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Monday, June 19, 2017

पहली बारिश

मौसम का मिजाज देखकर और अखबार में मौसम रिपोर्ट पढ़ने के बाद ऐसा लगने लगा कि आज मानसून ने मेरे शहर में शुरुआत कर ही दी। अखबार पढ़ने के साथ जब चाय की चुस्कियाँ खतम हुई तो सोचा जरा टीवी न्यूज चैनलों पर भी देख लूँ कि मौसम का क्या हाल होने वाला है। सारे न्यूज चैनल के एंकर गला फाड़ फाड़ कर यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि भारत के बड़े भूभाग में मानसून का आगमन हो चुका है। उनके द्वारा यह भी पता चला कि स्वयं प्रधानमंत्री ने ट्वीट करके पूरे देश को मानसून के आने की बधाई दी है। यह सुनकर मेरा रोम-रोम कृतज्ञ हो गया। चैनल सर्फ करते करते मैने पाया कि एक चैनल पर बकायदा एक पैनल भी बैठ चुका था। उस पैनल में टीवी चैनल पर हमेशा दिखने वाले कुछ गणमान्य व्यक्ति मानसून के नफे नुकसान पर बहस में उलझे पड़े थे। कभी कभी इन व्यक्तियों की ऊर्जा देखकर बड़ा ताज्जुब होता है। मेरी समझ में नहीं आता कि जब सारे चैनल लाइव बहस दिखाते हैं तो एक ही साथ ये ज्ञानी लोग एक से अधिक चैनल पर कैसे नजर आते हैं। शायद इन लोगों ने नोएडा की फिल्म सिटी में अपने चैंबर खोल रखे होंगे। कुछ न्यूज एंकर तो मानसून के आगमन को इस तरह से पेश कर रहे थे जैसे भारत की आजादी के सत्तर वर्षों में पहली बार मानसून आया हो।

थोड़ी देर बाद मै कुछ ऐसे न्यूज चैनलों तक पहुँच गया जिनके पास बजट की इतनी कमी होती है कि वे बारिश की भी रिकार्डिंग नहीं कर पाते। ऐसे चैनल के लिए बॉलीवुड एक रामबाण की तरह काम करता है। जब कोई उपाय काम नहीं करता है तो ये चैनल वाले हिंदी फिल्मों के हिट गाने बजाने लगते है। क्रिकेट या हॉकी का मैच जीतने के बाद यदि एंकर का गला बैठ जाए तो बैकग्राउंड में चक दे इंडिया वाला गाना बजाने से बात बन जाती है। सीमा पर गोलीबारी के वीडियों के साथ सुनो गौर से दुनिया वालो....के बोल सही मेल खाते हैं। उसी तर्ज बर कुछ चैनल वाले टिप टिप बरसा पानी..........” बजा रहे थे जिसमें रवीना टंडन अपनी मादक अदाएँ दिखा रही थी। उस गाने को देखकर मुझे अपने कॉलेज के दिनों की याद आ गई। लेकिन बगल में मेरा जवान होता हुआ बेटा बैठा था इसलिए मैंने चैनल बदलने में ही भलाई समझी। अगले चैनल पर बरसो रे मेघा मेघा ..........” बज रहा था। एक दो चैनल के बाद सावन का महीना पवन करे सोर ..........सुनकर तसल्ली मिली। मुझे पक्का यकीन था कि आजकल के रैप सुनने वाले बच्चे सुनील दत्त और नूतन पर फिल्माए गये उस गाने को भजन ही समझेंगे।

मैं गाने का मजा ले ही रहा था कि मेरी पत्नी बगल में आकर बैठ गई और कहा, “याद है जब हम जौनपुर में थे तो पहली बारिश में छत पर कितना भीगे थे?’

