Pages

Sunday, July 24, 2016

हाथी और बिकोसूल्स

बिकोसूल्स एक ऐसा ब्रांड है जिसे फाइजर का ब्रेड बटर प्रोडक्ट माना जाता है। इसकी जबरदस्त सेल भी है इसलिए इसे बेचना बहुत ही आसान काम है। लेकिन किसी भी ऐसे प्रोडक्ट के लिए जिसकी सेल पहले से पीक पर हो; टार्गेट भी बहुत ज्यादा होता है और उस टार्गेट को पूरा करना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे प्रोडक्ट की टार्गेट पूरा करने के लिए और सेल्स में ग्रोथ देने के लिए किसी भी मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव को एड़ी चोटी एक करनी पड़ती है। यह किस्सा इसी परेशानी के बारे में है जो मेरे किसी बहुत ही सीनियर ने सुनाई थी।

उनका नाम याद नहीं लेकिन फिर भी उनका नाम रख देता हूँ चोपड़ा साहब। बात साठ या सत्तर के दशक की होगी। चोपड़ा साहब तब एक यंग मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव हुआ करते थे। किसी एक क्वार्टर में उन्होंने बिकोसूल्स की इतनी सेल की कि अपने बजट का 150% पूरा कर लिया। अब इतनी अच्छी सेल्स पर सबके कान तो खड़े होने ही थे। साइकिल मीटिंग में चोपड़ा साहब से पूछा गया कि इतनी अच्छी सेल्स लाने के लिए उन्होंने कौन सा तीर मारा। अब इसपर चोपड़ा साहब का जवाब खुद सुन लीजिए।

“सर, मेरे शहर में अजंता सर्कस लगा हुआ था। मैं भी एक रविवार को सर्कस देखने गया। सर्कस देखते समय मुझे लगा कि सर्कस का एक हाथी जो सबसे मजेदार करतब दिखा रहा था कुछ कमजोर हो गया था। मैंने मामले की तह तक जाने के लिए उस सर्कस के मैनेजर से मिलने की कोशिश की। जब मैनेजर से मिला तो वह मुझे उस आदमी तक ले गया जो उस हाथी की देखभाल के लिए खासतौर से लगा हुआ था। उस आदमी ने भी मेरी बात से हामी भरी कि हाथी वाकई कमजोर हो गया था। फिर उसे मैने बिकोसूल्स के बारे में बताया। मैने उसे बताया कि किस तरह से बिकोसूल्स से अच्छी ताकत की दवाई कोई नहीं है। मैने उसे बताया कि यदि हाथी दोबारा ठीक हो जाएगा तो उसके करतबों पर फिर से दर्शकों की तालियाँ बजेंगी और सर्कस का बिजनेस भी बढ़ेगा। उसे मेरी बात में दम लगा और शुरु में उसने मुझे एक गत्ते बिकोसूल्स का ऑर्डर दे दिया। एक विशाल हाथी के लिए तो एक गत्ता बिकोसूल्स कुछ भी नहीं था। फिर एक महीना बीतते-बीतते मुझे वहाँ से 200 गत्ते बिकोसूल्स का ऑर्डर मिला।“


उस मीटिंग में आए लोग चोपड़ा साहब की बातों पर तालियाँ बजाने लगे। लेकिन उनकी तालियों में कुछ खास जोश नहीं था। बाकी लोग या तो चोपड़ा साहब की सफलता से जल रहे थे या उन्हें दाल में कुछ काला नजर आ रहा था। 

No comments: