“मम्मी, मैं स्कूल से लौटते समय राजू चाचा के घर चला जाउँगा। शाम में
देर से लौटूँगा।“ नवीन जोर से चिल्लाया और फिर दरवाजे के भड़ाम से बंद होने की आवाज
आई।
उसकी माँ; निशा दौड़कर बालकनी में गई और वही से आवाज लगाया,
“कोई खास वजह?”
नवीन तब तक नीचे सड़क पर पहुँच चुका था। उसने ऊपर बालकनी की ओर
देखकर कहा, “कुछ खास नहीं। बस चाचा के लड़के योगेश से मिले हुए बहुत दिन हो
गये थे।“
निशा ने कहा, “ठीक है, लेकिन उससे ज्यादा
देर बात नहीं करना। जल्दी आ जाना।“
उसके बाद नवीन ने अपनी स्कूटी स्टार्ट की और तेजी से आँखों से
ओझल हो गया। शाम हो गई और उसके बाद रात भी हो गई। नवीन का कहीं कोई पता नहीं था। निशा
ने कई बार उसके मोबाइल पर कॉल करने की कोशिश की। फोन की घंटी बज तो रही थी लेकिन नवीन
उसे उठा नहीं रहा था। निशा के पति, मधुरेश ने कहा, “आ जाएगा।
हो सकता है स्कूटी चला रहा हो इसलिए फोन नहीं उठा रहा है।“
निशा ने कहा, “अरे नहीं, मुझे उसकी
चिंता नहीं है। मुझे तो चिंता है कि योगेश से फालतू की बातों में अपना समय न जाया कर
रहा हो।“
मधुरेश ने कहा, “अरे योगेश कोई पराया तो है नहीं। मेरे अपने
भाई का बेटा है। उसके साथ बातें करेगा तो उनके रिश्ते मजबूत होंगे।“
निशा ने कहा, “खाक रिश्ते मजबूत होंगे। योगेश दूसरे किस्म
का लड़का है। पढ़ाई लिखाई से कोई मतलब नहीं। कहता है वेटलिफ्टिंग में मेडल लायेगा।“
ऐसा सुनकर मधुरेश ने कहा, “क्या बात है। हमारे खानदान
में आजतक किसी ने ऐसी बात नहीं सोची है। उसका डीलडौल भी वेटलिफ्टर वाला ही है। कौन
जानता है, आगे चलकर यह लड़का पूरे परिवार का नाम रौशन करे।“
निशा ने कहा, “मैने कब रोका है उसे नाम रौशन करने से?
लेकिन हमारे नवीन को कहीं उसके रास्ते से न भटका दे। मेरे नवीन को तो
इंजीनियर बनना है। वैसे भी वेटलिफ्टिंग का क्या भविष्य है। क्रिकेटर बनने की कोशिश
करता तो बेहतर होता। और कुछ नहीं तो एकाध सीजन के लिए आइपीएल में भी खेलने का मौका
मिल जाता तो मोटे पैसे कमा लेता।“
तभी नवीन भी आ गया। उसे देखते ही निशा उस पर बरस पड़ी, “कितनी
बार कहा है कि किसी और के घर में बैठकर अपना समय मत जाया करो।“
नवीन ने कहा, “मम्मी मैं समय नहीं बरबाद कर रहा था। मैं तो
योगेश से बॉडी बिल्डिंग के टिप्स ले रहा था। क्या शानदार बॉडी बनाई है उसने। एक मैं
हूँ, थुलथुल।“
निशा ने कहा, “तुम्हें कौन सा मॉडलिंग करने जाना है जो बॉडी
बिल्डिंग के चक्कर में पड़ा है। अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे। एक बार इंजीनियर बन गया फिर
उसके बाद जितनी बॉडी बिल्डिंग करनी होगी कर लेना। मुझे तो अपना थुलथुल बेटा ही पसंद
है।“
नवीन ने कहा, “पता है, योगेश का नेशनल
चैंपियनशिप के लिए सेलेक्शन हो गया है। कह रहा था कि वहाँ अगर गोल्ड मेडल जीत लेगा
तो फिर शायद कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए भी सेलेक्शन हो जाये। कितनी अच्छी बात है।“
निशा ने कहा, “हाँ! हाँ! उस मेडल का सारा गोल्ड वो तुम्हें
दे देगा। इसमें कौन सी अच्छी बात है। अरे बहुत करेगा तो कॉमनवेल्थ में भी गोल्ड जीत
लेगा। फिर कुछ नेता बीस पचास लाख देने की घोषणा करेंगे। कोई सरकारी नौकरी मिल जाएगी
और फिर लोग उसे भूल जाएँगे। बुढ़ापे में गरीबी में मरेगा।“
नवीन ने कहा, “नहीं मम्मी, पूरी दुनिया
में उसका नाम हो जायेगा। मुझे भी गर्व होगा कि मेरे परिवार का लड़का इतनी ऊँचाई पर पहुँच
जाएगा।“
निशा ने कहा, “बेटा झूठे गर्व से पेट नहीं भरता। रही नाम
होने की बात तो आज सुंदर पिचाई को कौन नहीं जानता। तुम इंजीनियर बन जाओ और फिर गूगल
जैसी बड़ी कम्पनी के सीईओ बन जाओ। जब तक तुम इंजीनियरिंग पास करोगे तब तक सुंदर पिचाई
रिटायर भी हो चुका होगा। फिर तुम्हारा भी नाम होगा।“
नवीन ने कहा, “……..लेकिन माँ......”
निशा ने कहा, “लेकिन वेकिन कुछ नहीं। तुम्हें कोई बाउंसर
तो बनना नहीं है। इसलिए केवल वैसे ही लड़कों से मिला जुला करो जो पढ़ने लिखने में यकीन
करते हैं। जबतक आइआइटी से कॉल लेटर नहीं आ जाता तब तक के लिए योगेश से मिलना बंद।“
ऐसा सुनकर नवीन अपने पिता की ओर देखने लगा। उसके पिता ने कँधे
उचकाए और मुँह बिचकाकर नवीन से इशारा किया जैसे कह रहे हों, “अब इसमें
मैं क्या कर सकता हूँ। तुम्हारी माँ के आगे मेरी कौन सी चलती है।“
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