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Tuesday, August 15, 2017

नागिन डांस

जैसे ही ई-रिक्शा दरवाजे के सामने रुका, उसपर लदे हुए लोगों और सामान को देखकर मधुरेश कुछ ज्यादा ही खुशी जाहिर करते हुए जोर से बोला, “आइए, आइए, आपकी ही बाट जोह रहा था। उम्मीद है मकान खोजने में परेशानी नहीं हुई होगी। गुड्डू ने ईरेल पर देखकर बताया था कि आपकी ट्रेन चार घंटे लेट चल रही थी।“

अपने सामान और परिवार को बरामदे पर पहुँचाते हुए नरेंद्र सिन्हा अपनी बत्तीसी दिखाने की असफल कोशिश करते हुए बोले, “अरे नहीं, मेरा बचपन तो इसी समस्तीपुर में बीता था। अपनी स्कूली शिक्षा मैंने यहीं से प्राप्त की थी। अभी भी बहुत कुछ वैसा ही है। हाँ भीड़-भाड़ बढ़ गई है। पहले जो गाँव जैसे इलाके थे अब वहाँ भी शहर पहुँच चुका है।“

सामान उठाने में मदद करते हुए मधुरेश ने कहा, “मैं खुद ही आ रहा था, आपको स्टेशन से लिवा लाने के लिए। लेकिन क्या करूँ, शादी ब्याह का घर है कोई न कोई काम निकल ही जाता है।“

नरेंद्र सिन्हा ने कहा, “अरे इसकी क्या जरूरत है? आपने बड़ी जिम्मेदारी ली है अपने ऊपर। किसी की की शादी सही ढ़ंग से सम्पन्न करा देना कोई हँसी मजाक थोड़े ही है। इतना बिजी होने के बावजूद भी आपने मेरे परिवार के लिए अलग से ठहरने का इंतजाम कर दिया। ...”

मधुरेश ने बरामदे से लगे कमरे का दरवाजा खोलते हुए कहा, “अरे, ये तो मेरा कर्तव्य था। आपके पुराने अहसान हैं हमपर। और फिर मुझे आपकी बेटी पूनम की शादी भी तो करवानी है।“

नरेंद्र सिन्हा ने बैग और सूटकेस कमरे के अंदर पटकते हुए कहा, “हाँ, आजकल अच्छे लड़के बड़ी मुश्किल से मिलते हैं। आपके बताये लड़के को देखने के खयाल से ही तो हम इस शादी में शरीक होने आए हैं। नहीं तो मै तो अपने लड़के के हाथों ही शगुन भिजवा देता। आजकल टाइम कहाँ मिल पाता है। ऊपर से अगर साल में तीन चार शादियों में न्योता करना पड़े तो पूरा बजट बिगड़ जाता है। वैसे, जिस लड़के की बात आपने की है, वो इस शादी में शामिल तो होगा ना?”

मधुरेश ने कहा, “अरे जिनके यहाँ शादी है उनके और इस लड़के के परिवार को समझिये जनम जनम का नाता है। ये लोग हमेशा से एक दूसरे के सुख दुख में शरीक होते रहे हैं। और तो और, यह लड़का तो समझिये कि मेरी जेब में है। है तो मेरे दूर के रिश्ते का भांजा लेकिन आस पास रहने की वजह से मेरे मुँह लगा है। आप तो तब उछल पडेंगे जब आपको पता चलेगा कि यह कमरा जहाँ मैंने आपके ठहरने का इंतजाम किया है, यह उन्हीं के मकान का हिस्सा है।“

यह सुनकर नरेंद्र सिन्हा की मुसकान रोके न रुक रही थी। उन्होंने कहा, “अच्छा है, पूनम और उसकी माँ भी आराम से घरेलू माहौल में लड़के को देख लेगी। आजक्ल अच्छा लड़का तो बड़ा महँगा आता है। आपको हमारी माली हालत का पता ही है। हम उतना दहेज देने की स्थिति में नहीं हैं। हाँ बेटी को बड़े जतन से पढ़ाया है, बरौनी के डीएवी स्कूल में टीचर है। अच्छी खासी तनख्वाह मिलती है। उम्मीद है कि कमाउ लड़की देखकर लड़के वाले थोड़ा पसीज जाएँ।“

मधुरेश ने कहा, “आप अब नहाधो लीजिए और तैयार हो जाइए। आज शाम को तिलक है, वहीं लड़के को देख भी लीजिएगा। परसों बारात जानी है, और उसके तीसरे दिन रिसेप्शन है। उसके बाद वाले दिन की तारीख ले लेता हूँ मैं लड़के के पापा से। लड़का अकेला भाई है और उसकी एक ही बहन है जिसकी शादी हो चुकी है। लड़के के पापा का अपना मकान है जिसमें आप अभी विराजमान हैं। और कुछ तो नहीं है लेकिन बीच शहर में मेन मार्केट में अपना मकान होना ही बहुत बड़ी बात होती है। लड़की की शादी हो चुकी है इसलिए कोई बोझ भी नहीं है। अब आजकल के कायस्थों के पास इससे अधिक की आप उम्मीद भी नहीं कर सकते।“

मधुरेश के जाने के बाद नरेंद्र सिन्हा ने कमरे का मुआयना किया। उस कमरे में एक पलंग और एक तखत बिछी हुई थी। एक पुराना सा जर्जर सोफा सेट भी था जिसपर लाल रंग के मखमल का कवर चढ़ा हुआ था। उन तीन जनों के रुकने के लिए वह कमरा काफी लग रहा था। उस कमरे का भीतरी दरवाजा आंगन में खुलता था। आंगन में एक कोने में हैंडपंप लगा था। हैंडपंप के पास ही एक दरवाजा था जिसपर लगी नमी से यह अंदाजा लगाया जा सकता था कि वह गुसलखाना था। थोड़ी देर में अंदर से एक अधेड़ महिला दाखिल हुईं। नरेंद्र सिन्हा और उनकी पत्नी को नमस्ते करने के बाद उस महिला ने उन्हें गुसलखाने का रास्ता बता दिया। उसने ये भी बता दिया कि नरेंद्र सिन्हा उसे अपना ही घर समझें और बेहिचक जो जरूरत पड़े मांग लें। उसने ये भी बताया कि नरेंद्र सिन्हा को अपने घर में ठहराने का जो सौभाग्य उसे प्राप्त हुआ था उससे वह बहुत प्रसन्न थी।

राहुल उतना ही बाँका नौजवान है जितना उसकी उमर के लड़के हुआ करते हैं। पतला दुबला छरहरा शरीर जिसपर एक छोटी सी तोंद यह बता रही थी कि लड़का दो तीन साल से नौकरी कर रहा था और अपनी जिंदगी से काफी संतुष्ट था। उसकी बड़ी-बड़ी आँखों के ऊपर गिर आये उसके काले-काले बाल किसी भी युवती को मोहित करने का दम रखते थे। राहुल और मधुरेश के बीच गहरी दोस्ती थी, क्योंकि उन दोनों के बीच उम्र का फासला कम ही था। मधुरेश रिश्ते में उसका मामा लगता था लेकिन राहुल के बहुत सी राज का राजदार था। राहुल किसी प्राइवेट कम्पनी में बतौर सेल्स रिप्रेजेंटेटिव काम करता था इसलिए लड़की वाले उसके घर की तरफ झाँकते भी नहीं थे। इसलिए उसे अपने मुँहबोले मामा की पैरवी करनी पड़ती थी ताकि कोई लड़की वाला उसकी तरफ भी निगाह डाल सके। मधुरेश कभी कभी उससे बड़े ज्ञान की बातें करता था। एक बार मधुरेश ने कहा था, “पता है, हमारे देश में लिंग अनुपात बड़ा खराब है। हर एक हजार पुरुष पर केवल नौ सौ चालीस के आस पास स्त्रियाँ हैं। अगर तुम्हारी किस्मत खराब हुई तो तुम्हारा रॉल नम्बर नौ सौ चालीस के बाद आयेगा और फिर तुम रह जाओगे आजीवन कुँवारे।“

