राजा शिवराज सिंह चौहान
चिंतित मुद्रा में बैठे हुए थे। वे बार-बार अपने सिंहासन पर मुद्राएँ बदल रहे थे।
लगता था कि काँटों के ताज के साथ साथ काँटों से भरा सिंहासन भी उन्हें परेशान कर
रहा था। उनकी बेचैनी देखकर मंत्री ने पूछा, “महाराज इतने चिंतित क्यों दिखाई दे रहे हैं?”
(image ref: www.ndtv.com)
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राजा शिवराज ने कहा, “नगर में भीषण बाढ़ आई है
इसलिए परेशान हूँ।“
मंत्री ने पूछा, “आप जैसा महान राजा तो किसी
प्रजा को किस्मत से मिलता है।“
राजा शिवराज ने कहा, “अरे नहीं मैं प्रजा के लिए
थोड़े ही परेशान हूँ। प्रजा को तो मुसीबतें झेलने की आदत पड़ चुकी है। मैं तो इसलिए
परेशान हूँ की बाढ़ ग्रसित क्षेत्रों का दौरा करने के लिए कोई साधन नहीं मिल रहा
है।“
मंत्री ने कहा, “आपका राजसी उड़न खटोला कहाँ गया? हर बार तो आप उड़न खटोले पर
बैठकर बाढ़ का जायजा लिया करते थे।“
राजा ने कहा, “आजकल हिंदुस्तान के
शहंशाह को विदेशों का भ्रमण करना पड़ता है। इसलिए उन्होंने सभी राज्यों के राजाओं
के उड़न खटोले को दिल्ली में मंगवा लिया है ताकि उनकी यात्राओं में कोई खलल नहीं
पड़े।“
मंत्री ने कहा, “अच्छा ये बात है। फिर आप पैदल ही दौरा कर
लीजिए। सुनने में आया है कि घुटने भर से ज्यादा पानी कहीं नहीं लगा है।“
राजा ने कहा, “जब से महान कलाकार राजकुमार ने ये बताया
कि मेरे पाँव बड़े खूबसूरत हैं और इन्हें जमीन पर नहीं रखना चाहिए तब से मैने पैदल
चलना छोड़ दिया है। फिर पैदल चलने में मेरे श्वेत वस्त्र और जूते भी मैले हो
जाएँगे।“
मंत्री ने कहा, “तो ऐसा करते हैं कि कोई पालकी मंगवा लेते
हैं। आप पालकी में बैठ जाएँगे और चार कहार उसे उठाकर आपको बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र का
दौरा करवा देंगे।“
राजा ने कहा, “आजकल पालकियाँ कहाँ मिलती हैं। जब से
रिजर्वेशन लागू हुआ है तब से सारे कहार सरकारी नौकरियों में लग गये हैं। कहते हैं
कि उन्होंने पालकी ढ़ोने का काम छोड़ दिया है।“
मंत्री ने कहा, “ये तो मुसीबत है। उड़न खटोला भी नहीं है और
पालकी भी नहीं। आप को पैदल चलना भी मना है। कुछ सोचना पड़ेगा।“
राजा ने कहा, “जल्दी सोचो, इससे
पहले बाढ़ न निकल जाए। अभी यदि दौरा नहीं किया तो अखबार की सुर्खियों में कैसे आ
पाऊँगा। सोशल मीडिया पर छाने का मौका हाथ से न निकल जाए।“
तभी मंत्री जोर-जोर से चिल्लाने लगा, “यूरेका!
यूरेका!”
फिर मंत्री ने राजा को अपने पीछे आने का इशारा किया। साथ
में राजा के चमचे और कई अंगरक्षक भी चल पड़े। चलते-चलते वे एक ऐसे मुहल्ले में
पहुँचे जहाँ की गलियों में जलजमाव नजर आ रहा था। कुछ बच्चे कागज की नाव बनाकर तैरा
रहे थे। कुछ बच्चे अपने-अपने घर की चौखटों पर बैठकर उसी जल में मलत्याग कर रहे थे।
कुछ महिलाएँ कपड़े धो रही थीं। कुछ ग्वाले अपनी गायों और भैंसों को स्नान करवा रहे
थे। कुल मिलाकर बड़ा ही मनोरम दृश्य था।
राजा ने कहा, “मंत्री, तुम यूरेका
यूरेका चिल्लाने का प्रयोजन बताओ। ये भी बताओ कि मेरे बाढ़ भ्रमण का क्या इंतजाम
किया है।“
मंत्री ने कहा, “बस आगे आगे देखिए क्या होता है। आप मेरी
बुद्धि की दाद अवश्य देंगे।“
मंत्री के इशारे पर दो अंगरक्षक आगे आये। उन्होंने अपनी
बाजुओं को आपस में जोड़कर एक झूला जैसा बना लिया। उसके बाद राजा के नितंबों के नीचे
हाथों का झूला डालकर राजा को हवा में उठा लिया। फिर क्या था, राजा
की पालकी चल पड़ी। राजा को गुदगुदी हो रही थी जो उनके चेहरे पर अनायास खिल आई
मुसकान से साफ झलकता था। जनता ने राजा का ऐसा रूप पहले कभी नहीं देखा था। प्रजा
उनकी जय जयकार करने लगी। कुछ लोगों ने राजा की सवारी के आस पास खड़े होकर सेल्फी भी
ली। शाम होते-होते राजा जी की तसवीर सोशल मीडिया पर छा गई। कोई राजा की हिम्मत की
दाद दे रहा था तो कोई उनके अंगरक्षकों की कर्तव्यपरायणता की। कुछ लोग मंत्री जी के
जुगाड़ु दिमाग की भूरी-भूरी प्रशंसा कर रहे थे।
राजा ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, “बाढ़
अभिशाप में वरदान की तरह है। एक ओर तो यह विभीषिका लाती है वहीं दूसरी ओर भूमि की
उर्वरा शक्ति को बढ़ाती है। हमने देखा कि बाढ़ के कारण बच्चे जलक्रीड़ा का आनंद ले
रहे थे। कुछ बच्चे तो शौच करने का भी मजा ले रहे थे। बाढ़ के पानी के कारण स्वच्छ
भारत अभियान में कोई कमी नहीं आई थी बल्कि मदद ही मिल रही थी। महिलाएँ बाढ़ के पानी
में कपड़े धोकर बिजली की बचत का शानदार उदाहरण पेश कर रही थीं। ग्वाले इस बात से
खुश थे कि भैंसों को नहलाने के लिए उन्हें बहुत दूर जाना नहीं पड़ रहा था। मंत्री
जी ने साबित कर दिया कि जुगाड़ के मामले में हम हिंदुस्तानियों का कोई सानी नहीं
है। अगली बाढ़ के आने से पहले मैं यहाँ जल साफ करने का संयंत्र लगवाउँगा ताकि
स्वच्छ जल में लोग जल क्रीड़ा का अधिक से अधिक आनंद ले सकें। उसके उद्घाटन के लिए
मैं मशहूर तैराक माइकल फेल्प्स को निमंत्रण दूँगा।“
उसके बाद राजा के मीडिया मैनेजर ने जनता में जोश फूँकने के
लिए एक नया नारा भी दे दिया, “हाथी घोड़ा पालकी,
जय शिवराज चौहान की।“