Pages

Friday, July 1, 2016

कुँवारा बाप

एकता ने तुषार से कहा, “अब तो तुम्हारी भी उम्र सारी हदें पार कर चुकी है। ना तो कोई फिल्म मिल रही है और ना ही कोई ऐसी लड़की जो तुमसे शादी करने को तैयार हो। क्या सोचा है, आगे की जिंदगी के लिए?”

तुषार ने जवाब दिया, “मेरे बारे में सोचने से पहले अपने बारे में सोचो। तुम्हारा क्या होगा?”
इस पर एकता ने कहा, “मैंने हम दोनों के बारे में सोच लिया है। शुरु से मुझे ही पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठानी पड़ रही है। बूढ़े माँ बाप और एक प्रौढ़ होते हुए भाई की जिम्मेदारी उठाना आसान काम नहीं है। अब इस ढ़लती उम्र में कौन मुझसे शादी करेगा। अब तो मैं केवल एक ही बात सोच रही हूँ। कोई ऐसा होता जो हमारे मरने के बाद हमारी चिता को मुखाग्नि देता। ऐसा करो कि तुम किसी बच्चे के पिता बन जाओ।“

तुषार ने चौंकते हुए कहा, “मैं अकेला आदमी हूँ। किसी बच्चे के लालन पालन की जिम्मेदारी मैं अकेले कैसे उठा सकता हूँ?”

एकता ने कहा, “अरे, उस सुष्मिता सेन को देखो। दो-दो बच्चियों को अकेले ही पाल रही है।“
तुषार ने कहा, “तुम तो बॉस हो। तुम भी सुष्मिता सेन की तरह बन के दिखाओ।“

एकता ने कहा, “मैंने हमेशा कुछ नया करने की कोशिश की है। मेरे सारे टीवी सीरियल कुछ अलग किस्म के होते हैं। मैं चाहती हूँ कि तुम सुष्मिता सेन की तरह बन के दिखाओ।“

तुषार ने पूछा, “तुम चाहती हो कि मैं मिस वर्ल्ड या मिस यूनिवर्स बन के दिखाऊँ। ऐसा मुझसे नहीं हो पाएगा।“

एकता ने कहा, “नहीं, मैं चाहती हूँ कि तुम भी किसी बच्चे को अपना लो।“

तुषार ने पूछा, “तो तुम चाहती हो कि मैं भी किसी बच्चे को गोद ले लूँ। या फिर महमूद की तरह कुँवारा बाप बन जाऊँ।“

एकता ने किसी महान ज्ञानी की मुद्रा में कहा, “1970 के दशक में टेकनॉलॉजी का उतना विकास नहीं हुआ था कि महमूद उसकी मदद लेकर पिता बनने का सुख पा सकते थे। फिर अब भारत पोलियो मुक्त हो चुका है। इसलिए किसी पोलोयो पीड़ित बच्चे को अपनाकर टीआरपी रेटिंग नहीं बढ़ने वाली। आज का जमाना काफी हाइटेक हो चुका है। अब प्रोजेरिया से पीड़ित बच्चे को ढ़ूँढ़ना तो तारे तोड़ने जैसा है। तुमने सुना नहीं किस तरह से बॉलिवुड के दो मशहूर खान ने नई टेकनॉलॉजी की मदद से 50 की उम्र में पिता बनने का सुख प्राप्त किया? आजकल तो अधेड़ उम्र में पिता बनने का फैशन चल पड़ा है। नारायण दत्त तिवारी को नहीं देखा था? कैसे अस्सी साल की उम्र में पिता बनने पर शर्मा और सकुचा रहे थे।”

तुषार उछलकर सोफे पर बैठ गया और बोला, “तुम चाहती हो कि मैं महाराज दशरथ की तरह पुत्र्येष्टि यज्ञ करूँ, या फिर विचित्रवीर्य की तरह वेदव्यास की मदद लूँ। अरे, उन राजाओं के पास इस काम को मूर्त रूप देने के लिए रानियाँ भी थीं। मेरे पास तो ऐसा कुछ भी नहीं है। मैं कोई सूर्यदेव तो हूँ नहीं कि झट से किसी कुंती को मंत्रप्रसाद दे दूँ।“

एकता ने गंभीर मुद्रा में कहा, “तुम हमेशा ऐसे ही रहोगे। घिसे पिटे खयालों के कारण ही तुम्हारी कोई भी फिल्म हिट नहीं होती। आज की टेकनॉलॉजी के कारण अब तीन-तीन क्या, एक रानी की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। एक बार तुम किसी बच्चे के पिता बन गए फिर ट्विटर पर तुम्हारे फॉलोवर की संख्या बड़े-बड़े नेताओं और अभिनेताओं से कई गुणा अधिक हो जाएगी। फिर तुम्हारी फोटो दिल्ली टाइम्सजैसे अखबारों में रोज छपेगी। टीवी पर के पैनल बहसों में तुम कम से कम एक सप्ताह तक छाए रहोगे। फिर मैं तुम्हें लीड रोल में रखते हुए एक सीरियल बनाऊँगी बाप भी कभी बेटा था।“


फिर दोनों भाई बहन इस बात के लिए राजी हो गए। उचित समय बीतने पर तुषार का मुसकराता चेहरा अखबारों और टीवी पर नजर आने लगा। आखिरकार, वह एक कुँवारा बाप बन ही गया। 

No comments: