बंटी को नाक भौं सिकोड़े लौटता देखकर उसकी माँ ने पूछा, "क्या हुआ? लगता है टॉयलेट बहुत गंदा है।"
बंटी ने कहा, "हाँ, लगता है किसी देहाती आदमी ने कल रात ढ़ेर सारा खाना खा लिया था और उसी को पूरी टॉयलेट सीट पर निकालकर अभी अभी निकला है। पता नहीं कैसे कैसे लोग चले आते हैं ट्रेन में सफर करने। बदबू से तो बुरा हाल है। मैंं तीन दिन तक रोक लूंंगा लेकिन ऐसी हालत में मेरी तो नहीं निकलेगी।"
बंटी की माँ ने कहा, "बेटा, ये तुम्हारे बेडरूम का अटैच बाथरूम नहीं है। ट्रेन से चलते समय इन सब चीजों को बर्दाश्त करने की आदत डाल लेनी चाहिए।"
You may have experienced similar situation while traveling by train. Read such anecdotes in my novel "Your Train is Running Late"
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