आज जन्माष्टमी का दिन है।
यह दिन भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। मेरी सोसाइटी के पब्लिक
ऐड्रेस सिस्टम पर सुबह सुबह ही यह घोषणा कर दी गई थी कि चिल्ड्रेन पार्क में
जन्माष्टमी का समारोह मनाया जाएगा। शाम में पाँच बजे के आसपास मेरे एक पड़ोसी की
पाँच साल की बेटी ने इंटरकॉम पर कॉल करके मुझे बताया, “अंकल मैं आज राधा बनने वाली
हूँ। मैं स्टेज पर डांस करूँगी। उसे देखने आप जरूर आना। आंटी और भैया को भी साथ
में लाना।“
शाम सात बजे के आसपास हमलोग
तैयार होकर नीचे पार्क में चले गये। वहाँ पर अच्छी खासी भीड़ जमा हो चुकी थी। लोहे
की पाइपों के फ्रेम पर रंग बिरंगे कपड़े लगाकर एक स्टेज बनाया गया था। जिसके अंदर
भगवान कृष्ण की छोटी सी मूर्ति लगी हुई थी। मूर्ति के आगे एक पालने पर एक नवजात
शिशु को भी लिटा दिया गया था। स्टेज के बाहर कई दरियाँ बिछा दी गई थीं। उन दरियों
के चारों ओर प्लास्टिक की कुर्सियाँ लगी थीं। जब तक हम नीचे पहुँचे थे तब तक सारी
कुर्सियाँ भर चुकी थीं, इसलिए हमें उन
कुर्सियों के पीछे खड़े होकर ही समारोह का आनंद लेना था। इस सोसाइटी में घर खरीदने
वाले ज्यादातर लोग तीस के आस पास के हैं। इसलिए इस सोसाइटी में छोटे बच्चों की
जनसंख्या अच्छी खासी है। सभी बच्चे कुर्सियों के आगे लगी दरियों पर खेल रहे थे।
ज्यादातर लड़कियों ने राधा का ड्रेस पहना था और कुछ लड़कों ने कृष्ण का ड्रेस पहना
था। लेकिन ज्यादातर लड़के लेटेस्ट फैशन वाले ड्रेस पहने नजर आ रहे थे। बड़े-बड़े
स्पीकरों से हिट गाने बज रहे थे अधिकतर लड़कियाँ उन धुनों पर नाच रही थीं। लेकिन
अधिकतर लड़के एक दूसरे से धींगा मुश्ती कर रहे थे।
थोड़ी देर बाद सोसाइटी के आर डब्ल्यू ए के सदस्य आ गये।
उनमें से एक ने माइक लेकर घोषणा की, “आप सबको इस सोसाइटी की तरफ से जन्माष्टमी
की हार्दिक शुभकामनाएँ। अब थोड़ी देर में स्टेज पर बच्चों द्वारा डांस पेश किया
जाएगा। जिन लोगों ने अपने बच्चों को डांस के लिए तैयार किया है वे बारी बारी से
स्टेज पर आ जाएँ।“
उस घोषणा को सुनते ही वहाँ बैठी महिलाओं में खलबली मच गई।
ज्यादातर महिलाओं ने अपनी बेटियों को राधा का गेटअप देने में कोई कसर नहीं छोड़ी
थी। उनमें से कुछ स्वयं भी किसी राधा से कम नहीं लग रहीं थीं। थोड़ी ही देर में
स्टेज पर एक साथ कई राधा पहुँच चुकी थीं। उनके साथ लगभग उतनी ही संख्या में राधाओं
की मम्मियाँ भी थीं। स्टेज पर बढ़ती हुई भीड़ देखकर वहाँ उपस्थित उद्घोषक के तो होश
उड़ गये। उसने फिर से माइक पकड़ा और बोलने लगा, “इस सोसाइटी के निवासियों का जोश देखकर मैं
भी पूरे जोश में आ गया हूँ। लेकिन स्टेज पर जगह की कमी होने के कारण मुझे कुछ
कायदे कानून बनाने होंगे। बेहतर ये होगा कि आप लोग अपने बच्चों के नाम लिखवा दें।
फिर बारी बारी से हम बच्चों को बुलाकर उनका डांस पेश करेंगे।“
उसके बाद सभी मम्मियों ने अपनी अपनी राधाओं और कृष्णों के
नाम लिखवा दिये। फिर बारी बारी से बच्चों को स्टेज पर बुलाया जाने लगा। बच्चों ने
एक से एक डांस पेश किया। लेकिन ज्यादातर डांसों में दो ही गाने सुनाई पड़ रहे थे।
एक गाना था ‘राधा तेरी चुनरी ओ राधा तेरा झुमका’ और
दूसरा गाना था ‘राधा कैसे न जले’। हर
किसी को ताज्जुब हो रहा था कि वहाँ उपस्थित सैंकड़ों महिलाओं में गाने के सेलेक्शन के
मामले में एकमत कैसे हो गया।
बहरहाल जैसे ही डांस प्रोग्राम शुरु हुआ वैसे ही ज्यादातर
लोग ठीक स्टेज के पास जाकर खड़े हो गये ताकि वे उस प्रोग्राम को ठीक से देख सकें।
