“क्या पेंगुइन की मौत किसी इंफेक्शन की वजह से हुई?”
“क्या पेंगुइन की मौत अधिकारियों की उदासीनता के कारण हुई?”
“क्या पेंगुइन ने आत्महत्या की?”
टीवी एंकर चीख चीख कर दर्शकों को झकझोरने की कोशिश कर रही थी। साथ में किसी मशहूर कार्टून फिल्म के एनिमेशन चल रहे थे जिसमें हजारों पेंगुइन को अंटार्कटिका में धमाचौकड़ी मचाते हुए दिखाया जा रहा था। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि अंटार्कटिका में पेंगुइन की मौत से दिल्ली के टीवी स्टूडियो में बैठे एंकर क्यों परेशान हो रहे थे। थोड़ी देर तक ध्यान से टीवी देखने के बाद दो बातें साफ हो गईं। पहली बात कि मुम्बई के किसी चिड़ियाघर में किसी पेंगुइन की मौत हो गई थी। दूसरी बात कि दिल्ली के टीवी चैनल वालों के पास इतनी जल्दी मुम्बई के चिड़ियाघर से फूटेज लाना संभव नहीं था इसलिए किसी कार्टून फिल्म से ही काम चला रहे थे। अब यह कोई मयूर विहार या अक्षरधाम मंदिर या डीएनडी से घने कोहरे को दिखाने जैसा आसान तो था नहीं कि लपक कर कोई कैमरामैन जाता और विडियो बनाकर ले आता।
थोड़ी देर बाद कांग्रेस के किसी गुमनाम नेता को टीवी पर दिखाया जाने लगा। वह नेता बृहनमुम्बई महानगरपालिका के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहा था। उसका कहना था कि पेंगुइन को अंटार्कटिका से लाने में और फिर उनके रखरखाव की सुविधाएँ बनाने में करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ है। वह इस प्रकरण की सीबीआई जाँच की माँग कर रहा था। जब उत्तर प्रदेश के किसी मंत्री की भैंस गुम हो जाने पर सीबीआई जाँच की माँग उठ सकती है तो फिर पेंगुइन की मौत पर क्यों नहीं।
थोड़ी देर बात एक और ब्रेकिंग न्यूज आने लगा कि राहुल गांधी अपने दलबल के साथ अन्य पेंगुइनों से मिलने मुम्बई के चिड़ियाघर पहुँच चुके हैं। उसके बाद पता चला कि मुम्बई पुलिस ने राहुल गांधी को गिरफ्तार कर लिया। मुम्बई पुलिस के एक आला अधिकारी टीवी पर कह रहे थे कि सुरक्षा कारणों से राहुल गांधी को गिरफ्तार करना जरूरी हो गया था।
जब राहुल गांधी गिरफ्तार हो गये तो फिर भला अरविंद केजरीवाल कहाँ पीछे रहने वाले थे। उन्होंने मनीष सिसोदिया को आगे आगे भेजा और फिर पीछे पीछे खुद चल पड़े। जब मनीष सिसोदिया ने इस बात की पुष्टि की कि पुलिस केवल गिरफ्तार कर रही है और शारीरिक प्रताड़ना नहीं दे रही तो फिर अरविंद केजरीवाल भी जाकर गिरफ्तार हो गये।
अब तो टीवी चैनल वालों की जैसे लॉट्री निकल गई। पूरे दिन के लिए एक से बढ़कर एक ब्रेकिंग न्यूज का जुगाड़ हो गया। उधर अरविंद केजरीवाल ट्वीट कर रहे थे कि उन्हें किसी अज्ञात जगह पर ले जाया जा रहा था। इधर टीवी चैनल वाले राहुल गांधी को पुलिस की जीप में सवार होते हुए दिखा रहे थे।
पुलिस की जीप में बैठे बैठे ही राहुल गांधी ने टीवी चैनल वालों को इंटरव्यू भी दिया, “ये कैसा हिंदुस्तान बना रहे हैं हम। जिस देश में एक पेंगुइन की सुरक्षा की गारंटी नहीं है उस देश में जनता कैसे सुरक्षित रह सकती है। हम चाहते हैं की पीएम को पेंगुइन की मौत के लिए माफी मांगनी चाहिए। उसे शहीद का दर्जा देना चाहिए।“
थोड़ी देर के बाद एक और ब्रेकिंग न्यूज आई कि पेंगुइन ने आत्महत्या की थी। इसकी पुष्टि तब हुई जब पेंगुइन के बाड़े से सल्फास की एक बोतल बरामद हुई। दरअसल वह पेंगुइन हिंदुस्तान के गर्म माहौल से विक्षिप्त हो गया था। पेंगुइन के आवासीय परिसर में जो एयर कंडीशनर लगा था वह इतना तगड़ा नहीं था कि बर्फ जमा सके। बेचारे पेंगुइन को इस बात का डिप्रेशन हो रहा था कि वह कई महीनों से आइस स्केटिंग नहीं कर पाया था। इसलिए अपने हालात से तंग आकर उसने खुदकुशी करने का निर्णय लिया।
