मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव को अक्सर
कम्पनी की तरफ से डॉक्टर को देने के लिए आकर्षक गिफ्ट मिला करते हैं। इनमे से ज्यादातर
गिफ्ट साधारण आइटम होते हैं जैसे पेन, पेपर वेट, लेटर पैड,
आदि। कभी कभी कुछ महँगे गिफ्ट भी दिए जाते हैं जैसे टाई, डेकोरेटिव आइटम, रूम फेशनर, आदि।
कुछ गिफ्ट ऐसे भी होते हैं जो किसी डॉक्टर की क्लिनिक में बहुत उपयोगी साबित होते हैं
जैसे सैनिटाइजर। पिछले पंद्रह बीस सालों में भारत में फार्मा कंपनियों की बाढ़ आ गई
है। बड़ी कम्पनियाँ आमतौर पर छोटे मोटे गिफ्ट ही बाँटती हैं और अपने सेल्स टीम और प्रोडक्ट
क्वालिटी के भरोसे ही सेल लाने में विश्वास रखती हैं। लेकिन कई कम्पनियाँ गिफ्ट देने
या डॉक्टरों को अतिरिक्त सुविधा देने के मामले में एक दूसरे से होड़ लगाती हुई दिखती
हैं। कुछ डॉक्टरों और उनके परिवार वालों को कॉन्फ्रेंस के नाम पर हवाई यात्रा और पाँच
सितारा होटलों में ऐश भी करवाया जाता है। इनके अलावा और भी बहुत कुछ होता है जो लगभग
हर उस आदमी को पता होता है जो इस इंडस्ट्री से जुड़े होते हैं।
लेकिन कोई भी बिजनेसमैन जब कहीं पैसा लगाता है तो वह उससे मुनाफा
कमाने की उम्मीद जरूर करता है। इसलिए अब कई ऐसी कम्पनियाँ भी आ गई हैं जो डॉक्टर से
बकायदा लेन देन का साफ साफ हिसाब भी करती हैं। मसलन यदि किसी डॉक्टर पर बीस हजार रुपए
खर्च हुए तो उसने कितने का धंधा दिया। कई बार यदि डॉक्टर अपने वादे के मुताबिक सेल
देने में नाकाम होते हैं तो उनसे उसकी भरपाई करने के लिए तरह तरह के हथकंडे भी अपनाये
जाते हैं।
एक ऐसा ही किस्सा हुआ था किसी गाँव के डॉक्टर के साथ। उस डॉक्टर
को सही सेल न देने के बदले में बड़ी फजीहत झेलनी पड़ी थी। मैं सुबह सुबह उस गाँव में
काम करने के लिए पहुँचा। जब मैं उस बाजार में पहुँच ही रहा था तो देखा कि सामने से
वह मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव और उसके मैनेजर चले आ रहे हैं। मैंनेजर साहब एक मोटी सी रस्सी
पकड़े हुए थे जिसमें एक भैंस बँधी थी। मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव ने बछिया की रस्सी थामी
हुई थी।
मैने उनसे पूछा, “अरे, ये क्या देख रहा
हूँ? आप लोगों ने लगता है नौकरी छोड़कर डेरी का बिजनेस शुरु कर
दिया है।“
मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव ने बताया, “अरे नहीं
भाई। ये भैंस हमने छ: महीने पहले उस डॉक्टर को बतौर एडवांस गिफ्ट दिया था। वही वापस
लेकर आ रहे हैं।“
मैने पूछा, “अब किसी को दिया हुआ गिफ्ट कोई वापस लेता है?”
इसपर मैनेजर साहब ने जवाब दिया, “भैया
हम छोटी कंपनी वाले हैं। ऊपर वालों को एक एक पाई का हिसाब देना होता है। छ: महीने बीत
गये लेकिन उस डॉक्टर ने वैसी सेल नहीं दी जिसका उसने वादा किया था। फिर कम्पनी के हेड
ऑफिस से फोन आया कि जाकर गिफ्ट वापस ले लो।“
मैने पूछा, “अब इस भैंस का क्या करेंगे? अपनी बालकनी में बाँधेंगे?”
मैनेजर ने कहा, “नहीं, कई दूसरे आस लगाए
बैठे हैं। जाकर किसी और से डील फाइनल करूँगा और उसके दरवाजे पर बाँध दूँगा।“
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