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Thursday, December 8, 2016

गाँव में कार्ड स्वाइप मशीन

रामलाल बड़े ही जतन से खैनी को मसल रहा था और उसपर ताल ठोंकते हुए कुछ कुछ ठुमके लगाने के अंदाज से टहल रहा था। साथ में उसके मुँह से हिंदी फिल्म के किसी हिट गाने के बोल के कुछ टूटे फूटे अंश भी निकल रहे थे। ऐसा करते हुए वह जब गाँव की चौपाल के पास पहुँचा तो गाँव के सरपंच ने उससे पूछा, “का हो रामलाल, का बात है, बड़े प्रसन्नचित्त लग रहे हो।“

सरपंच को देखकर रामलाल ने अपने धड़ को कमर के पास से लगभग समकोण पर आगे झुका लिया और सरपंच को नमस्कार करते हुए कहा, “राम राम सरपंच जी, बस आपके तरफ ही आ रहे थे। ई लें एक जूम खैनी। अभी ताजा बनाए हैँ।“

सरपंच भोला पासवान ने रामलाल की हथेली से एक चुटकी खैनी उठाकर अपने मसूढ़ों में दबा ली और फिर पूछा, “हमरी तरफ आ रहे थे। कौनो खास बात?”

रामलाल ने बाकी बची खैनी को अपने मुँह में डाल लिया और जमीन पर उकड़ू बैठते हुए बोला, “लगता है आज का समाचार नाही सुने हैं। आज ऊ जो एक टकला मंत्री है………… अरे का कहते हैं ....... हाँ वित्त मंत्री .......ऊ घोषणा किया है कि अब हर गाँव में एक कार्ड स्वाइप करने का मशीन लगेगा। बस अब हमरा गाँव भी अमरीका बन जाएगा।“

शाम होने ही वाली थी, इसलिए तब तक वहाँ पर गाँव के ज्यादातर वयस्क पुरुष जमा होने लगे थे। कोई चबूतरे पर बैठा था तो कोई एक कटे पेड़ के तने पर और उसके बाद जो बचे थे वे सभी या तो जमीन पर बैठे हुए थे या जमीन पर ही खड़े थे। उन्हीं में रघुबर यादव भी था जो अपने आप को गाँव का सबसे दबंग नौजवान मानता था। मानता क्या था बस यों समझ लीजिए कि उसकी कई हरकतें दबंगों वाली ही थी, मसलन किसी युवती पर फब्तियाँ कसना या उसके साथ छेड़खानी करना, चायवाले की दुकान से मुफ्त की चाय पीना। कभी कभी तो वह खुले में निबटने आई महिलाओं की वीडियो भी बना लेता था। रघुबर यादव ने अपनी लो कट जींस को थोड़ा और नीचे सरकाते हुए कहा, “चचा रामलाल, एक बात पूछें, जब तुम्हरे पास कार्ड ही नहीं है तो स्वाइप मशीन को लेकर इतने उड़ काहे रहे हो?”

रघुबर यादव का सवाल सुनकर कई लोगों को लगा कि कोई रोचक बात हो रही है। इसलिए वहाँ पर मौजूद ज्यादातर लोगों ने एक सुर में कहा, “हाँ भैया, इतना उड़ काहे रहे हो?”

रामलाल अपनी बात को ज्यादा दमदार तरीके से रखने के मंशे से उठकर खड़ा हो गया और बोला, “हम मानते हैं कि हमरे पास कार्ड नहीं है। लेकिन नोटबंदी के बाद सरकार हम सबको कार्ड देगी। इससे नगदी का लेन देन कम हो जाएगा। फिर हमलोग जब कार्ड से समान खरीदेंगे तो अईसा लगेगा जईसे कि कौनो माल में घूम रहे हैं।“

भीड़भाड़ देखकर वहाँ पर गाँव के सारे दुकानदार भी इकट्ठे हो गये। आपकी जानकारी के लिए यह बताना जरूरी है कि गाँव में कुल चार ही दुकानें थीं; एक किराने की दुकान, एक आटा चक्की, एक चाय पकौड़े की दुकान और एक साइकिल पंचर की दुकान। किराने वाला बोला, “हाँ भैया, ऊ न्यूज तो हम भी देखे रहे। बता रहे थे कि दस हजार से कम आबादी वाले गाँव को एक मशीन मिलेगी। हमरी समझ में ई नहीं आ रहा कि चार-चार दुकानों का काम एक मशीन से कईसे चलेगा। अब इस पर सरपंच जी ही कुछ रोशनी डालेंगे।“

उसे काटते हुए चक्की वाले ने कहा, “अरे ई सरपंच ठहरा हरिजन, इतना दिमाग थोड़े ही है कि इतनी गंभीर बात पर कुछ बोले। ज्ञान की बात तो हम पंडितों से पूछो। हम तो गेहूँ पिसाने के बदले में आटा ही रख लेते हैं इसलिए मशीन की जरूरत हमें नहीं है। हमको तो लगता है कि इस किराने वाले को ही मशीन की सबसे ज्यादा जरूरत होगी।“

ऐसा सुनते ही चाय वाले और पंचर वाले ने एक सुर में कहा, “ये खूब कही। और फिर हम का करेंगे? दुकान बंद करके कैलाश परबत के लिए चल पड़ेंगे।“

