सरकार का खजाना हमेशा खाली ही
रहता है। खर्चे जो बढ़ गए हैं। प्रधानमंत्री को जरूरी काम से बार-बार देश से बाहर
जाना होता है; वो भी पूरा एक हवाई जहाज लेकर। अब हवाई जहाज का माइलेज किसी मोटरसाइकिल
की तरह तो है नहीं। इसलिए तेल का खर्चा बहुत बढ़ जाता है। उनके अलावा बहुत सारे मंत्री-संतरी
भी देश और विदेश का भ्रमण किया करते हैं। साथ में नौकरशाहों की एक बड़ी फौज को वेतन
भी देना होता है जो सातवें वेतन आयोग के बाद और भी बढ़ गया है। ऐसे में सरकार को हमेशा
नए-नए उपाय खोजने पड़ते हैं कि किस तरह से टैक्स का कलेक्शन बढ़ाया जाए। कभी-कभी प्रधानमंत्री
और वित्त मंत्री लोगों से अपील करते हुए धमकी भी देते हैं कि तीस सितंबर तक अपना छुपा
हुआ धन दिखा दें नहीं तो कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी। अब आप ही बताइए कि कोई आदमी इतने जतन
से छुपाए हुए धन का खुलासा आसानी से कैसे कर दे। बहरहाल, अभी
हाल ही में केरल की नई चुनी हुई सरकार ने पिज्जा और बर्गर जैसे फास्ट फूड पर ‘फैट टैक्स’ लगाने का मन बना लिया है। ऐसा कहा गया है
कि इससे लोगों को जंक फूड खाने से रोका जा सकेगा और फिर मोटापे जैसी समस्या से मुक्ति
मिल जाएगी। देसी ज्ञानियों की मानें तो हर विदेशी फूड जंक फूड होता है और हर देसी फूड
हेल्दी फूड होता है।
लेकिन योगा डे की सफलता से अभिभूत होकर और बाबा रामदेव से प्रेरित
होकर भारत सरकार ने सोचा है कि अब हर उस व्यंजन पर ‘फैट टैक्स’ लगाया जाएगा जिससे मोटापा बढ़ने का खतरा हो। उसके बाद आपको कोई भी आदमी ऐसा
नहीं मिलेगा जो यह दावा कर सके कि वह खाते पीते घर से आता है। सरकार के इस फैसले से
हर घर में खलबली मच सकती है। इसके कुछ उदाहरण नीचे दिये गये हैं।
उदाहरण 1:
“अरी अम्माँ, आज खाने में क्या बना रही हो?”
“आज तो मैं बिरयानी बना रही हूँ। लेकिन डर है कि कहीं टैक्स
विभाग वाले छापा न मार दें। अब बिरयानी की खुशबू तो पूरे मोहल्ले में फैलेगी। इससे
हमारे पड़ोसी को पता चल जाएगा कि हमारे यहाँ बिरयानी बनी है और उन्हें न्योता तक नहीं
मिला। हो सकता है कि गुस्से में वे 100 नम्बर डायल करके पुलिस को इत्तला कर दें।“
उदाहरण 2:
“भाग्यवान आज खाने में क्या बना है?”
“आज तो मैंने दलिया बनाया है।“
“तुमने मेरा फेवरीट ‘आलू के पराठे’ और पनीर
बटर मसाला क्यों नहीं बनाया?”
“तुम्हारी अकल घास चरने गई है। सुना नहीं इस तरह के डिश बनाने
पर ‘फैट टैक्स’ देना पड़ता है? आजकल
तो टैक्स विभाग वालों को ये अधिकार दे दिया गया है कि जब चाहें किसी के घर पर छापा
मार सकते हैं। इसलिए दलिया और खिचड़ी खाकर संतोष करो।“
उदाहरण 3:
“अरे सुना तुमने? वर्मा जी की इज्जत मुहल्ले में कितनी बढ़ गई।“
“क्यों क्या हुआ?”
“कल उनके घर टैक्स विभाग वालों ने रात बारह बजे छापा मार दिया।
वे लोग आधी रात को चिकन टिक्का, लच्छा पराठा, दाल मखनी
और गाजर का हलवा खा रहे थे। उन्होंने इसके लिए ‘फैट टैक्स’
नहीं भरा था। फिर क्या था, टैक्स की चोरी के आरोप
में उन्हें हवालात ले जाया गया। मोहल्ले के बाकी लोग तो उनसे जलने लगे हैं। कहते हैं
कि हमें तो दाल भी नसीब नहीं होती और ये चिकन टिक्का और लच्छा पराठा खा रहे हैं।“
“मुझे नहीं चाहिए ऐसी इज्जत जिसमें हवालात जाने का खतरा हो।“
“हाँ ठीक कहते हो। हम जब छुट्टियों में लंदन घूमने जाएँगे तो
वहाँ जाकर चिकन टिक्का का मजा लेंगे। सुना है चिकन टिक्का तो इंगलैंड की नेशनल डिश
हो गई है।“
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