Pages

Friday, October 21, 2016

डॉक्टर लिखता क्यों नहीं है?

शाम में जब मेरा रूम मेट राकेश काम से थका हारा वापस लौटा तो कुछ कुछ हताश भी लग रहा था। उसने अपना हाथ मुँह धोया और फिर अपने लिये चाय बनाई। उसके बाद वह एक बीन बैग पर बैठ कर चाय पीने लगा। साथ में उसने एक सिगरेट भी जलाई। वह बार बार सिगरेट का धुँआ नीचे फर्श की तरफ छोड़ रहा था।

मैं समझ गया कि वह अंदर से बहुत परेशान था। मैंने पूछा, "क्या बात है? आज कुछ ज्यादा ही परेशान लग रहे हो। बॉस से कहा सुनी तो नहीं हो गई?"

राकेश ने सिगरेट का एक गहरा कश लिया और बोला, "नहीं यार, बॉस तो पिछले वीक ही काम कर के गया है। एक डॉक्टर है जिसपर मैने काफी मेहनत की है। मेरी कंपनी ने हाल ही में एक नया एंटिबायोटिक लॉन्च किया था। अगर वह लिख दे तो मैं ऑल इंडिया टॉपर बन जाऊँगा।"

मैने तुक्का लगाते हुए पूछा, "तुम कहीं डॉक्टर बी के मुखर्जी की बात तो नहीं कर रहे?"

राकेश ने हामी भरते हुए कहा, "हाँ यार, एक वही तो डॉक्टर है हमारी टेरिटरी में जो किसी प्रोडक्ट को छू भर दे तो लड़के प्रोमोट हो जाते हैं।"

मैने कहा, "मुझे तो लगता है कि तुमने उसके पीछे काफी मेहनत की है।"

राकेश ने कहा, "हाँ भई, पिछले छ: महीने से हर महीने चार बार मिल रहा हूँ। गिफ्ट और सैंपल से लाद दिया है। सुबह सुबह रोज ओपीडी शुरु होने से पहले उसे अपनी बत्तीसी भी दिखा आता हूँ। लेकिन वह तो टस से मस नहीं हो रहा।"

मैने कहा, "लगे रहो। आज न कल अगर इसने तुम्हारे प्रोडक्ट को पकड़ लिया तो फिर तुम्हारी तो निकल पड़ी।"

राकेश की चाय तब तक खत्म हो चुकी थी। सिगरेट का आखिरी कश खींचने के बाद उसने उसके टोंटे को बड़ी बेरहमी से ऐश ट्रे में कुचला और बोला, "अब मैने सोच लिया है। बहुत हो चुका। कल जाता हूँ और उससे सीधे-सीधे पूछता हूँ।"

मैंने कहा, "क्या पूछोगे? तुम्हारा प्रोडक्ट क्यों नहीं लिखता? बोलेगा इट इज नॉट माई जॉब्।"

राकेश अपने नथुने फड़काते हुए बोला, "मैं पूछूंगा कि डॉक्टर साहब आप क्यों नहीं लिखते। मेरी कम्पनी खराब है? मेरे प्रोडक्ट खराब हैं। या मेरा चेहरा खराब है। कुछ तो बोलेगा।"

मुझे मन ही मन उसकी बुद्धि पर तरस आ रहा था। मैने उससे कहा, "भैया, कोई भी डॉक्टर तब तक किसी प्रोडक्ट को हाथ नहीं लगाता जब तक कि वह उसके बारे में पूरी तरह से कॉन्फिडेंट न हो जाये। उसे प्रोडक्ट की मेरिट बताओ। उसे कोई एक इंडिकेशन बताओ। खाली रट्टू तोते की तरह उसके आगे गला साफ करने और उसे अपनी बत्तीसी दिखाने से कुछ नहीं होगा।"

राकेश ने मुझे लगभग घूरते हुए कहा, "भैया, ये सब चोंचले तुम बड़ी कम्पनी वालों के हैं। हम जैसे छोटी कम्पनी वालों से डॉक्टर बस प्रोडक्ट का नाम सुन ले वही बहुत है। तुम अपना ज्ञान अपने पास ही रखो। मुझे अपनी स्टाइल से काम करने दो।"

The life of a sales guy is full of enriching experiences. Read such stories in my new book "A Day in Life of a Sales Representative"

.Buy this book on Amazon


Wednesday, October 19, 2016

A Day in Life of Sales Guy

Rakesh hurriedly put his heavy detailing bag on the luggage rack and took a window seat in the bus. His bag was made of  thick leather of reddish color; which is the typical bag carried by medical representatives. Although nylon backpacks have replaced this traditional bag in most of the companies, the red leather bag is still considered as an ID proof for medical representatives across India. Many people easily recognise a medical representative because of the read leather bag.