सरपंच ने कहा, “अब ई घोषणा तो आज ही हुई है। हमरे पास जिलाधिकारी के तरफ से कोई सूचना नहीं है। लेकिन आपको पता ही है कि हर काम पंचायत के मारफत ही होता है। इसलिए हमको लगता है कि ऊ मशीन भी पंचायत के पास ही आयेगा, मतलब हमरे पास।“

ऐसा सुनकर रामलाल ने कहा, “तो अब सरपंच जी दुकान खोलेंगे और तेल साबुन बेचेंगे। अरे पहले शिक्षा मित्र और मध्याह्न भोजन तो ठीक से संभाल लो। ई दुकानदारी का काम बनियों के पास ही रहने दो।“

रघुबर यादव ने कहा, “सरपंच चचा माफ करना। अगर यहाँ का निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित न होता तो फिर यादव में से ही कोई सरपंच होता। ऊ का कहते हैं कि बिल्ली के सरापे छीका फूट गया सो तुम बन गये सरपंच। अब पद का मजा लो लेकिन सरकारी खजाने के फेर में न पड़ो तो ही बेहतर होगा। ऊ मशीन कहाँ लगेगी इसका निर्णय हमरे ताऊ करेंगे।“

उसके इतना कहते ही वहाँ पर चुप्पी छा गई। थोड़ी देर बाद लोग वहाँ से तितर बितर हो गये। अगले दिन जब रामलाल खेत में काम कर रहा था तो उसे रघुबर यादव मिला। रघुबर ने उससे फुसफुसाते हुए कहा, “चचा, मुझे लगता है कि तुम चाहते हो कि ऊ मशीन तुम्हरे हाथ में रहे।“

रामलाल ने जब हामी भरी तो रघुबर यादव ने कहा, ‘उसके लिए कुछ खरचना पड़ेगा। ज्यादा नहीं है। केवल पाँच सौ रुपए मात्र और ऊ भी नया वाला नोट। अगर मंजूर है तो आगे बात चलाएँ। लेकिन ई बात किसी तीसरे को पता न चले।“

यही सब कई लोगों से कहकर रघुबर यादव ने कोई सात आठ हजार रुपए तो बना ही लिए। उधर तीन चार महीने बीतने के बाद ग्राम पंचायत के नाम पर एक स्वाइप मशीन भी आ गई। बकायदा लाल फीता काटकर वहाँ के विधायक ने उस मशीन की शुरुआत की। उन्होंने किराने वाले से एक पैकेट बिस्किट खरीदा और उसका पेमेंट कार्ड से किया। फिर विधायक ने एक छोटा सा भाषण दिया, “प्यारे गाँव वालों। भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की दिशा में यह एक ठोस कदम है। अब हम देश को कैशलेस इंडिया बनाकर ही छोड़ेंगे।“

चाय वाले ने पूछा, “माननीय विधायक जी, हम एक सवाल पूछना चाहते हैं। अगर कोई आदमी हमरी दुकान से चाय पिया और उसका भुगतान इस स्वाइप मशीन से दिया तो फिर ऊ पईसा हमकों कईसे मिलेगा।“

विधायक ने कहा, “अरे उसका पैसा पहले तो सरपंच जी के खाते में जायेगा। उसके बाद सरपंच जी तुम्हारे खाते में पैसे भेज देंगे। जनधन खाता तो खुला ही होगा तुम्हारा।“

चाय वाले ने दबे सुर में कहा, “हाँ जनधन खाता तो खुला था, लेकिन चाय बेचें हम और पईसा जाये सरपंच के खाते में।“

किराने वाला भी बोल उठा, “ई सरपंच का क्या भरोसा, पईसा डालने में देर किया या कम डाला तो क्या करेंगे? दुकान में मेहनत करें हम और पईसा ले ई। मतलब हमरे दुकान से सामान खरीदने के बाद ग्राहक को भुगतान करने के लिए सरपंच के पास जाना होगा। अगर उस दिन सरपंच जिला परिषद की बैठक के लिए जिला मुख्यालय में रहा तो। या कहीं नातेदारी में गया तो? मतलब उस दिन हमरी दुकान बंद।“

पंचर की दुकान वाला भी अपनी राय रखना चाहता था। उसने कहा, “अरे आटा दाल का क्या है। कोई एक दो घंटे बाद भी खरीद सकता है। लेकिन किसी की साइकिल या मोटरसाइकिल पंचर हो गई तो फौरन बनाना पड़ता है। अब हमरे रघुबर यादव तो बिना मोटरसाइकिल के निबटने भी नहीं जाते।“

ऐसा सुनकर चाय वाले ने कहा, “उसमें का है, तब तक यहीं अहाते में निबट लेंगे।“


वहाँ बैठे बाकी लोग यह सुनकर जोर जोर से हँसने लगे। उन्हें हँसता देखकर रघुबर यादव ने एक चुनिंदा गाली पढ़ी जो लोगों को चुप कराने के लिए काफी थी। तबतक विधायक जी के लिए टेबल पर चाय और पकौड़ी सजा दी गई थी। विधायक जी ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा, “भईया, ई सब खाली ड्रामा है और कुछ नहीं। इस गाँव में मोबाइल का नेटवर्क तो पकड़ता नहीं है फिर स्वाइप मशीन कैसे काम करेगा। कुछ दिन की समस्या है फिर सबके पास नोट भी आ जाएँगे। उसके बाद इस मशीन को अगरबत्ती दिखाते रहना।“