्टी के सभी आला नेताओं के घर के बाहर आवारा गायों को खूँटे से बाँध देगा। इतनी जल्दी वे काम पर भी लग जाएँगे पता नहीं था।“

तभी बंगले के सामने कई नामी गिरामी टीवी चैनलों के ओबी वैन रुकते दिखाई दिये। उनमें से धड़ाधड़ कैमरामैन उतरने लगे। साथ में सुंदर और कमसिन बालाएँ हाथ में माइक लिए गेट की तरफ दौड़ती दिखाई पड़ गईं। अब नेताजी के पास और कोई रास्ता न था। बुझे मन से उन्होंने गेट खोला और बाहर की तरफ चल पड़े। गेट से बाहर आते ही उनका पहला पैर छपाक से गोबर की ढ़ेर पर पड़ा। नेताजी का मन अंदर तक घिन से भर गया। लेकिन अपनी वेदना छुपाते हुए नेताजी ने चेहरे पर 1000 वाट की मुसकान लाने में सफलता पा ली थी। एक टीवी रिपोर्टर ने इस तरह की जींस और टीशर्ट पहन रखी थी जिससे उसका यौवन नेताजी पर कहर ढ़ाने के लिए काफी था। उस रिपोर्टर ने नेताजी के मुँह में माइक घुसेड़ते हुए पूछा, “नेताजी, आपके बंगले के बाहर इतनी गाएँ बँधी हुई हैं। आपको कैसा महसूस हो रहा है?”

नेताजी ने अपनी बत्तीसी दिखाते हुए कहा, “मुझे बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा है। ऐसा लगता है कि मेरा बचपन वापस आ गया है। ऐसा लगता है कि मैं सुबह सुबह गाएँ चराने जा रहा हूँ। गाय हमारी माता है। हम तो बचपन से ही गौ माता की सेवा में उद्धत रहे हैं।“

रिपोर्टर ने फिर पूछा, “नेताजी, इन गायों का आप क्या करेंगे। इन्हें यहाँ से खदेड़ देंगे या अपने आलीशान बंगले में पनाह देंगे।“

नेताजी ने जवाब दिया, “गाय हमारी माता है। भला कोई अपनी माँ को भगाता है। मैं इन सभी गायों को अपने बंगले में ही रखूँगा। मैं विपक्ष का शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ कि उसने मुझे गौ माता की सेवा करने का मौका दिया।“