उन्हें इस बात की कोई चिंता नहीं थी कि पीछे बैठे लोगों को कुछ भी दिखाई नहीं दे
रहा था। एनाउंसर ने कई बार लोगों से बैठ जाने की अपील की लेकिन कोई मानने को तैयार
नहीं था। शायद खड़े होने से फोटो खींचने और वीडियो बनाने में ज्यादा सहूलियत हो रही
थी।
सब कुछ सामान्य रूप से चल रहा था। तभी किसी नई डांसर की
बारी आई। उसके साथ उसकी मम्मी भी स्टेज पर गई। बताया गया कि वह बच्ची किसी अनूठे
गाने पर डांस करने वाली थी। उसकी मम्मी ने वहाँ खड़े टेकनीशियन को पेन ड्राइव दिया
ताकि गाना बज सके। पेन ड्राइव लगाने पर गाना शुरु होते ही बंद हो गया। स्पीकर में
से चीं पों की आवाज आने लगी। उस बच्ची की मम्मी ने एनाउंसर के हाथ से माइक छीना और
बोलीं, “लगता है स्पीकर में कुछ खराबी आ गई है। इसलिए अपनी बच्ची के लिए मैं खुद
ही गाना गा दूँगी।“
उसके बाद उस बच्ची की मम्मी ने गाना शुरु किया। वह गाना
अनोखा तो था ही साथ में कुछ अजीब भी था। उस महिला की बेसुरी गायकी ने माहौल को और
भी खराब कर दिया। मुझे ठीक से याद नहीं लेकिन गाना कुछ इस प्रकार था:
“ओ कृष्णा आइ हैव मेड ए बिल्डिंग फॉर यू इन माइ हार्ट
ओ कृष्णा आइ हैव मेड डेलिसियस फूड फॉर यू
आइ हैव टेकेन बटर एंड घी एंड मिल्क तो मेक द डिश
ओ कृष्णा आइ लव यू”
समस्या केवल हिंगलिश भाषा से नहीं थी। उस महिला का ना तो
उच्चारण ठीक था ना ही प्रोनाउंसिएशन और ना ही तलफ्फुस। लोग बड़ी मुश्किल से उस गाने
को झेल रहे थे। लेकिन उस महिला को वहाँ बैठे लोगों पर जरा भी तरस नहीं आ रहा था।
खैर लगभग पाँच मिनट के लंबे अंतराल के बाद लोगों को उस भीषण गायकी से मुक्ति मिली।
लोगों ने औपचारिकता निभाते हुए उस महिला और उसकी बच्ची के लिए जोर जोर से तालियाँ
बजाई।
जब वह महिला अपने घर पहुँची तो घर में कोहराम मच गया। घर
पहुँच कर जब उसने अपने पति से अपने परफॉर्मेंस के वीडियो के बारे में पूछा तो पति
ने बताया, “गजब हो गया। मैं तो वीडियो बना ही नहीं पाया। ठीक ऐन वक्त पर
मेरा फोन हैंग कर गया था।“
इतना सुनते ही वह महिला बिफर पड़ी, “तुम तो
चाहते ही नहीं हो कि मेरा भी नाम हो।“
पति ने कहा, “:अरे नहीं ऐसा नहीं है। स्पीकर का तार तो मैंने
सही समय पर काट दिया था। तभी तो तुम्हें गाने का मौका मिला।“
महिला इतने से कहाँ मानने वाली थी। उसने कहा, “मैं जानती
हूँ कि मेरे अंदर कितना टैलेंट छुपा है। जबसे तुमसे शादी हुई है इस घर की चारदीवारी
में बंद हो गई हूँ। आज बड़ी मुश्किल से मौका मिला था अच्छी ड्रेस पहनकर दुनिया को दिखाने
का। बच्ची के बहाने उतना बड़ा स्टेज भी मिल गया था। लेकिन तुम मुझसे जलते हो।“
पति ने कहा, “क्या बात करती हो। सुबह बिटिया को स्कूल बस
के पास छोड़ने तुम ही जाती हो। फिर क्लब की किटी पार्टी में भी बराबर जाती हो। एक वीडियो
रिकार्डिंग नहीं हो पाई तो क्या हुआ।“
पत्नी ने कहा, “अरे तुम्हारा फोन हैंग कर गया तो किसी पड़ोसी
का फोन थोड़ी देर के लिए उधार माँग लेते। क्या पता मेरी वीडियों यूट्यूब पर वैसी ही
हिट हो जाती जैसी जस्टिन बेबर की हुई थी।“
पति ने कहा, “अच्छा अगले साल की जन्माष्टमी के समारोह में
मैं पूरी तरह से तैयार रहूँगा।“
महिला ने कुछ नहीं बोला और अपने कोपभवन में चली गईं। उसके बाद
बेचारे पति इस बात का इंतजार करने लगे कि कैसे रात के बारह बजें और कृष्ण भगवान का
जन्म हो। वे इस उम्मीद में जाग रहे थे कि कृष्ण भगवान के जन्म होते ही उन्हें कुछ खाने
को मिला जाता।
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