Pages

Thursday, May 10, 2018

भेड़िया आया?


मैं शाम की चाय की पहली चुस्की का स्वाद ले रहा था कि तभी धनबाद वाले फूफा जी का फोन आया, “हाँ भई, कैसे हो? बाल बच्चे कैसे हैं? सुना दिल्ली में तूफान आने वाला था। क्या हुआ?”

मैंने जवाब दिया, “प्रणाम फूफाजी, बस कृपा है ऊपर वाले की। अरे नहीं, कहाँ आया तूफान। हम भी तीन दिनों से उसी तूफान का इंतजार कर रहे हैं। गोलू ने तो पीछे वाली बालकनी में सेल्फी स्टिक को ही फिक्स कर दिया है ताकि इस बार तूफान आने की जबरदस्त वीडियो बना सके।“

फूफा जी ने कहा, “हाँ, तुम्हारा फ्लैट तो बीसवें फ्लोर पर है। वहाँ से तो दस पंद्रह किलोमीटर तक का नजारा दिखता है। मजेदार वीडियो बनेगा।“

मैने कहा, “हाँ बता रहा था कि एक बार अगर उसका वीडियो यूट्यूब पर हिट हो गया तो फिर लाखों रुपये आ जाएंगे।“

फूफा जी ने फिर पूछा, “हाँ, इधर न्यूज चैनल पर दिखा रहे हैं कि दिल्ली में लगभग आधे घंटे पहले भूकंप भी आया था। कुछ पता चला?”

मैने कहा, “अरे नहीं, इन न्यूज चैनल वालों के पास कोई काम धाम तो है नहीं। दिल्ली को ये लोग दुनिया का केंद्र समझते हैं। कहाँ पता चला भूकंप का।“

फूफा जी ने कहा, “बता रहे हैं कि हिंदूकुश के पहाड़ों में भूकंप का केंद्र हैं। रिक्टर स्केल पर 6 से अधिक की तीव्रता है। बता रहे हैं कि दिल्ली में खलबली मच गई है।“

मैंने कहा, “हाँ, इनके लिए तो सारी खलबली दिल्ली में ही मचती है। बता ऐसे रहे होंगे जैसे कि 6 रिक्टर का न होके 9 रिक्टर का भूकंप हो। गनीमत है कि भूकंप की भविष्यवाणी की कोई तकनीक नहीं बनी है अब तक। नहीं तो ये न्यूज चैनल वाले छोटी से छोटी भविष्यवाणि होने पर पूरा का पूरा पैनल बिठा देते बहस के लिये।“

फूफाजी ने कहा, “अब मैं ठहरा रिटायर आदमी। मेरे जैसे लोगों के लिये ठीक ही है। पूरे दिन मनोरंजन होता रहता है। अब तो भाभीजी घर पर हैंभी बासी लगने लगी है। हाँ चैतूलाल कभी कभी मजा दे देते हैं। वैसे तूफान की भविष्यवाणी से फायदा भी तो है। लोग पहले से सावधान रहेंगे तो नुकसान कम होगा।“

मैने कहा, “अब दिल्ली किसी समंदर के किनारे तो है नहीं कि कोई भयानक तूफान आ जायेगा। बस यहाँ के लोगों को हर बात में अमेरिका से टक्कर लेने की मची रहती है। अमेरिका में कैटरीना नाम का तूफान आया था, अब यहाँ पर त्रिजटा या सुरसा नाम का तूफान जब तक न आ जाये तब तक चैन नहीं।“

फूफा जी ने कहा, “मुझे तो दाल में कुछ काला लग रहा है।“

मैने थोड़ी हैरानी से पूछा, “अब इस तूफान में आपको क्या काला नजर आ रहा है?”

फूफा जी ने कहा, “अरे, धूप में बाल सफेद नहीं किया है। तुम इन नेताओं को नहीं जानते। ये हम पर राज करते हैं। हमसे हजार गुना अक्लमंद और चतुर होते हैं। ये तूफान का चक्कर और कुछ नहीं बस ध्यान भटकाने का चक्कर है। पब्लिक महातूफान की चेतावनी, और उससे निबटने की सलाहों में उलझी रहेगी; इस बीच हमारे शासक यानि नेता लोग कुछ बड़ा कांड कर देंगे।“

मैने कहा, “और बाद में हम गाते रहेंगे कि कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे।“

तभी मेरा ध्यान बालकनी से बाहर की ओर गया। थोड़ी तेज हवा चल रही थी लेकिन तूफान जैसा कुछ भी नहीं था। बारिश भी शुरु हो चुकी थी। पलक झपकते ही पिछले तीन चार दिन की तपती गरमी गायब हो चुकी थी और मौसम सुहावना हो चुका था। मैने फूफा जी से कहा, “फूफा जी, मौसम विभाग के वैज्ञानिकों की नौकरी बच गई। दिल्ली में बारिश शुरु हो चुकी है।“