After getting the comfort of finding a seat in the bus, Rakesh lit a cigarette  and began making different shapes out of smoke emanating from his nostrils and mouth. He was thinking about the work ahead which he had planned to do once reaching a particular market.

A middle aged gentleman took the seat next to his seat. He was wearing a half-sleeve shirt which was not tucked inside the trousers. He was carrying a small pouch-like bag which was slung from his wrist. The gentleman craned his neck through in front of Rakesh and spat a powerful jet of betel juice out of the window. After clearing his throat, the gentleman asked from Rakesh, "Looking at your red leather bag, it appears that you are working as MR. Have I guessed it right?"

Rakesh gave a smile and said, "Yes sir, you have guessed it right."

The middle aged gentleman continued, "If you don't mind, can I ask you a question?"

Rakesh said, "Yeah, go ahead,"

The gentleman asked, "Actually, I am in the process of finalising the marriage of my only daughter. The prospective groom is working as an MR at Begusarai. I am unable to recall the name of the company but he appears to be earning handsome money. But I have a doubt. Is this job of permanent nature or is it for a fix period?"

Rakesh said, "Sir, it depends. I have seen many guys who have retired after working for more than three decades. Then I have also seen many guys who get kicked out of the job within six months."

The gentleman appeared to be worried, "Why do they kick out people from jobs? Did they get caught in some scam or bribery?"

Rakesh said, "No sir, it is not like that. Who is going to pay a bribe to a medical representative. A medical representative is not going to issue a driving license or ration card to you. A common man seldom needs to deal with a medical representative. In fact, survival in this job depends on performance; I mean sales. If a person continues to give sales to suit his company's requirement he can continue for as many years as he wishes. If someone fails to bring sales then nobody can help him."

The gentleman appeared to be more worried, "If this is the situation, then why do people join this profession?"

Rakesh said, "Sir, I am a plain vanilla graduate. I have no technical qualification and I come from a lower middle class family. I am not intelligent enough to crack the competition for government jobs. As I belong to the forwards caste so less number of available vacancies is another problem."

The gentleman asked, "But the prospective groom was sharing with me that he beat at least a thousand guys to land in this job. He said that he was highly intelligent."

Rakesh said, "I don't know about your prospective groom but I am a mediocre guy. Nevertheless, this is a decent job and you can go ahead to marry your daughter with a medical representative."

The gentleman had probably made up his mind. He said, "No way. I am now going to find some clerk in the government department. I think a clerk would be better than a medical representative for my daughter."

You may have experienced similar incident in your life. Get similar stories to read in my new book "

A Day in Life of a Sales Representative" 


Fun in Train 2

"अंकल आप क्या कर रहे हैं?" बच्चे ने उस आदमी से पूछा।

उस आदमी ने मफलर को ठीक करके अपने चेहरे को और छुपाते हुए बोला, "देखते नहीं , बल्ब निकाल रहा हूँ?"

बच्चे ने फिर पूछा, "तो आप खराब बल्ब को निकाल कर नया बल्ब लगाते हैं? आप रेलवे के मैकेनिक हैं?"

उस आदमी ने बल्ब को अपने जैकेट की जेब में डालते हुए कहा, "नहीं, मैं इस बल्ब को अपने घर ले जाउँगा, फिर घर में रोशनी होगी।"

बच्चे ने कहा, "लेकिन यह बल्ब तो रेल का है। आप इसे चोरी कर रहे हैं?"

उस आदमी ने थोड़ा खीझते हुए कहा, "ऊपर देखो, लिखा हुआ है कि रेल की संपत्ति आपकी अपनी संपत्ति है।"

You may have encountered similar incidents during a train journey. Read such funny incidents in my new novel "YOUR TRAIN IS RUNNING LATE.