इस बार राहुल को बहुत उम्मीद थी। मधुरेश ने बताया था कि लड़की दिखने में ठीक ठाक है और साथ में नौकरी भी करती है। लड़की के पिताजी के पास धन संपदा नाम की कोई चीज नहीं थी, इसलिए वहाँ आशा की जा सकती थी। राहुल को तो किसी तरह से एक लड़की चाहिए थी जो उसकी बीबी बने और आगे के सफर में साथ दे। उसे या उसके परिवार वालों को एक बहू मिल जाए यही बहुत था, दहेज के बारे में तो वो कबकी उम्मीद छोड़ चुके थे।

शाम को तिलक समारोह में नरेंद्र सिन्हा और उनकी बीबी उतना ही सजे धजे जितना उनकी उम्र पर फब सकता था। बेटी को सजाने में उसकी माँ ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। उधर राहुल भी ब्लू जींस और लाल टी-शर्ट पहनकर आया था। राहुल के दोस्तों ने घर के पिछवाड़े में एक पेड़ की ओट में एक खटारा सी मारुति कार में पूरा इंतजाम कर रखा था। राहुल ने इशारा पाते ही उस पेड़ की तरफ कूच कर दिया। पता चला कि जिस लड़के की शादी थी उसके छोटे भाई ने व्हिस्की और रम का भरपूर इंतजाम किया था। राहुल और उसकी उम्र के लड़के तो बस वहीं डेरा जमाए हुए थे। थोड़ी अधिक उम्र के पुरुष बीच बीच में आकर गटागट एक एक पेग गटककर चले जाते थे। जब तक सोमरस का स्टॉक समाप्त हुआ तबक राहुल और उसके दोस्तों पर शुरूर पूरी तरह से छा चुका था। उसके बाद वे लड़के डांस के लिए बने स्टेज पर पहुँच गये और उसपर कब्जा कर लिया। उसके बाद बाकी लोगों को डांस फ्लोर छोड़कर जाना पड़ा। राहुल ने गजब का डांस दिखाया। बॉलीवुड के लेटेस्ट नम्बर की हूबहू नकल उतारने में उसका कोई सानी नहीं था। जब सभी लेटेस्ट डांस का दौर खतम हुआ तो बारी आई उस डांस की जिसकी पॉपुलरिटी के आगे बाकी के हार डांस पीछे रहते हैं; खासकर शादियों के मौसम में। जी हाँ, मैं नागिन डांस की बात कर रहा हूँ। राहुल पहले तो नागिन बनकर डांस करता रहा। फिर संपेरा बन गया। नागिन से संपेरा और संपेरे से नागिन बनने का दौर जो शुरु हुआ वह खतम होने का नाम ही नहीं ले रहा था। उस डांस पर जवान लोग तो सीटियाँ बजा रहे थे। लेकिन बुजुर्ग और महिलाएँ अपने नाक भौं सिकोड़ रही थीं। तिलक का भोज खाने के बाद सारे मेहमान चले गये लेकिन राहुल और उसकी मंडली का प्रोग्राम तबतक चलता रहा जबतक वो लोग निढ़ाल होकर गिर नहीं गये।

इसी तरह बारात में भी उन लड़कों जमकर मजा किया और हंगामा किया। उनका मूड बनाने के लिए व्हिस्की और रम की सप्लाई सुचारु रूप से चलती रही। फिर दुल्हन की विदाई हुई और उसके बाद रिसेप्शन भी हुआ। रिसेप्शन के बाद वह दिन आ गया जिसका राहुल और उसके मम्मी पापा को बेसब्री से इंतजार था।

