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Sunday, July 17, 2016

सीरियस मरीज?

कई बार डॉक्टर की क्लिनिक में कुछ मजेदार घटनाएँ होती हैं। कुछ मरीज और उनके एटेंडेंट जरूरत से ज्यादा परेशान रहते हैं। यह किसी भी मरीज के साथ आए आदमी के लिए नॉर्मल हो सकता है। लेकिन डॉक्टर, नर्स, कंपाउंडर या मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव जैसे प्राणियों के लिए यह आम बात होती है। ऐसी ही एक घटना का जिक्र इस कहानी में है।

एक बार मैं मुंगरा बादशाहपुर नाम के एक गाँव में काम करने गया था। यह गाँव जौनपुर इलाहाबाद वाली सड़क पर जौनपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर है। उस गाँव के बाजार के आखिर में एक बूढ़ा डॉक्टर बैठता था। वह डॉक्टर पहले किसी सरकारी हॉस्पिटल में हुआ करता था और रिटायर होने के बाद अपने पैतृक गाँव में अपनी क्लिनिक चलाता था। उस डॉक्टर को गप्पें मारना बहुत पसंद था इसलिए हम लोग उसकी कॉल सबसे आखिर में किया करते थे।

अपना बाकी काम निबटा कर मैं उस डॉक्टर की क्लिनिक पर पहुँचा। दोपहर के ढ़ाई बज रहे थे इसलिए क्लिनिक पर सन्नाटा था। नमस्ते करने के बाद मैं उस डॉक्टर के पास बैठ गया और फिर हम इधर उधर की बातें करने लगे। थोड़ी देर बाद मैंने अपना विजुअल ऐड निकाला और मुद्दे की बात करने लगा।

अभी मैंने शुरु ही किया था कि उसकी क्लिनिक में दो लड़के तेजी से आए। दोनों की उम्र सोलह सत्रह के आसपास रही होगी। उनमें से एक को देखकर लगता था कि वह किसी तेज दर्द से तड़प रहा था। उसने अपनी आँखें भींच रखी थी और अजीब ढँग से मुँह बना रहा था। उसके साथ आया लड़का जोर-जोर से चिल्ला रहा था, “अरे डाक्टर साहब, देखो इसको। पता नहीं क्या हो गया है। पेट में बहुत दर्द हो रहा है। लगता है अभी दम तोड़ देगा। जल्दी कुछ करो डाक्टर साहब।“

डॉक्टर ने उसकी ओर देखा और बड़े ही शांत भाव से कहा, “बैठो और थोड़ा इंतजार करो। पहले इन साहब से बात कर लें फिर इसे देख लेंगे।“

डॉक्टर की बातों में वजन था। उसके कहने पर दोनों लड़के शांत हो गए और पास रखी बेंच पर बैठ गये। फिर डॉक्टर मेरी बातें सुनने में मशगूल हो गया था। अभी कोई दो तीन मिनट ही बीते होंगे कि वह लड़का फिर से चिल्लाने लगा, “अरे डाक्टर साहब, यहाँ मेरे भाई की जान जा रही है और तुमको गप्पें लड़ाना सूझ रहा है। जल्दी कुछ करो, नहीं तो यह दर्द से मर जाएगा।“ साथ में दूसरा लड़का जोर जोर से उफ्फ! आह! मर गया रे! आदि चिल्ला रहा था।

उन्हें ऐसा करते देख उस डॉक्टर ने मुझे रुकने का इशारा किया और बड़े आराम से अंदर एक कमरे में चला गया। उसके बाद जो हुआ उसे याद करके आज भी मैं अपनी हँसी रोक नहीं पाता हूँ। थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि डॉक्टर उस कमरे से बड़ी तेजी से निकल रहा था। उसके हाथ में एक बड़ी सी सीरिंज थी; जो जानवरों को इंजेक्शन देने के काम आती है। उस सीरिंज में पानी जैसा कुछ भरा हुआ था। उसकी मोटी सूई से तेज धार निकल रही थी। डॉक्टर नपे तुले कदमों से उन लड़कों की तरफ बढ़ रहा था। उसका चेहरा भाव शून्य था। जब उन लड़कों ने डॉक्टर को इस तरह अपनी ओर आते देखा तो उन दोनों को तो जैसे करेंट लग गया। दोनों तेजी से उठे और बाजार की तरफ दौड़ पड़े। थोड़ी ही देर में वे दोनों नजरों से ओझल हो गए।


उसके बाद मैं और डॉक्टर जोर-जोर से हँसने लगे। डॉक्टर ने कहा, “अरे बाल सफेद हो गए ऐसे नाटक देखते देखते।“