ट्रेन ठसाठस भरी हुई थी। जब ट्रेन किसी स्टेशन पर रुकी तो डिब्बे के गेट पर लोगों की धक्कामुक्की शुरु हो गई। कुछ लोग उतरने की कोशिश कर रहे थे तो कुछ डिब्बे में चढ़ने की। तीन हट्टे कट्टे पुरुष ढेर सारे सामान के साथ किसी तरह डिब्बे में घुसने में सफल हो गये। डिब्बे के अंदर आते ही उन्होंने सामान को ऊपर वाली बर्थ पर ठूंसना शुरु किया। जब तक वो सामान रखकर सीट पर अपने लिये जगह बनाते तब तक ट्रेन चल चुकी थी। तीनों ने दम लेने के लिये तेजी से सांस लेना शुरु किया।
उसके बाद उनमे से एक थोड़ा घबराहट से बोला, "हई दादा! गजब हो गइल।"
उनमे से दूसरे ने पूछा, "का हो चाचा, का भइल?"
इसपर पहले आदमी ने कहा, "अरे जिनका के चहुपावे आइल रही हऊ त रेल में घुसवे न कइलन। ऊ लोग त स्टेशनवे पर छुट गइलन।"
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