शाम में जब मेरा रूम मेट राकेश काम से थका हारा वापस लौटा तो कुछ कुछ हताश भी लग रहा था। उसने अपना हाथ मुँह धोया और फिर अपने लिये चाय बनाई। उसके बाद वह एक बीन बैग पर बैठ कर चाय पीने लगा। साथ में उसने एक सिगरेट भी जलाई। वह बार बार सिगरेट का धुँआ नीचे फर्श की तरफ छोड़ रहा था।
मैं समझ गया कि वह अंदर से बहुत परेशान था। मैंने पूछा, "क्या बात है? आज कुछ ज्यादा ही परेशान लग रहे हो। बॉस से कहा सुनी तो नहीं हो गई?"
राकेश ने सिगरेट का एक गहरा कश लिया और बोला, "नहीं यार, बॉस तो पिछले वीक ही काम कर के गया है। एक डॉक्टर है जिसपर मैने काफी मेहनत की है। मेरी कंपनी ने हाल ही में एक नया एंटिबायोटिक लॉन्च किया था। अगर वह लिख दे तो मैं ऑल इंडिया टॉपर बन जाऊँगा।"
मैने तुक्का लगाते हुए पूछा, "तुम कहीं डॉक्टर बी के मुखर्जी की बात तो नहीं कर रहे?"
राकेश ने हामी भरते हुए कहा, "हाँ यार, एक वही तो डॉक्टर है हमारी टेरिटरी में जो किसी प्रोडक्ट को छू भर दे तो लड़के प्रोमोट हो जाते हैं।"
मैने कहा, "मुझे तो लगता है कि तुमने उसके पीछे काफी मेहनत की है।"
राकेश ने कहा, "हाँ भई, पिछले छ: महीने से हर महीने चार बार मिल रहा हूँ। गिफ्ट और सैंपल से लाद दिया है। सुबह सुबह रोज ओपीडी शुरु होने से पहले उसे अपनी बत्तीसी भी दिखा आता हूँ। लेकिन वह तो टस से मस नहीं हो रहा।"
मैने कहा, "लगे रहो। आज न कल अगर इसने तुम्हारे प्रोडक्ट को पकड़ लिया तो फिर तुम्हारी तो निकल पड़ी।"
राकेश की चाय तब तक खत्म हो चुकी थी। सिगरेट का आखिरी कश खींचने के बाद उसने उसके टोंटे को बड़ी बेरहमी से ऐश ट्रे में कुचला और बोला, "अब मैने सोच लिया है। बहुत हो चुका। कल जाता हूँ और उससे सीधे-सीधे पूछता हूँ।"
मैंने कहा, "क्या पूछोगे? तुम्हारा प्रोडक्ट क्यों नहीं लिखता? बोलेगा इट इज नॉट माई जॉब्।"
राकेश अपने नथुने फड़काते हुए बोला, "मैं पूछूंगा कि डॉक्टर साहब आप क्यों नहीं लिखते। मेरी कम्पनी खराब है? मेरे प्रोडक्ट खराब हैं। या मेरा चेहरा खराब है। कुछ तो बोलेगा।"
मुझे मन ही मन उसकी बुद्धि पर तरस आ रहा था। मैने उससे कहा, "भैया, कोई भी डॉक्टर तब तक किसी प्रोडक्ट को हाथ नहीं लगाता जब तक कि वह उसके बारे में पूरी तरह से कॉन्फिडेंट न हो जाये। उसे प्रोडक्ट की मेरिट बताओ। उसे कोई एक इंडिकेशन बताओ। खाली रट्टू तोते की तरह उसके आगे गला साफ करने और उसे अपनी बत्तीसी दिखाने से कुछ नहीं होगा।"
राकेश ने मुझे लगभग घूरते हुए कहा, "भैया, ये सब चोंचले तुम बड़ी कम्पनी वालों के हैं। हम जैसे छोटी कम्पनी वालों से डॉक्टर बस प्रोडक्ट का नाम सुन ले वही बहुत है। तुम अपना ज्ञान अपने पास ही रखो। मुझे अपनी स्टाइल से काम करने दो।"
The life of a sales guy is full of enriching experiences. Read such stories in my new book "A Day in Life of a Sales Representative"
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मैं समझ गया कि वह अंदर से बहुत परेशान था। मैंने पूछा, "क्या बात है? आज कुछ ज्यादा ही परेशान लग रहे हो। बॉस से कहा सुनी तो नहीं हो गई?"
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मैने तुक्का लगाते हुए पूछा, "तुम कहीं डॉक्टर बी के मुखर्जी की बात तो नहीं कर रहे?"
राकेश ने हामी भरते हुए कहा, "हाँ यार, एक वही तो डॉक्टर है हमारी टेरिटरी में जो किसी प्रोडक्ट को छू भर दे तो लड़के प्रोमोट हो जाते हैं।"
मैने कहा, "मुझे तो लगता है कि तुमने उसके पीछे काफी मेहनत की है।"
राकेश ने कहा, "हाँ भई, पिछले छ: महीने से हर महीने चार बार मिल रहा हूँ। गिफ्ट और सैंपल से लाद दिया है। सुबह सुबह रोज ओपीडी शुरु होने से पहले उसे अपनी बत्तीसी भी दिखा आता हूँ। लेकिन वह तो टस से मस नहीं हो रहा।"
मैने कहा, "लगे रहो। आज न कल अगर इसने तुम्हारे प्रोडक्ट को पकड़ लिया तो फिर तुम्हारी तो निकल पड़ी।"
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