जंगल का कानून बिना कारण किसी को मारने की
अनुमति नहीं देता है। इस कानून के मुताबिक कोई भी जानवर मनुष्य का शिकार नहीं कर
सकता। वह केवल तभी किसी मनुष्य का शिकार कर सकता है जब वह अपने बच्चों को शिकार का
प्रशिक्षण दे रहा होता है। लेकिन ऐसा करने के लिए उसे अपने दल के शिकार के इलाके
को छोड़कर जाना होगा। क्योंकि सभी जानवर जानते हैं कि ऐसा करने से जल्दी ही गोरे
लोग हाथियों पर सवार होकर और बंदूकों से लैस होकर आते हैं और उनके साथ सैंकड़ों की
तादाद में तांबई चमड़ी वाले लोग भी होते हैं जिनके हाथ में मशाल, ढ़ोल और भाले होते हैं। ऐसा होने पर जंगल के हर जानवर को घोर दुख झेलना
पड़ता है। जानवर आपस में यह बात भी करते हैं कि मनुष्य सबसे कमजोर प्राणी है और ऐसे
प्राणी को छूना भी उचित नहीं है। वे ऐसा भी कहते हैं; जो कि
काफी हद तक सच है; कि एक आदमखोर जानवर के कीड़े पड़ते हैं और
उसके दाँत झड़ जाते हैं।
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