Buy This Novel on AMAZON

Sunday, October 16, 2016

Fun in Train

बंटी को नाक भौं सिकोड़े लौटता देखकर उसकी माँ ने पूछा, "क्या हुआ? लगता है टॉयलेट बहुत गंदा है।"

बंटी ने कहा, "हाँ, लगता है किसी देहाती आदमी ने कल रात ढ़ेर सारा खाना खा लिया था और उसी को पूरी टॉयलेट सीट पर निकालकर अभी अभी निकला है। पता नहीं कैसे कैसे लोग चले आते हैं ट्रेन में सफर करने। बदबू से तो बुरा हाल है। मैंं तीन दिन तक रोक लूंंगा लेकिन ऐसी हालत में मेरी तो नहीं निकलेगी।"

बंटी की माँ ने कहा, "बेटा, ये तुम्हारे बेडरूम का अटैच बाथरूम नहीं है। ट्रेन से चलते समय इन सब चीजों को बर्दाश्त करने की आदत डाल लेनी चाहिए।"

You may have experienced similar situation while traveling by train. Read such anecdotes in my novel "Your Train is Running Late"


Buy This Book:

Saturday, October 15, 2016

Fun on Train

The passenger appeared to be highly annoyed when he said to the pantry staff, "Hey! Why do you sell mineral water of fake brands? You are also charging way beyond the maximum retail price."

The pantry staff rudely answered, "Take what you get. You have no other option than to buy from us."

The passenger was flabbergasted, "I am going to complain about this. Can I get the complaint form?"

The pantry staff laughed while he replied, "We don't keep complaint forms. For getting a contract for this train, our owner had paid a huge sum of commission to the higher authorities in the railways. No, point in complaining."

The pantry staff further continued, "If you are so particular about quality then you should buy a private jet to travel in this country.

You may have experienced such harrowing experience while travelling by train. Read about a not so pleasant experience of travellers during a train journey. Buy my new novel "Your Train is Running Late"

Friday, October 14, 2016

Inconvenience is Deeply Regretted Part 2

ट्रेन ठसाठस भरी हुई थी। जब ट्रेन किसी स्टेशन पर रुकी तो डिब्बे के गेट पर लोगों की धक्कामुक्की शुरु हो गई। कुछ लोग उतरने की कोशिश कर रहे थे तो कुछ डिब्बे में चढ़ने की। तीन हट्टे कट्टे पुरुष ढे‌र सारे सामान के साथ किसी तरह डिब्बे में घुसने में सफल हो गये। डिब्बे के अंदर आते ही उन्होंने सामान को ऊपर वाली बर्थ पर ठूंसना शुरु किया। जब तक वो सामान रखकर सीट पर अपने लिये जगह बनाते तब तक ट्रेन चल चुकी थी। तीनों ने दम लेने के लिये तेजी से सांस लेना शुरु किया।

उसके बाद उनमे से एक थोड़ा घबराहट से बोला, "हई दादा! गजब हो गइल।"

उनमे से दूसरे ने पूछा, "का हो चाचा, का भइल?"

इसपर पहले आदमी ने कहा, "अरे जिनका के चहुपावे आइल रही हऊ त रेल में घुसवे न कइलन। ऊ लोग त स्टेशनवे पर छुट गइलन।"

Read many more funny incidents which can happen during a train journey. Buy my novel on Amazon: 

Thursday, October 13, 2016

Inconvenience is Deeply Regretted

भैया ये कटलेट तो ठंडे हैं। तुम गर्म कटलेट क्यों नहीं रखते?“ मैने पैंट्री के स्टाफ से पूछा।

पैंट्री के स्टाफ ने निर्विकार भाव से कहा, “साहब, ये कटलेट कल के हैं। पहले कल वाले बिक जाएँ तभी तो आज ताजे बनेंगे।

क्या आपको भी ट्रेन यात्रा के दौरान ऐसा अनुभव हुआ है? पढ़िये ऐसे ही मजेदार और रोचक अनुभव मेरे नये उपन्यास YOUR TRAIN IS RUNNING LATEमें। यह उपन्यास अमेजन डॉट कॉम पर उपलब्ध है। यह किंडल पर और पेपरबैक दोनों टाइप में उपलब्ध है।