राहुल के पापा ने खुद जाकर बाजार से गुलाब जामुन, नमकीन और जिंदा रोहू मछली लाई। राहुल की मम्मी ने बड़े जतन से मछली बनाई। उनके घर में पहली बार कोई लड़की वाला रिश्ते की बात करने आ रहा था। इसलिए वे उनकी खातिर में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते थे। अब अगर आप मिथिला में रहते है तो किसी को मछली भात खिलाने से बड़ी खातिर और क्या हो सकती है। मछली देखना और खाना तो यहाँ शुभ माना जाता है।

लंच का वक्त होने को आ रहा था लेकिन नरेंद्र सिन्हा का कहीं अता पता नहीं था। दोपहर के तीन बजने वाले थे तभी मधुरेश आता दिखाई दिया। मधुरेश के चेहरे को देखकर लग रहा था कि मामला कुछ ठीक नहीं है। राहुल के पापा ने पूछा तो मधुरेश ने बताया कि नरेंद्र सिन्हा के प्रोग्राम में थोड़ा बदलाव हुआ था। उनको अचानक बरौनी में कोई काम पड़ गया था इसलिए वे बता रहे थे कि एक दो महीने बाद ही आएँगे। इतना सुनने के बाद राहुल और उसकी मम्मी पापा के चेहरे बुझ गये। 

राहुल के पापा अपनी भड़ास निकालने लगे, “पहले ही कहता था कि किसी कंपिटीशन की तैयारी करो। अरे, अगर बैंक में क्लर्क भी हो जाते तो लड़की वालों की लाइन लग जाती। दिमाग खराब हुआ था कि चले थे प्राइवेट नौकरी करने। अभी भी उम्र नहीं बीती है। दो साल मैं तुम्हें पाल सकता हूँ। ठीक से तैयारी करोगे तो बैंक क्लर्क का कंपिटीशन निकालने के लिये दो साल बहुत होते हैं।“

उन्हें बीच में ही टोकते हुए मधुरेश ने कहा, “अरे नहीं जीजाजी, वो बात नहीं है। वे लोग तो इस नालायक के दारू पीने की वजह से भड़क गये हैं। और करो नागिन डांस। अरे अब उम्र हो गई है। अभी इंप्रेशन खराब हो गया तो आस पास के सौ किलोमीटर से कोई लड़की वाला झाँकने तक नहीं आयेगा।“

मधुरेश ने आगे कहा, “जैसे ही नरेंद्र सिन्हा ने अपनी बीबी को राहुल के बारे में बताया वो फौरन भड़क उठी। कहने लगी कि उसी दारू के चक्कर में उनकी जिंदगी नरक हो गई। वो अपनी बेटी को आजीवन कुँवारी रखेंगी लेकिन किसी बेवड़े के हाथ में कभी नहीं देंगी।“

राहुल के पापा ने कहा, “ठीक ही तो कह रही थीं। नरेंद्र सिन्हा को मैं कोई आज से जानता हूँ? उसकी रेलवे की नौकरी उसी दारू के चक्कर में छूट गई थी। फिर उसके चाचा ने पैरवी करके बरौनी रिफाइनरी में रखवाया था, वहाँ से भी भगा दिया गया था।“

मधुरेश ने कहा, “हाँ नरेंद्र सिन्हा तो कह ही रहे थे कि लड़का थोड़ जॉली नेचर का है। उमर है इसलिए खाता पीता है। एक बार शादी हो जाएगी तो रास्ते पर आ जायेगा। लेकिन उनकी बीबी ने अपना वीटो लगा दिया।“

उसके बाद मधुरेश ने राहुल से कहा, “बेटा, एक बात गाँठ बाँध लो। आज के बाद नागिन डांस बंद। कभी पीने पिलाने का प्रोग्राम हो तो छुपाकर ही करना। तभी कोई तुम्हारी शादी कराने का बीड़ा लेगा।“


राहुल ने नजरें झुकाकर कहा, “मामा, मैं वादा करता हूँ कि आज के बाद नागिन डांस बिलकुल बंद। अब तो मेरी शादी भी हो जायेगी तब भी नागिन डांस नहीं करूँगा।“