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Saturday, July 30, 2016

बाघ ने गाय को क्यों मारा?

बाघ अपनी गुफा के आगे चिंतित मुद्रा में बैठा हुआ था। तभी सामने से उसका पुराना चमचा चंदू सियार आया। चंदू सियार ने बाघ से पूछा, “मालिक, क्या बात है? आप बड़ी चिंता में लग रहे हैं। सुबह से कोई शिकार नहीं मिला?”

बाघ धीरे से गुर्राया, “अरे, तुम्हारे जैसे चमचों के रहते मुझे शिकार रोज ही मिल जाता है। उसकी कोई चिंता नहीं है।“

चंदू सियार ने फिर पूछा, “तो फिर मालकिन ने कुछ कह दिया होगा। तभी सुबह सुबह मूड खराब है। चलिये तालाब के पास चलते हैं। सुना है वहाँ पर कई जवान बाघिन आई हैं।“

बाघ ने एक लंबी साँस लेते हुए कहा, “नहीं दरअसल बात ये है कि आजकल कुछ मनुष्य राष्ट्रीय पशु के ओहदे से मुझे हटाने की साजिश रच रहे हैं। उनमें से ज्यादातर लोग धार्मिक प्रवृत्ति के हैं और कहते हैं कि गाय को राष्ट्रीय पशु का ओहदा मिलना चाहिए।“

चंदू सियार ने कहा, “इससे क्या फर्क पड़ता है, गाय के राष्ट्रीय पशु बनने के बाद ऐसा तो नहीं हो जायेगा कि आप बाघ से गदहे बन जाएँगे। या फिर कोई भी गाय आएगी और आपको डराकर चली जाएगी।“

बाघ ने कहा, “तुम जूठन चाटने वाले सियार क्या समझोगे कि इज्जत की कितनी कीमत होती है। जब मैगजीन के कवर पर, डाक टिकट पर तस्वीर छपती है तो बहुत अच्छा लगता है। भला किसी ने राष्ट्रीय खेलों के लिए बाघ को छो‌ड़कर कभी किसी सियार को मैस्कॉट बनाया गया है। तुम नहीं समझोगे।“

सियार ने कहा, “इसके लिए आपने जंगल के राजा शेर से बात की? हो सकता है वो आपकी मदद करें।“

बाघ ने कहा, “अरे कहाँ का राजा? बस मुट्ठी भर बचे हैं गुजरात के जंगलों में और अपने आप को राजा समझते हैं। भला किसी ने सेव लायन करके कोई कैंपेन किया है। उसके लिए भी लोगों को सेव टाइगर का ही खयाल आता है।“

सियार ने अपनी बत्तीसी दिखाते हुए कहा, “ठीक कहा मालिक, वैसे भी आजकल कई गुजराती मनुष्य अपने आप को शेर समझने लगे हैं। असली शेरों का अब वो रौब नहीं रहा।“

बाघ ने कहा, “अब अपनी पदवी बचाने के लिए मुझे ही कुछ करना पड़ेगा। सोच रहा हूँ कि एक एक करके इन मनुष्यों का वध कर दूँ।“

सियार ने कहा, “लेकिन ऐसा संभव नहीं है मालिक। बाघों की संख्या तो पूरे हिंदुस्तान में दो हजार से कुछ कम ही होगी। और पता है आपको कि मनुष्य कितने हैं? पूरे एक सौ बीच करोड़। सब ने मिलकर यदि एक साथ बाघों को घुड़की भी दे दी तो फिर यह पूरी धरती बाघों से विहीन हो जाएगी।“

बाघ ने कहा, “अब तुम ही बताओ क्या करना चाहिए।“

सियार ने कहा, “आप आज से भोजन के लिये गायों का शिकार करना शुरु कर दीजिए। जहाँ दस बीस गायेँ मरेंगी लोग डर के मारे गाय पालना ही छो‌ड़ देंगे। जब लोग डर जायेंगे तो गायें अपने आप डर जायेंगी। वे तो ऐसे भी गऊ होती हैं, मतलब बिलकुल सीधी सादी।“


उसके बाद बाघ ने एक लंबी दहाड़ ली। वह वहाँ से उठकर पास के गाँव गया। उसके सामने सबसे पहले जो गाय आई उसने उसे वहीं मार गिराया। लोगों का शोरगुल सुनकर मरी हुई गाय को वहीं छो‌ड़कर वह बाघ दुम दबाकर जंगल की ओर भागा। 

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