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Wednesday, November 16, 2016

नोट बदलवाने की तैयारी

क्या हुआ? पैसे मिले?” मैने पूछा।

चिंटू ने जवाब दिया, “ नहीं मिले। चार घंटे लाइन में लगा था। उसके बाद बताया कि बैंक में केवल जमा लेंगे लेकिन नोट बदलेंगे नहीं।

मैने कहा, “तुमने जाने में देर कर दी थी। किसी लाट साहेब की तरह नाश्ता करके गये थे।“

चिंटू ने कहा, “हाँ, सोच रहा हूँ कल सुबह पाँच बजे ही लाइन में लग जाउँगा।“

मैने कहा, “टीवी पर देखा है कि बहुत लोग रिजर्व बैंक के पास लाइन लग रहे हैं। वहीं चलते हैं। रिजर्व बैंक है, वहाँ पैसों की कमी नहीं होगी।“

चिंटू ने कहा, “हाँ सही कह रहे हो भैया। छोटे ब्रांच में तो कैश तुरंत खत्म हो जा रहा है।“

मैंने अपनी बीबी से कहा, “कल के लिए आज रात ही पराठे बना लेना। बंटी को स्कूल नहीं भेजेंगे और उसे भी लाइन में लगा देंगे। चार आदमी लाइन में लगेंगे तो साढ़े चार हजार के हिसाब से अठारह हजार तो बदल ही जाएँगे।“

मेरी बीबी ने कहा, “हाँ, समझ लेंगे कि इंडिया गेट गये थे पिकनिक मनाने।“

तभी मुझे अपने पड़ोसी का ध्यान आया। उनके बिटिया की शादी परसों ही है। वे भी परेशान हैं। मैने सोचा उनसे भी मिल लूँ। मैं अपने पड़ोसी के पास गया और बोला, “अंकल, कल हम लोग रिजर्व बैंक जा रहे हैं। नोट बदलवाने के लिए लाइन लगने। आप चाहें तो हमारी कार से चल सकते हैं। कम से कम चौबीस हजार तो मिल जाएँगे।“

मेरे पड़ोसी ने कहा, “अभी अभी टीवी पर सुना है कि अब शादी वाले परिवार को ढ़ाई लाख रुपए निकालने की इजाजत मिल गई है।“

मैने कहा, “वाह ये तो अच्छी बात है। लेकिन ढ़ाई लाख में क्या होगा? चलिये आपके परिवार में कम से कम चार लोगों के खाते तो होंगे ही। दस लाख निकल जाने से शादी में परेशानी नहीं होगी।“

मेरे पड़ोसी ने कहा, “अरे नहीं, एक परिवार के एक ही सदस्य के खाते से इतनी रकम निकाल सकते हैं। उसे निकालने के लिये केवायसी भी भरना पड़ेगा।“

मेरे पड़ोसी का बेटा भी तब तक हमारी बातचीत में शामिल हो गया, “हमें सरकार का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि इसके लिये दूल्हा और दुल्हन की जन्मकुंडली नहीं माँग रहे हैं।“

उसकी बात सुनते ही मैं अपनी हँसी रोक नहीं पाया और बोला, “उसपर शर्त ये होगी कि दूल्हा और दुल्हन की कुंडली में छत्तीस गुण मेल खाने चाहिए तभी पैसे मिलेंगे।“


अगले दिन हमलोग सुबह चार बजे अपनी गाड़ी में लद गये। मेरी बीबी ने साथ में लगभग पचास पराठे, अचार की बोतल और पानी की पाँच छ: बोतलें रख लीं। गाड़ी की डिक्की में कम्बल भी रख लिये गये। इस बार हम यह ठान कर जा रहे थे कि चाहे दो दिन तक लाइन में लगना पड़े, अपने नोट बदलवा कर जरूर आएँगे। हमारे पड़ोसी और उनका बेटा भी हमारे साथ थे। उन्होंने अपना पहचान पत्र, अपनी बेटी का पहचान पत्र, अपने होने वाले दामाद और उनके पिता के पहचान पत्र, दूल्हा दुल्हन की जन्मकुंडली और शादी का निमंत्रण कार्ड भी रख लिया था। लग रहा था कि हम सब वाकई किसी जंग को जीतने के मकसद से जा रहे थे। 

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