“बड़ी देर लग गई लौटने में।
क्या हुआ?” पूनम ने दरवाजा खोला और अपने पति से पूछा।
पूनम के पति विनोद ने अपना बैग लगभग पटकते हुए कहा, “हाँ,
ट्रैफिक जाम कुछ ज्यादा ही था। आजकल तो अपनी कॉलोनी की ओर आने वाली सड़क
पर कुछ ज्यादा ही जाम लगने लगा है।“
पूनम ने पानी का ग्लास विनोद के हाथों में थमाते हुए कहा, “जब हमने
यहाँ शिफ्ट किया था तब तो ऐसा नहीं था। पिछले दो तीन सालों में इस कॉलोनी में नए मकान
भी काफी बन गए हैं और नई दुकाने भी खुलती जा रही हैं। इसलिए जाम की समस्या बढ़ती ही
जा रही है।“
विनोद ने एक ही साँस में पानी का गिलास खाली कर दिया और बोला, “अरे नहीं,
देख नहीं रही हो सड़क पर हमेशा किसी न किसी काम के लिए खुदाई चलती ही
रहती है। अरे तीन साल पहले ही तो नई सड़क बनी थी। इतने कम समय में ही इसकी हालत बदतर
हो गई है।“
पूनम ने कहा, “पता नहीं, ये टेलिफोन
वाले या जल बोर्ड वाले सड़क बनने के पहले अपना काम क्यों नहीं करते। उधर सड़क बनी नहीं
कि इधर बिजली, टेलिफोन, जल बोर्ड और सीवर
वालों की खुदाई चालू हो जाती है। सरकार के अलग-अलग विभागों में जरा भी तालमेल नहीं
है।“
विनोद ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा, “नहीं,
मुझे तो लगता है कि इनमें बड़ा ही अच्छा तालमेल है। सभी विभाग वाले इसी
बहाने एक दूसरे की कमाई बढ़ाते रहते हैं।“
पूनम ने आश्चर्य से पूछा, “वो कैसे?”
इस पर संजय ने कहा, “एक बार सड़क के लिए टेंडर निकलेगा जिससे ठेकेदार,
इंजीनियर और अफसरों को कमाने का मौका मिलेगा। जैसे ही सड़क बनेगी तो जलबोर्ड
की खुदाई का टेंडर निकलेगा। फिर से किसी ठेकेदार और इंजीनियर को कमाई का मौका मिलेगा।
फिर उसके बाद बिजली विभाग का टेंडर निकलेगा जिससे किसी अन्य ठेकेदार या इंजीनियर को
कमाई का मौका मिलेगा। इस तरह से जब पूरी सड़क लगातार खुदाई से जर्जर हो जाएगी तो फिर
सड़क बनाने के लिए टेंडर निकलेगा। इस तरह से ये चक्र चलता रहेगा। बात समझ में आई?
है न कमाल का तालमेल।“
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