मैने पुरानी यादें ताजा करते हुए कहा, “हाँ, फिर तुमने कमाल का डांस किया था। उसके बाद हमारे मकान मालिक ऊपर आ गये थे और बहुत डाँटा था कि बारिश में भीगने से तबीयत खराब हो जाती ह।“

मेरी पत्नी ने कहा, “अरे वो बुड्ढ़ा, ऐसे ही दाल भात में मूसलचंद बन रहा था।“

मेरी पत्नी ने आगे कहा, “याद है, जब अपना गोलू छोटा था तो हम छतरपुर वाले मकान की छत पर इसको भी बारिश में नहलाते थे।“

तभी कॉलबेल की आवाज आई। मेरे बेटे ने दरवाजा खोला तो पता चला कि ग्राउंड फ्लोर वाली पड़ोसन अपने दोनों बच्चों के साथ खड़ी थी। उसने मेरी पत्नी से कहा, “भाभी, वो क्या है कि दोनों बारिश में भीगने की जिद कर रहे थे।“

मैने कहा, “नीचे तो इतनी खुली जगह है, पूरा पार्क है। भीगने दो।“

मेरी पड़ोसन ने कहा, “नहीं, मुझे नीचे सबके सामने भीगने में अच्छा नहीं लगता। सोचा ऊपर छत पर जाकर बारिश में भीगने का मजा लूँगी। वहाँ कोई नहीं देखेगा।“

मैने कहा, “नीचे जब लोग देखेंगे तो उन्हें भी तो मजा आयेगा। कम से कम बाकी लोगों का तो खयाल किया होता।“

मेरी पत्नी ने मुझे चुप होने का इशारा किया, और छत के गेट की चाबी पड़ोसन को दे दी। वह अपने बच्चों को लेकर छत पर चली गई।

उसके बाद मैं भी सुहाने मौसम का लुत्फ उठाने के लिए बालकनी में खड़ा हो गया क्योंकि छत पर नहीं जा सकता था। बगल वाली बालकनी में मेरे पड़ोसी बनियान पहने हुए अपनी तोंद सहला रहे थे। उनकी पत्नी अपने बच्चों के साथ गर्मी की छुट्टियाँ बिताने अपने मायके गई हुई हैं। मुझे देखकर मेरे पड़ोसी ने मुसकराकर मेरी उपस्थिति के बारे में अपनी भिज्ञता का इशारा किया। वे अपने मोबाइल फोन पर लगे हुए थे। लगता है अपनी पत्नी से बात कर रहे थे, “हाँ, हाँ, मैने सभी खिड़कियाँ बंद कर दी है। बारिश बहुत तेज होने वाली है। अपनी सेहत का खयाल रखना। नेहा और मेघा को बारिश में मत भीगने देना। एहतियात के लिए तुलसी का काढ़ा पिला देना। खुद भी काढ़ा पीना ना भूलना। ...........”

कहते हैं कि भारत के लिए मानसून का बड़ा महत्व है। यहाँ की पूरी अर्थव्यवस्था पर मानसून का गहरा असर पड़ता है। मानसून यदि खराब होता है तो सरकारें गिर जाती हैं। मानसून के आने की खुशी सब अपने अपने तरीके से मनाते हैं। मोर नाचने लगते हैं। झुग्गी झोपड़ी के बच्चे सड़क पर लगे पानी में उछल कूद मचाते हैं। नये-नये जवान हुए लड़के अपनी बाइक लेकर सड़कों पर पानी उड़ाते हुए चलते हैं। अब तो लड़कियाँ भी अपनी स्कूटी लेकर उनसे टक्कर लेती हुई यह चरितार्थ करती हैं, “व्हाई शुड ब्वायज हैव ऑल द फन?” नवविवाहित जोड़े बारिश में भीग कर ऊल जलूल हरकतें करते हैं। जिनके बच्चे बड़े हो जाते है वे एक दूसरे को और अपने बच्चों को सर्दी जुकाम से बचने की सलाह देते हैं।


लेकिन पहली बारिश के बाद जो बारिश होती है उसके नाम से ही दिल दहल जाता है। जगह जगह जलजमाव होने से महाजाम लगता है। लोगों को अपने ऑफिस पहुँचने में घंटों लग जाते हैं। उसके बाद मन शायद यह गाने लगता है, “बादल यूँ गरजता है, डर कुछ ऐसा लगता है, चमक चमक के लपक के ये बिजली हम पे गिर जाएगी।“