हाल के वर्षों में जिस भी बड़े
आदमी को देखिए वही आपको पर्यावरण के बारे में अपना ज्ञान बघारता मिल जाएगा। आप शायद
जानते होंगे कि हमारे मुल्क में बड़े लोग कौन होते हैं। जी हाँ! वही जिनके हाथ में सत्ता
होती है या फिर वे जो सत्ताधारियों को अपने इशारों पर नचाते हैं। इनमें से हर किसी
के पास पर्यावरण को बचाने के लिए कोई न कोई बेहतर सुझाव अवश्य होता है। जैसे कि एक
एजेंसी है जिसे ऐसा लगता है कि चंद कारों को पंद्रह दिन के लिए शहर में चलने से रोक
देने पर वह शहर प्रदूषण मुक्त हो जाएगा। उन्हें शायद हजारों की संख्या में वे सरकारी
वाहन नहीं दिखते हैं जिनका PUC सर्टिफिकेट कब का समाप्त हो गया है किसी को याद नहीं। इसी कड़ी
में कुछ नए लोग शुमार हो गए हैं जिन्हें लगता है कि साइकिल ट्रैक बनाने से पर्यावरण
को बहुत फायदा होगा। अभी हाल ही में मेरे शहर में साइकिल ट्रैक बनाने का काम जोर शोर
पर है। संयोग से मैं उस रास्ते से रोज सुबह सुबह गुजरता हूँ इसलिए इस ऐतिहासिक परिवर्तन
का गवाह बनने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। मैं भी कभी जीव विज्ञान का छात्र था इसलिए
मैंने भी पर्यावरण से संबंधित कुछ अध्याय को पढ़ा था। इसलिए मुझे लगा कि मैं भी इस विषय
पर शोध कर सकता हूँ कि साइकिल ट्रैक बनने से क्या-क्या फायदे हो सकते हैं। अब मैं ठहरा
एक लेखक इसलिए मेरे पास खाली समय की कोई कमी नहीं है। इसलिए मैंने सोचा कि सुबह-सुबह
अपने बेटे को स्कूल छोड़ने के बाद कुछ लोगों का इंटरव्यू लेकर यह पता करना चाहिए कि
साइकिल ट्रैक बनने से क्या फायदा होगा। आपके ज्ञान के लिए यह बता देना उचित होगा कि
यह साइकिल ट्रैक सड़क के बीच के डिवाइडर पर बन रहा है; जहाँ पर पहले थोड़ी बहुत हरियाली दिखाई देती थी।
सबसे पहले मुझे उस साइकिल ट्रैक पर कुछ स्कूली बच्चे और कुछ
टीचर अपने-अपने स्कूटी पर फर्राटे से जाते दिखाई दिए। उनमें से कुछ ने रुककर मेरे सवालों
का जवाब देने के लिए हामी भर दी। कई छात्रों ने बताया कि अब उन्हें इसका हिसाब नहीं
लगाना पड़ेगा कि वे सड़क के राइट साइड से जा रहे हैं या रॉंग साइड से। टीचर ने भी उनकी
हाँ में हाँ की। जब टीचर से मैंने अंडर एज ड्राइविंग पर उनके विचार जानना चाहा तो उन्होंने
बताया कि उन्होंने अभी-अभी अपना अठाहरवाँ जन्मदिन मनाया है इसलिए उनके पास बकायदा ड्राइविंग
लाइसेंस भी है। बच्चों के बारे में कुछ भी बोलने से वे कतराती रहीं।
उसके बाद मुझे एक मजदूर मिला जो एक ठेले पर कूड़ा भरकर लाया था।
उसका कहना था कि पहले डिवाइडर के बीचोबीच कूड़ा डालने में बड़ी परेशानी होती थी, लेकिन
अब समतल साइकिल ट्रैक बन जाने से उसका काम आसान हो जाएगा।
वहीं आगे जाने पर मुझे एक यू टर्न के ठीक पहले एक झोपड़ी मिली
जिसमें एक ढ़ाबा चल रहा था। उस ढ़ाबे वाले ने बताया कि साइकिल ट्रैक बनने से उसे अपनी
बिक्री बढ़ने की उम्मीद है। अब वह आसानी से अपने ग्राहकों के लिए कई बेंचें साइकिल ट्रैक
पर लगा पाएगा।
थोड़ा आगे जाने पर मैंने देखा कि कुछ कार भी साइकिल ट्रैक पर
लगी हुई थी। उनमें से एक के मालिक ने कहा कि अब पार्किंग के लिए जगह ढ़ूँढ़ने में कोई
परेशानी नहीं होगी। पहले ते वे मेन रोड पर कहीं भी पार्किंग कर देते थे लेकिन उसमें
हमेशा ये खतरा बना रहता था कि कोई कार को ठोक कर न चला जाए। अब उसका खतरा कम हो जाएगा।
थोड़ा आगे जाने पर मुझे एक बड़ी सी एसयूवी मिली जिस पर पुलिस का लोगो लगा था। उसमें बैठे
पुलिस वाले भी साइकिल ट्रैक बनने से बड़े खुश थे। उन्होंने बताया कि पहले उनकी गश्ती
वाली गाड़ी के लिए माकूल जगह नहीं मिल पाती थी। अब वे आसानी से साइकिल ट्रैक पर अपनी
गाड़ी खड़ी कर सकते हैं। इससे थोड़ी बहुत छाया भी मिल जाएगी और आराम भी रहेगा।
लेकिन उतनी देर इधर उधर चक्कर लगाने के बाद भी मुझे कोई साइकिल
वाला नहीं मिला। जिसे देखो वही या तो कार से जा रहा था या मोटरसाइकिल या स्कूटर से।
यहाँ तक स्कूली बच्चे भी अपनी चमचमाती हुई स्कूटी से ही स्कूल जा रहे थे। हाँ, तभी मुझे
एक बड़ी सी कार जाती दिखी जिसपर पीछे एक साइकिल टॅंगी हुई थी। वह भी बकायदा किसी मजबूत
फ्रेम से जकड़ कर लगाई गई थी; जैसा कि हम अक्सर विदेशों के दृश्य
में देखते हैं। मेरे आस पास लगी भीड़ को देखकर वह कारवाला अपनी जिज्ञासा शांत करने के
उद्देश्य से रुका। जब मैंने उससे पूछा कि साइकिल ट्रैक बन जाने के बावजूद वह अपनी कार
से कहाँ जा रहा है। उसने कहा कि वह साइकिल चलाने के लिए अपने फार्म हाउस जा रहा था
जो वहाँ से कोई पचास किलोमीटर दूर था। उसने बताया कि उस साइकिल ट्रैक के अगल बगल से
भारी ट्रैफिक गुजरता है इसलिए उसे ताजी हवा नहीं मिल पाती है। इसलिए वह अपने फार्म
हाउस में साइकिल चलाना ज्यादा पसंद करता है।