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Sunday, September 4, 2016

टीचर्स डे का त्योहार

मेरी क्लासटीचर आज कुछ ज्यादा ही बनी ठनी दिख रही थीं। जैसे ही वे क्लास में आईं बच्चों ने उन्हें गुड मॉर्निंग कहने में कुछ अधिक ही जोश दिखाया। टीचर जवाब में कुछ नहीं बोलीं लेकिन कुछ शर्मा और सकुचा कर अपनी सीट पर बैठ गईं। क्लास में बैठे लगभग सभी लड़के उन्हें तिरछी निगाहों से देखने की कोशिश कर रहे थे। कुछ लड़कियाँ भी उन्हें वैसे ही घूरने की कोशिश कर रहीं थीं। लड़के किस वजह से देख रहे थे और लड़कियाँ किस वजह से देख रहीं थीं ये बहस का मुद्दा हो सकता है। लेकिन क्लास टीचर को भी इस तरह से सबके आकर्षण का केंद्र बनना अच्छा ही लग रहा था। रौल कॉल के बाद क्लास टीचर ने अपनी शहद भरी आवाज में ऐलान किया, “बच्चों तुम्हें तो पता ही होगा कि अगले सोमवार को हम टीचर्स डे मना रहे हैं। यह हर छात्र के लिए एक यादगार दिन होता है क्योंकि इस दिन के अवसर पर सभी छात्र अपने टीचर्स का सम्मान करना सीखते हैं।“

मैंने बीच में ही टोका, “लेकिन मैं तो रोज ही आपका सम्मान करता हूँ।“

टीचर से थोड़ा झुँझलाते हुए कहा, “कितनी बार कहा है कि बीच में न टोका करो। खैर, टीचर्स डे के दिन हमारे स्कूल में एक शानदार प्रोग्राम होगा। उस प्रोग्राम के लिए तुममे से हर स्टूडेंट को पचास पचास रुपए चंदा देना होगा।“

मैंने कहा, “मेरे पापा चंदा देने के सख्त खिलाफ हैं। मैं चंदा नहीं दे पाउँगा।“

इस पर टीचर ने थोड़ा और झुँझलाते हुए कहा, “अब इसे देखो। इसके मन में टीचर के लिए तो कोई इज्जत ही नहीं है। बस कहता फिरता है कि यह रोज ही मेरा सम्मान करता है।“

मैंने टीचर से कहा, “लेकिन पचास रुपए देने ने देने से टीचर का सम्मान कैसे जुड़ा हुआ है?

टीचर ने जवाब दिया, “मेरे पास इतनी फुरसत नहीं है कि तुम्हारे हर सवाल का जवाब दूँ। तुम जवाब ही जानना चाहते हो तो तुम्हें प्रिंसिपल मैम के पास ले चलती हूँ। वहाँ तुम्हें ठीक से जवाब मिल जायेगा।“

यह सुनकर कुछ बच्चे फिस्स से हँस पड़े। बाकी बच्चे आपस में कानाफूसी करने लगे।

मैंने कहा, “क्या मैम, आप भी। बात बेबात प्रिंसिपल मैम को बीच में क्यों ले आती हैं? चलिये मैं अपनी मम्मी से पचास रुपए माँग कर ले आउँगा। सोचूँगा किसी मंदिर में चढ़ावा चढ़ा दिया। जब भगवान तक की इज्जत रुपयों पैसों में तौली जाती है तो फिर टीचर कहाँ से गलत हो सकती हैं।“

टीचर ने थोड़ा कुटिल मुसकान के साथ कहा, “ठीक है, उम्मीद है तुम्हें टीचर की इज्जत का असली मतलब समझ में आ गया होगा।“

घर लौटने के बाद जब मैने अपने पापा से इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा, “यह ठीक है कि मैं चंदा देना पसंद नहीं करता हूँ लेकिन जब मुहल्ले के पहलवान भंडारा करने के लिए चंदा माँगने आते हैं तो मैं कुछ नहीं कर पाता। मैं इस डर से चंदा दे देता हूँ कि कहीं वही पहलवान कल को मुझपर अपनी पहलवानी की आजमाइश न करने लगें। टीचर से भी बहस ल‌ड़ाना ठीक नहीं है। हो सकता है कि वे तुम्हारे नंबर काट दें।“


जब सोमवार को मैं स्कूल पहुँचा तो स्कूल का गेट फूलों से सजा हुआ था। गेट के ऊपर एक बड़ा सा बैनर लगा था जिसपर हैप्पी टीचर्स डे लिखा हुआ था। स्कूल के मैदान में एक शामियाना लगा था जिसके एक छोर पर स्टेज बना हुआ था। चारों तरफ बंदनवार लगे थे। सभी टीचर ऐसे सज धज कर आईं थीं जैसे करवा चौथ का त्योहार हो। लाउडस्पीकर पर हिट फिल्म तारे जमीन परके गाने बज रहे थे। सभी बच्चों ने टीचर्स के लिए गुलाब के फूल और गुलदस्ते लाये थे। रंगारंग प्रोग्राम में कुछ बच्चों ने गाना गाया। कुछ बच्चों ने गिटार और कीबोर्ड पर अपना हुनर दिखाया। कुछ लड़कियों ने हिट गानों पर डांस भी पेश किया। आखिर में प्रिंसिपल मैम ने एक लंबा लेकिन बोरिंग भाषण दिया। फिर टीचर्स के लिए नाश्ते के पैकेट सर्व किये गये। सर्व करने का काम स्टूडेंट्स ने किया। किसी भी स्टूडेंट को नाश्ते का पैकेट नहीं मिला। इस तरह से सभी स्टूडेंट ने टीचर्स डे के अवसर पर सभी टीचर्स को भरपूर मान और सम्मान दिया।