भारत हिंदुओं का देश है; ऐसा कई आधुनिक राजनेताओं और ज्ञानियों का मानना है। वे ऐसा इसलिए
समझते हैं क्योंकि इस देश में हिंदु धर्म को मानने वाले अन्य धर्मों की अपेक्षा अधिक
संख्या में हैं। अन्य किसी भी धर्म की तरह हिंदु धर्म की भी अपनी कई विशेषताएँ हैं।
इन्हीं विशेषताओं में से एक है हर तरह के पाप से बरी होने के सैंकड़ों जुगाड़। आप पूरे
जीवन काल में चाहे जितने दुष्कर्म करें, मरने से ठीक पहले यदि आपने गोदान कर दिया तो
आप आराम से वैतरणी पार करके स्वर्ग में जगह रिजर्व करा सकते हैं। यदि बुढ़ापे तक इंतजार
नहीं करना चाहते हैं तो आप किसी तीर्थस्थान तक दंड प्रणाम करते हुए जाइए और आपको अपने
किए पापों से मुक्ति मिल जाएगी। यदि आप धनाढ़्य हैं तो किसी भी नामी गिरामी मंदिर में
सवा लाख रुपए नकद का चढ़ावा चढ़ा दीजिए फिर आपको अपने पाप से मुक्ति मिल जाएगी। हमारे
देश में एक मंदिर ऐसा भी है जो मात्र ग्यारह रुपए का चढ़ावा देने से ही पापमुक्त होने
का सर्टिफिकेट देता है।
हिंदु धर्म की इसी अतुलनीय शक्ति के कारण उन हजारों पंडों और
पुजारियों को कोई पाप नहीं लगता जो मंदिरों में घटिया प्रसाद बेचते हैं या गंगा जल
के नाम पर कोई भी पानी बेच देते हैं या दूध के नाम पर दूधिया पानी बेचते हैं। कुछ लोग
तो इन चढ़ावों से बचने के लिए भी कोई न कोई जुगाड़ निकाल लेते हैं। एक बार मैंने अपने
एक पड़ोसी को ऐसा करते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया था। वे पिछ्वाड़े के बगीचे में एक बोरी
में मरी हुई बिल्ली को दफन कर रहे थे। जब उनका मुझसे सामना हुआ तो उन्होंने बताया कि
किसी बिल्ली की हत्या हो जाने के बाद बिल्ली के वजन के बराबर सोने की बिल्ली किसी ब्राह्मण
को दान में देनी पड़ती है। वैसे आजकल के ब्राह्मण छोटे आकार की सोने की बिल्ली से भी
मान जाते हैं। लेकिन सोने के भाव आसमान छूने के कारण मेरे पड़ोसी को दूसरा रास्ता खोजना
पड़ा था।
पाप के दंड से बचने की इसी कोशिश में आजकल नए-नए फैशन चल पड़े
हैं। आपको कहीं भी कोई आदमी अपनी कार रोककर उसकी खिड़की से हाथ बढ़ाकर किसी गाय को रोटी
खिलाते हुए दिख जाएगा। मेरे मुहल्ले में एक सज्जन के यहाँ तो काले रंग के कुत्तों की
लाइन लगी रहती है। उन्हें किसी परम ज्ञानी ज्योतिषी ने बताया है कि काले कुत्ते को
रोटी खिलाने से उसके सारे पाप धुल जाएँगे। अब उसके पाप धुलेंगे या नहीं ये तो पता नहीं
लेकिन इससे उन कुत्तों की आजकल अच्छी कट रही है।
लगता है हमारे राजनेता और प्रशासनिक अधिकारी भी हिंदू धर्म के
इस फार्मूले से अच्छी तरह से प्रभावित हैं। लगभग दो साल पहले दिल्ली में डीजल गाड़ियों
की बिक्री पर बैन लगाने की बात उठी थी। इससे न सिर्फ डीजल गाड़ियों की बिक्री पर असर
पड़ा बल्कि काम धंधे पर भी असर पड़ने लगा। जब उद्योगपतियों और व्यवसायियों का दवाब सरकार
पर बढ़ने लगा तो सरकार ने प्रदूषण के पाप से लोगों को उबारने का अनूठा तरीका निकाल लिया
है। पहले बताया गया कि अब डीजल गाड़ियों पर 1% ग्रीन टैक्स देने से काम बन जाएगा। फिर
अफसरों को लगा कि 15 से 50 लाख की गाड़ियाँ खरीदने वाले लोग बड़े-बड़े मंदिरों में ग्यारह
रुपए का चढ़ावा तो नहीं चढ़ाते होंगे इसलिए 1% की ग्रीन टैक्स उनके लिए मामूली रकम होगी।
अब बात हो रही है कि इसे 10 से 20% तक कर दिया जाएगा। एक बार आपने अपनी नई डीजल गाड़ी
के लिए ग्रीन टैक्स दे दिया फिर उससे होने वाले प्रदूषण के पाप आपके सिर से अपने आप
धुल जाएँगे।
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