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Thursday, March 2, 2017

व्रत की तैयारी

शाम का धुंधलका बढ़ रहा था। रेखा सड़क के किनारे लगे ठेले वाले से सब्जियाँ खरीद रही थी। तभी उसके पास एक ऑटोरिक्शा आकर रुका। उसमे से एक चिरपरिचित चेहरे को उतरते देखकर रेखा के मुँह से सहसा निकल गया, “क्या बात है सुनीता, आज कुछ जल्दी नहीं आ गई? तुम तो अक्सर अपने ऑफिस से देर से आती हो।“

सुनीता ने ऑटो वाले को किराया देते देते कहा, “आज बुधवार है न, इसलिए थोड़ा जल्दी आ गई। गुरुवार को मेरा पूरे दिन का उपवास रहता है। उसके लिये आज ही तैयारी करनी होती है।“

“अच्छा, मुझे नहीं पता था कि एक मॉडर्न दिखने वाली महिला जो किसी आइटी कम्पनी में काम करती है, व्रत भी रखती होगी।“

“अरे इसमें कौन सी बड़ी बात है। मैं तो यह व्रत पिछले पंद्रह साल से रखती आई हूँ।“

उसके बाद वहीं पास लगे एक ठेले से सुनीता ने एक दर्जन अंडे खरीदे। उसने एक दूसरे ठेले वाले से चिप्स और नमकीन के पैकेट भी खरीदे। फिर उसने सब्जी वाले से कुछ प्याज, टमाटर, धनिया वगैरह लिये और अपनी हाउसिंग सोसाइटी के गेट की तरफ चल पड़ी। साथ साथ रेखा भी चल रही थी। रेखा ने पूछा, “तुम तो बता रही थीं कि व्रत की तैयारी करनी है। फिर ये अंडे किस लिये? लगता है तुम्हारे पति और तुम्हारी बेटी को अंडे बहुत पसंद हैं।“

सुनीता ने हँसते हुए जवाब दिया, “अरे नहीं, हर बुधवार को मैं पहले तो डटकर नमकीन और चिप्स खाती हूँ। फिर कुछ अंडों से ऑमलेट बना कर खाती हूँ। फिर अंडा करी और चावल बनाती हूँ और उसका लुत्फ उठाती हूँ।“

रेखा ने बीच में टोका, “लेकिन व्रत से ठीक एक दिन पहले मांसाहारी भोजन खाना सही नहीं होता है।“

सुनीता ने कहा, “ऐसा किस ग्रंथ में लिखा है? गुरुवार को पूरे दिन भूखे प्यासे ऑफिस में काम करो। फिर शाम को आकर साबूदाने की खीर खाओ जिससे उबकाई आ जाए। इसलिए एक दिन पहले तो ठीक से खाना बनता है।“


रेखा ने दबी जुबान से कहा, “क्या बात है। व्रत की तैयारी तो कोई तुमसे सीखे।“ 

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