यह खबर सुनते ही सत्ताधारी दल के एक बड़े ही काबिल मंत्री ने अपना बयान जारी कर दिया, “वह पेंगुइन मर गया इसका हमें बेहद अफसोस है। लेकिन किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले पेंगुइन के दिमागी हालत की जाँच होनी चाहिए। हो सकता है कि मानसिक संतुलन बिगड़ने के कारण उसने आत्महत्या की होगी। यदि उसकी खुदकुशी की पुष्टि हो जाती है तो फिर उसे शहीद का दर्जा मिलने का सवाल ही नहीं उठता। मैं पूरी जिम्मेवारी के साथ कह सकता हूँ कि एयर कंडीशनर बनाने में हम दुनिया के अग्रणी देशों से टक्कर ले सकते हैं। मेरे कमरे में लगा एसी तो मेरी कुल्फी जमा देता है।“
उसके बाद मंत्री जी ने अपने बयान में यह छौंका भी लगा दिया, “सूत्रों से पता चला है कि वह पेंगुइन चिड़ियाघर में हुए सरपंच के चुनाव में कांग्रेस के टिकट से लड़ा था। इस तरह से वह एक कांग्रेसी कार्यकर्ता हुआ। इस तरह से उस पेंगुइन की मौत भारत को कांग्रेस मुक्त बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है।“
मंत्री जी के इतना कहते ही सारे देशभक्त टीवी चैनल देशद्रोहियों के खिलाफ आग उगलने लगे। आनन फानन में सभी चैनलों पर पैनल बन गये और वाद विवाद प्रतियोगिता शुरु हो गई। पैनल पर शिरकत कर रहे कुछ विद्वानों ने ये तक कह दिया कि चूँकि वह पेंगुइन विदेश से आया था इसलिए उसका स्वर्ग सिधारना ही उचित था। देशभक्ति से लबरेज इस माहौल में यही उचित होगा कि हम स्थानीय पशु पक्षी से अपने चिड़ियाघर को सजाएँ और विदेशी पशु पक्षियों का सार्वजनिक बहिष्कार करें।
“क्या पेंगुइन की मौत अधिकारियों की उदासीनता के कारण हुई?”
“क्या पेंगुइन ने आत्महत्या की?”
टीवी एंकर चीख चीख कर दर्शकों को झकझोरने की कोशिश कर रही थी। साथ में किसी मशहूर कार्टून फिल्म के एनिमेशन चल रहे थे जिसमें हजारों पेंगुइन को अंटार्कटिका में धमाचौकड़ी मचाते हुए दिखाया जा रहा था। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि अंटार्कटिका में पेंगुइन की मौत से दिल्ली के टीवी स्टूडियो में बैठे एंकर क्यों परेशान हो रहे थे। थोड़ी देर तक ध्यान से टीवी देखने के बाद दो बातें साफ हो गईं। पहली बात कि मुम्बई के किसी चिड़ियाघर में किसी पेंगुइन की मौत हो गई थी। दूसरी बात कि दिल्ली के टीवी चैनल वालों के पास इतनी जल्दी मुम्बई के चिड़ियाघर से फूटेज लाना संभव नहीं था इसलिए किसी कार्टून फिल्म से ही काम चला रहे थे। अब यह कोई मयूर विहार या अक्षरधाम मंदिर या डीएनडी से घने कोहरे को दिखाने जैसा आसान तो था नहीं कि लपक कर कोई कैमरामैन जाता और विडियो बनाकर ले आता।
थोड़ी देर बाद कांग्रेस के किसी गुमनाम नेता को टीवी पर दिखाया जाने लगा। वह नेता बृहनमुम्बई महानगरपालिका के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहा था। उसका कहना था कि पेंगुइन को अंटार्कटिका से लाने में और फिर उनके रखरखाव की सुविधाएँ बनाने में करोड़ों का भ्रष्टाचार हुआ है। वह इस प्रकरण की सीबीआई जाँच की माँग कर रहा था। जब उत्तर प्रदेश के किसी मंत्री की भैंस गुम हो जाने पर सीबीआई जाँच की माँग उठ सकती है तो फिर पेंगुइन की मौत पर क्यों नहीं।
