नेताजी से पूरा देश त्रस्त रहता
है। ज्यादातर नेता काम के नाम पर केवल बातें बनाते रहते हैं। यदि आप पार्लियामेंट की
डिबेट आधे घंटे भी देख लें तो आपको सरदर्द हो जायेगा। कुछ लोग तो इतना लंबा भाषण देते
हैं कि अंदर बैठे अन्य नेता एकाध नींद भी मार लेते हैं। कुछ नेता इस तरह भाषण देते
हैं जैसे स्कूल लेवल स्पीच कॉंपिटिशन में भाग ले रहे हों। ऐसे ही एक नेता से मेरा पाला
पड़ा जिन्होंने अभी अभी राजनीति में कदम रखा था।
ये बात जौनपुर की है। उस समय
हेपाशील्ड नया लॉन्च हुआ था। हमलोग जौनपुर शहर में वैक्सिनेशन कैंप करवाने की सोच रहे
थे। वैक्सिनेशन को सफल बनाने के लिए मुझे लगा कि लोकल नेता की मदद लेनी चाहिए। वहाँ
के व्यापार संघ के पूर्व अध्यक्ष ने हाल ही में नगर पार्षद का चुनाव जीता था। वे अक्सर
फाइजर के होलसेलर के पास आया जाया करते थे। इसलिए मेरी भी उनसे जान पहचान हो चुकी थी।
मैने उनसे वैक्सिनेशन कैंप के बारे में बात की और उनसे मदद की गुजारिश की। वे इसके
लिए तुरंत तैयार हो गये लेकिन उनकी दो शर्तें थीं। पहली शर्त थी कि वैक्सिनेशन कैंप
का फीता उन्हीं से कटवाया जायेगा। और दूसरी शर्त थी कि अखबार में उनकी बड़ी-बड़ी फोटो
आनी चाहिए और हेडलाइन में भी उनका नाम आना चाहिए। मै बिना देरी किये उनकी दोनों शर्तों
पर राजी हो गया। उसके बाद वैक्सिनेशन के ठीक से प्रचार करने के लिए उन्होंने मुझे इस
बात के लिए बुलाया कि उनके साथ जाकर मैं वहाँ के मुख्य व्यापारियों से मिलूँ। मैं इस
बात के लिए भी तैयार हो गया क्योंकि मैं चाहता था कि अधिक से अधिक परिवार के लोग वैक्सिनेशन
करवाने आएँ।
एक दिन मैं उनके साथ उनकी कार
में किसी व्यापारी से मिलने जा रहे थे। कार उनका ड्राइवर चला रहा था। मैं उनके साथ
पिछली सीट पर बैठा था। छोटा शहर होने के कारण गाड़ी धीरे-धीरे ही बढ़ पा रही थी। इस बीच
मैने गौर किया कि वो नेताजी दाएँ-बाएँ सिर हिलाकर हाथ जोड़कर आते जाते लोगों को नमस्कार
कर रहे थे। मुझे लगा कि वे उस शहर के पुराने निवासी थे इसलिए उनके कई परिचित रास्ते
में दिख रहे होंगे इसलिए वे सबको नमस्कार कर रहे होंगे। फिर थोड़ी देर बाद मैने यह गौर
किया कि उनके नमस्कार का जवाब तो कोई भी नहीं दे रहा था।
चूँकि उनके साथ मैं कई बार कॉकटेल
के लिए भी बैठा था इसलिए उनसे दोस्ती जैसा संबंध ही था। मैने उनसे पूछा, “भाई साहब,
एक बात मेरी समझ में नहीं आई। न तो कोई आपको नमस्ते कर रहा है और न ही
कोई आपकी नमस्ते का जवाब दे रहा है। फिर आप इस तरह लगातार किसे नमस्कार कर रहे हैं?”
अब उन नेताजी का जवाब उन्हीं के मुँह से सुन लीजिए, “दरअसल
अगले चुनाव में मैं विधायक के उम्मीदवार के रूप में खड़ा होना चाहता हूँ। इसके लिए मैं
दो पार्टियों के वरिष्ठ नेताओं से भी बात कर रहा हूँ। मैं उसी चुनाव के लिए अभी से
रियाज कर रहा हूँ। विधायक का चुनाव बहुत मुश्किल होता है न।“
उनका जवाब सुनकर मेरी हँसी रोके नहीं रुक रही थी। लेकिन मैं
जहाँ और जिसके साथ बैठा था और जिस प्रयोजन से जा रहा था उसका ध्यान रखते हुए अपनी हँसी
बर्दाश्त किए बैठा रहा। उसकी कसर बाद में मैने तब निकाली जब मैं अपने दोस्तों के साथ
फुरसत में बैठ पाया।
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