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Saturday, May 23, 2015

दूध का दूध और पानी का पानी

 किसी विधानसभा चुनाव से पहले किसी नेताजी ने कहा था कि कुछ लोग ऐसा करेंगे कि दूध के दाम आसमान छुएंगे। मुझे तो लगता है कि ज्यादातर चीजों के दाम आज आसमान छू रहे है।  लेकिन हमारे देश के नेता हमेशा कुछ न कुछ ऐसा करते हैं जिससे हमें लगता रहे कि वो वाकई हमारी सुध लेते है।  इसी सोच को अमली जामा पहनाते हुए एक मुख्यमंत्री ने आदेश जारी कर दिया कि अब से दूध उत्पादकों को गेहूं और धान की तरह समर्थन मूल्य मिलेगा।  यह समाचार सुनकर मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए।  जो जो चीजें समर्थन मूल्य की राजनीति से प्रभावित होती हैं उनके दाम सुरसा के मुख की तरह बढ़ने लगते हैं।  लेकिन लगता है कि मुख्यमंत्री जी को मेरी चिंता की चिंता होने लगी।  अगले ही दिन यह समाचार आया की पैकेट वाले दूध के दाम ५ रूपए प्रति लीटर घटाने का भी अध्यादेश आ गया।  जब मैंने इसकी चर्चा अपनी पत्नी से की तो मुझे पता चला यह तो मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डालने के बराबर है।  जी नहीं मैं अपनी पत्नी के संभावित गुस्से की बात नहीं कर रहा हूँ बल्कि दूध पर भविष्य में होने वाली राजनीति के बारे में चिंतित  हो रहा हूँ।  अब आप गौर से मेरी भविष्यवाणी को पढ़िए।  अब पूरे देश के किसान नेताओं को आंदोलन करने का एक और नया बहाना मिल जाएगा।  दूध के समर्थन मूल्य को बढाने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन हुआ करेंगे।  टीवी चैनलों पर एक से बढ़ कर एक पैनल इस पर चर्चा करके हमारे ज्ञान को निखारने की कोशिश करेंगे।  दिल्ली के मुख्यमंत्री आनन फानन में दूध पर सब्सिडी की घोषणा कर देंगे।  यह सब्सिडी केवल उन परिवारो को ही मिलेगी जो महीने में दस लीटर से कम दूध खरीदेंगे।  प्रधानमंत्री जी दूध पर मिलने वाली सब्सिडी को सीधे बैंक खाते में डलवा देंगे ताकि दूध की कालाबाजारी रोकी जा सके।  इसपर एक पहल योजना भी आएगी जिसमे जनता जनार्दन से यह अपील की जाएगी कि वैसे लोग जो आसानी से दूध खरीद सकते हैं; स्वेक्षा से दूध की सब्सिडी लेने से मना कर दे।
नोट: अर्थशास्त्र की कई किताबो में मैंने पढ़ा है की भारत पूरे विश्व में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक देश है।  

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