गप्पू आजकल बहुत खुश है। आजकल
उसके धनबाद वाले फूफा जी आये हुए हैं इसलिए। हालाँकि फूफाजी और गप्पू में उम्र का एक
बड़ा अंतर है लेकिन दोनों में अच्छी पटरी खाती है। गप्पू दस साल का है जबकी फूफा जी
बस साठ पहुँचने ही वाले हैं। फूफाजी को बच्चों से बहुत लगाव हैं। जैसे ही गप्पू स्कूल
से लौटता है बस फूफा जी उसके साथ कैरम खेलने बैठ जाते हैं। गप्पू के आठवें जन्मदिन
पर उसके पापा ने कैरम गिफ्ट किया था लेकिन घर में किसी के पास इतनी फुरसत नहीं कि गप्पू
के साथ कैरम खेल पाये। गप्पू के पापा हर वक्त अपने काम में बिजी रहते हैं। गप्पू की
मम्मी को रसोई से फुरसत मिलती है तो शॉपिंग का वक्त हो जाता है। गप्पू की बड़ी बहन पढ़ाई
में बिजी रहती है क्योंकि उसे अगले साल इंजिनियरिंग के एंट्रेंस एग्जाम देने हैं। बेचारा
गप्पू सारा दिन टीवी देखता है। लेकिन उसके इस शौक में भी उसकी दादी खलल डाल देती हैं
क्योंकि उनहें पारिवारिक और धार्मिक सीरियल जो देखने होते हैं।
फूफा जी के बेटे बेटी अब बड़े
हो गये हैं। बेटी कलकत्ता में और बेटा जोधपुर में नौकरी करता है। उन्हें धनबाद से जोधपुर
जाना था इसलिए सोचा कि दिल्ली होते हुए जाएँ। इसी बहाने सबसे भेंट भी हो जाएगी और दिल्ली
भ्रमण भी हो जायेगा। फूफाजी की आड़ में गप्पू ने तीन दिन के लिए स्कूल से भी छुट्टी
कर ली। उसकी तो लॉट्री लग गई। फूफा जी ने टैक्सी बुलाई और दिल्ली भ्रमण के लिए निकल
लिये। गप्पू दिल्ली की लगभग हर वैसी जगह पर घूम चुका है जो घूमने लायक है। इसलिए गप्पू
फूफा जी के लिए एक अच्छा गाइड साबित हो रहा था। शाम में लौटते समय फूफा जी ने सबके
लिये ढ़ेर सारा मोमो भी खरीद लिया ताकि बरसात की शाम को गरमागरम खाने से सुहाना बनाया
जा सके।
जब वे लोग मोमो का लुत्फ उठा
रहे थे तो गप्पू ने कहा, “फूफा जी, एक बात पूछूँ?”
फूफा जी ने कहा, “हाँ पूछो।“
गप्पू ने पूछा, “आपको ऐसा नहीं लगता है कि आपके बाल बहुत बड़े
हो गये हैं और आपको नाई के पास जाने की जरूरत है?”
फूफा जी ने जवाब दिया, “तुमने सही पकड़ा है। धनबाद से चलते समय ही मैने
सोचा था कि हजामत बनवा लूँगा लेकिन तुम्हारी बुआ की शॉपिंग के चक्कर में टाइम ही नहीं
मिला।“
गप्पू ने कहा, “तो कल चलिये और दिल्ली में हजामत बनवा लीजिए।“
फूफा जी ने कहा, “अरे नहीं, पता नहीं यहाँ
के नाई कैसी हजामत बनाते हैं। मैं तो पिछले तीस सालों से धनबाद के एक ही नाई से हजामत
बनवा रहा हूँ। मुझे उसपर पूरा भरोसा है। पता है, एक बार मैं कंपनी
की ट्रेनिंग के सिलसिले में डेढ़ महीने तक मुम्बई में था लेकिन हजामत नहीं बनवाई।“
गप्पू ने कहा, “क्या बात कर रहे हैं। आपको शायद बुरा लगे लेकिन
दिल्ली तो हर मामले में धनबाद से बेहतर है। यहाँ के नाई तो ज्यादा ही स्मार्ट लगते
हैं। फिर उनकी दुकान भी चकाचक है। एसी लगा हुआ है और अंदर से बिलकुल साफ सुथरा। फिर
अब आपकी उमर में बालों को लेकर इतने नखरे भी शोभा नहीं देता।“
फूफा जी ने कहा, “अरे नहीं, मैं एक महीने
बाद जब जोधपुर से धनबाद लौटूँगा तभी हजामत बनवाउँगा। नहीं तो मेरी हेयरस्टाइल खराब
हो जाएगी।“
गप्पू ने कहा, “क्या बात कर रहे हैं फूफाजी। मेरे साथ चलिये।
मैं आपके बाल बिलकुल लेटेस्ट स्टाइल में कटवा दूँगा। मुहल्ले का नाई मुझे ठीक से पहचानता
है। पता है, वो पापा से भी बहुत खुश रहता है?”
फूफा जी ने कहा, “तुम्हारे पापा से क्यों नहीं खुश होगा। किसी
टकले की हजामत बनाने में कोई मेहनत भी नहीं लगती और पैसे भी पूरे मिल जाते हैं।“
ऐसा सुनकर वहाँ बैठे सबलोग ठठाकर हँस पड़े। फिर अगले दिन सुबह
सुबह गप्पू अपने फूफा जी को लेकर नाई की दुकान चला गया। उस छोटे से बच्चे की उस नाई
से लगता है जबरदस्त दोस्ती थी। फूफा जी के लाख मना करने पर भी नाई ने उनके सिर पर बेरहमी
से कैंची चला दी। थोड़ी ही देर में फूफा जी की हेयरस्टाइल बिलकुल आजकल के लड़कों की तरह
कटोरा कट हो गई। जो फूफा जी आजतक शाहरुख खान की नकल करते थे वे अब उड़ता पंजाब वाले
शाहिद कपूर नजर आ रहे थे। जब फूफा जी ने आइने में अपना चेहरा देखा तो उन्हें अंदर से
बहुत गुस्सा आ रहा था लेकिन एक छोटे बच्चे को वे कुछ नहीं कह पा रहे थे।
जब वे घर आये तो फूफाजी की नई हेयरस्टाइल देखकर अलग-अलग लोगों
ने अलग-अलग कॉमेंट दिये। गप्पू की बुआ ने कहा, “शाबाश गप्पू! आखिरकार तुमने
इनकी सही हजामत बनवा दी। मैं भी अकसर कहती थी कि अब तो अपनी उम्र के हिसाब से बाल रखा
करें लेकिन मेरी सुनते ही नहीं थे।“
बुआ ने फौरन फूफाजी की फोटो खींची और अपने बेटे और बेटी को व्हाट्सऐप
पर भेज दिया। पलक झपकते ही उनका कॉमेंट आया, “वाव! फैंटाबुलस! लुकिंग कूल!”
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