थोड़ी देर बात एक और ब्रेकिंग न्यूज आने लगा कि राहुल गांधी अपने दलबल के साथ अन्य पेंगुइनों से मिलने मुम्बई के चिड़ियाघर पहुँच चुके हैं। उसके बाद पता चला कि मुम्बई पुलिस ने राहुल गांधी को गिरफ्तार कर लिया। मुम्बई पुलिस के एक आला अधिकारी टीवी पर कह रहे थे कि सुरक्षा कारणों से राहुल गांधी को गिरफ्तार करना जरूरी हो गया था।
जब राहुल गांधी गिरफ्तार हो गये तो फिर भला अरविंद केजरीवाल कहाँ पीछे रहने वाले थे। उन्होंने मनीष सिसोदिया को आगे आगे भेजा और फिर पीछे पीछे खुद चल पड़े। जब मनीष सिसोदिया ने इस बात की पुष्टि की कि पुलिस केवल गिरफ्तार कर रही है और शारीरिक प्रताड़ना नहीं दे रही तो फिर अरविंद केजरीवाल भी जाकर गिरफ्तार हो गये।
अब तो टीवी चैनल वालों की जैसे लॉट्री निकल गई। पूरे दिन के लिए एक से बढ़कर एक ब्रेकिंग न्यूज का जुगाड़ हो गया। उधर अरविंद केजरीवाल ट्वीट कर रहे थे कि उन्हें किसी अज्ञात जगह पर ले जाया जा रहा था। इधर टीवी चैनल वाले राहुल गांधी को पुलिस की जीप में सवार होते हुए दिखा रहे थे।
पुलिस की जीप में बैठे बैठे ही राहुल गांधी ने टीवी चैनल वालों को इंटरव्यू भी दिया, “ये कैसा हिंदुस्तान बना रहे हैं हम। जिस देश में एक पेंगुइन की सुरक्षा की गारंटी नहीं है उस देश में जनता कैसे सुरक्षित रह सकती है। हम चाहते हैं की पीएम को पेंगुइन की मौत के लिए माफी मांगनी चाहिए। उसे शहीद का दर्जा देना चाहिए।“
थोड़ी देर के बाद एक और ब्रेकिंग न्यूज आई कि पेंगुइन ने आत्महत्या की थी। इसकी पुष्टि तब हुई जब पेंगुइन के बाड़े से सल्फास की एक बोतल बरामद हुई। दरअसल वह पेंगुइन हिंदुस्तान के गर्म माहौल से विक्षिप्त हो गया था। पेंगुइन के आवासीय परिसर में जो एयर कंडीशनर लगा था वह इतना तगड़ा नहीं था कि बर्फ जमा सके। बेचारे पेंगुइन को इस बात का डिप्रेशन हो रहा था कि वह कई महीनों से आइस स्केटिंग नहीं कर पाया था। इसलिए अपने हालात से तंग आकर उसने खुदकुशी करने का निर्णय लिया।
यह खबर सुनते ही सत्ताधारी दल के एक बड़े ही काबिल मंत्री ने अपना बयान जारी कर दिया, “वह पेंगुइन मर गया इसका हमें बेहद अफसोस है। लेकिन किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले पेंगुइन के दिमागी हालत की जाँच होनी चाहिए। हो सकता है कि मानसिक संतुलन बिगड़ने के कारण उसने आत्महत्या की होगी। यदि उसकी खुदकुशी की पुष्टि हो जाती है तो फिर उसे शहीद का दर्जा मिलने का सवाल ही नहीं उठता। मैं पूरी जिम्मेवारी के साथ कह सकता हूँ कि एयर कंडीशनर बनाने में हम दुनिया के अग्रणी देशों से टक्कर ले सकते हैं। मेरे कमरे में लगा एसी तो मेरी कुल्फी जमा देता है।“
उसके बाद मंत्री जी ने अपने बयान में यह छौंका भी लगा दिया, “सूत्रों से पता चला है कि वह पेंगुइन चिड़ियाघर में हुए सरपंच के चुनाव में कांग्रेस के टिकट से लड़ा था। इस तरह से वह एक कांग्रेसी कार्यकर्ता हुआ। इस तरह से उस पेंगुइन की मौत भारत को कांग्रेस मुक्त बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है।“
मंत्री जी के इतना कहते ही सारे देशभक्त टीवी चैनल देशद्रोहियों के खिलाफ आग उगलने लगे। आनन फानन में सभी चैनलों पर पैनल बन गये और वाद विवाद प्रतियोगिता शुरु हो गई। पैनल पर शिरकत कर रहे कुछ विद्वानों ने ये तक कह दिया कि चूँकि वह पेंगुइन विदेश से आया था इसलिए उसका स्वर्ग सिधारना ही उचित था। देशभक्ति से लबरेज इस माहौल में यही उचित होगा कि हम स्थानीय पशु पक्षी से अपने चिड़ियाघर को सजाएँ और विदेशी पशु पक्षियों का सार्वजनिक बहिष्कार करें।